Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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(विले
जंभिय बहि उजुवालिय
जइ नन्नन्नावरणं जंभिय बहि उजुवालिय (आ.नि.)५२६ जं सुयचरणेहितो (विशे.) ११७७ जइ जेण विसेसिज्जइ (विशे.) २१९७ जं मणवयकाएहिं कयकारि- (च.प.) ५४ जं सुहेण सुहं लद्धं (इसि.) ३८१ जइणसमुग्घाय
(विशे.) ३८३ जं मयं सव्वसाहूणं, . (सूत्र.) ६३० जं सो जीवाणन्नो (विशे.) २९०१ जइणसमुग्घाय
(विशे.) ६४३ जं मिच्छस्साणुदओ (विशे.) २७३६ जं सोऽतिनिज्जरत्थो (विशे.) ३०२३ जइणसमुग्घायसचित्त० ' (विशे.) ६४४ जं मे बुद्धाऽणुसासंति, (उत्त.) २७ जं हिययं० जी० कडुय- (स्था.) २८ जइणावि न संवासो (विशे.) २३७२ जं रागदोसमइअं सुक्खं (सं.प.) ५० जं हिययं० जी मधुर- (स्था.) २७ जइणे न पराघाओ (विशे.) ३९३ जं रायवेयणिज्जं (विशे.) २९६४ जं हुतासं विवज्जेति (इसि.) ४५।११ जइ णो केइ पुच्छिज्जा, (सूत्र.) ४९९ जं लेसापरिणामो पायं (विशे.) २१३७ ज(अ)ह पच्छिमम्मि काले (म.प.) ३०८ जइणो वीसाभिग्गह पढमो (पि.नि.) १५६ जं व कयत्थस्सवि से (विशे.) ११०४ जइ अस्थिकायभावो (आ.नि.) भा.२३० जइणो सपज्जया (विशे.) ४८३ जं वक्कं वयमाणस्स संजमो (दश.) २८८ जइ अत्थि पयविहारो (द.नि.) ६९ जइणोसावग निण्हव पढमे (पि.नि.) १५७ जं वत्तणाइरूवो (विशे.) २०२७ जइ अन्नहेव भावो (विशे.) २५४४ जइ तं काहिसि भावं, (उत्त.) ८०८ जं वत्तणाइरूवो (विशे.) ९२६ जइ अब्भत्थेज्ज परं (आ.नि.)६६८ जइ तं काहिसि भावं, (द.वै.) १४ जं वत्तणाइरूवो (विशे.) ३३४६ जइ अब्भासे गमणं दूरे (ओघ.) १८२ जइ तं तस्सेव मयं (विशे.) २१०१ जं वत्थुणोऽभिहाणं (विशे.) ९४४ जइ अमणस्सवि झाणं (विशे.) ३०८१ जइ तं पमाणमेवं (विशे.) २३४६ जं व वसंतं संतं (विशे.) २०१९ जइ अव्वंति पयत्तो (विशे.) ३५९५ जइ तं सुएण न तओ (विशे.) १६८ जं.वा जदत्थि तं तं (विशे.) १७२३ जइ असणमेव सव्वं (आ.नि.)१५९० जइ तं सुयं पमाणं (विशे.) २४६३ जं वा तदत्थविगले (विशे.) ३३०५ जइआ चेव उ खेत्तं गया (ओघ.) १७० जइ तग्गुणपूयाओ (विशे.) २९५२ जंवित्थीओ पभासंति, (गणि.) ७१ जइ इच्छसि नित्थरिउं (महा.) १३६ जइ तप्पज्जयनासो (विशे.) ३४३४ जं विवित्तमणाइण्णं (उत्त.) ४९२ जइ इच्छसि नीसरिउं (म.प.) ३१६ जइ तरुणो निरुवहओ (ओघ.) ६०९ जं वेह जेण किरिया (विशे.) ३१३९ जइ इत्थ चेव इरियाइएसु (दश.) १३० जइ ता गिहिणो वि य (द.नि.) ४१ जं संठाणं तु इहं (दे.प.) २८२ जइ उप्पज्जइ दुक्खं तो (आ.प.) ४८ जइ ताणुभूइउ च्चिय (विशे.) २०५२ जं संठाणं तु इहं भवं (प्रज्ञा.) १६२ जइ उवसंतकसाओ (विशे.) १३०९ जइ ता पासत्थोसण्णकुसील-(ओघ.) भा.४८ जं संठाणं तु इहं भवं (आ.नि.)९६९ जइ उवसंतकसाओ लहइ (आ.नि.)११९ जइ ताव ते मुणिवरा (सं.प.) ११० जं संठाणं तु इहं भवं (औप.) ११ जइ एगग्गं चित्तं धारयओ (आ.नि.)१४७१ जइ ताव ते सुपुरिसा (म.प.) २७० जं संताणोऽणाई (विशे.) १८१७ जइ एवं आयरि० (विशे.) ३२१४ जइ ताव ते सुपुरिसा (महा.) ८० जं संववहारपरो नेगमो (विशे.) १५०६ जइ एवं तेण तुहं (विशे.) ३१८ जइ ताव ते सुपुरिसा (महा.) ८१ जं संसयादओ नाण (विशे.) १७०० जइ एवं वित्थरआ (विशे.) ३२०८ जइ ताव निज्जरमओ, (सू.नि.) ४४ जं सग्गहम्मि कीरइ (गणि.) १९ जइ एवं संसटुं अप्पत्ते (ओघ.) भा.१५० जइ ताव सावयाकुलगिरि- (म.प.) २७१ जं सव्वजीवपालण (विशे.) २६३८ जइ कहवि असुहकम्मोदएण (भ.प.) १५६ जइ ताव सावयाकुलगिरि- (म.प.) ५५० जं सव्वनाणदसणलंभो । (विशे.) २६२६ जइ कायमणनिरोहे (आ.नि.)१४७५ जइ तिण्णि सव्वगमणं एसु (ओघ.) १५७ जं सव्वनाणलाभा० (विशे.) ११३१ जइ कालुणियाणि कासिया, (सूत्र.) १०५ जइ ते चित्तं झाणं (आ.नि.)१४८७ जं सव्वहा न वीसुं (विशे.) २३४० जइ किंचिदप्पओअण. (विशे.) २६८७ जइ ते परपज्जाया (विशे.) ४७९ जं सव्वहा न वीसुं (विशे.) २०१ जइ किरियाए न खओ (विशे.) १३३६ जइ ते लिंग पमाणं (आ.नि.)११२३ जं सामण्णविसेसा (विशे.) २४४४ जइ केवलीण जुगवं (विशे.) ३१२५ जइ ते सुता लोहितपूअपाई, (सूत्र.) ३२३ जं सामन्नग्गाही (विशे.) ७६ जइ केसिआ णं मए भिक्खू, (सूत्र.) २८० जइ ते सुया वेयरणी (सूत्र.) ३०७ जं सामनविसेसे (विशे.) २१९४ जइ गुरुयं लहुयं वा (विशे.) ६६१ जइ ते हत्थुवघाओ (ओघ.) प्र./२६ जं सामिकालकारण (विशे.) ८५ जइ चेलभोगमेत्ता (विशे.) २५९४ जइ तेहिं विणा नत्थी (विशे.) २६२८ जं सासयसुहसाहण- (भ.प.) ६ जइ छउमत्थस्स मणो० (विशे.) ३०७३ जइत्ता विउले जन्ने, (उत्त.) २५५ जंसिऽप्पेगे पवेयन्ति (आ.) ७७ जइ जिणमयं पमाणं (विशे.) २३७७ जइ दव्वमणोऽतिबली (विशे.) २२० जं सिवसयनिययं चिय (विशे.) १६७५ जइ जिणमयं पमाणं (विशे.) २४१९ जइ देसिच्चिय देसो (विशे.) २२५७ जंसी गुहाए जलणेऽतिउट्टे (सूत्र.) ३११ जइ जिणमयं पमाणं (विशे.) २६०४ जइ दोण्ह एग भिक्खा न (ओघ.) ४२० जंसील समायारो अरहा (स्था.) १४० जइ जिणमयं पवज्जह (विशे.) २३८२ जइ न तदत्थविहीणं (विशे.) ३३०६ जं सीसपूरउत्तिअ पुप्फाई (त.प.) १०१ जइ जिणसासणनिरया (दश.) ९३ जइ नत्थि ससयमहं (विशे.) १५५७ जं सुचिरेणवि होहिइ (म.प.) ३७० जइ जुज्जई परोक्खे (विशे.) ८१६ जइ नन्नुन्नावरणं (विशे.) ३१३४
(सूत्र.)
(म.
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