Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ खेत्तपलिओवमासं० गब्भगए जं जणणी जाय खेत्तपलिओवमासं० (विशे.) ४२९ गंतुं दुचक्कमूलं अणुण्ण- (ओघ.) ३८५ गइइंदिए य काए (विशे.) ४०९ खेत्तमरूवं निच्चं . (विशे.) ९२४ गंतुं न रूवदेसं (विशे.) २११ गइ इंदिए य काए, जोए (आ.नि.)१४ खेत्तमसंखेज्जंगुलभागं (विशे.) ६११ गंतुं नेएण मणो (विशे.) २१३ गइ नेरइयाइया (विशे.) ७७६ खेत्तम्मि अपुव्वंमी तिट्ठाणट्ठा (ओघ.) भा.१२२ गंतुं विज्जामंतण किं देमि? (पि.नि.) ४९६ गइनेरइयाईया, हिट्ठा जह (आ.नि.)६८ खेत्तम्मि अवक्कमणं (दश.) ५६ गंतुमणो जो जंपइ (विशे.) १४५० गइपज्जंता चोद्दस (विशे.) ५७९ खेत्तम्मि उ अणुओगो (विशे.) १४०१ गंतुमसंखेज्जाओ (विशे.) ३८१ गइमत्तओ विणासी (विशे.) ३१५४ खेत्तम्मि जम्मि खेते काले (सू.नि.) १०९ गंतुरणासाओ वा (विशे.) २९५३ गइलक्खणो उ धम्मो, (उत्त.) १०५१ खेत्तस्स विनिग्गमणं (विशे.) १५३७ गंतूण आवणं सो वाणियगं (पि.नि.) १९९ गइविब्भमाइएहिं आगार- (ग.प.) १२१ खेत्ताणुवत्तिणो पोग्गला (विशे.) ७३५ गंतूण गुरुसकास काऊण (ओघ.) ७९८ गइ सिद्धा भविआया (आ.नि.) भा.१९६ खेत्ते कम्मि व काले (विशे.) १५३२ गंतूण गुरुसमीवं आलोएत्ता (ओघ.) १५८ गइ सिद्धा भवियाया (आ.नि.)६६२ खेत्ते काले जम्मे गोत्तम- (विशे.) २०२५ गंतूण जोअणं जोअणं तु (आ.नि.)९६४ गच्छइ सविलासगई (ग.प.) ११४ खेत्ते काले य तहा (उ.नि.) ४७ गंतूण सिज्झइत्ति य (विशे.) ३१३६ गच्छति कम्मेहिं सेऽणुबद्धे (इसि.) २।३ खेत्ते जत्थुप्पज्जइ (विशे.) ५८५ गंथं परिण्माय इहउज्ज (आ.) ९ गच्छम्मि एस कप्पो वासा- (ओघ.) भा.१२३ खेत्ते भरहं तत्थ व (विशे.) १४९९ गंथं विहाय इह सिक्खमाणो, (सूत्र.) ५८० गच्छम्मि केइ पुरिसा (ओघ.) ४४९ खेत्ते भरहेरवया (विशे.) ५४६ गंथो पुवुद्दिट्ठो दुविहो (सू.नि.) १२७ गच्छस्स परीमाणं, नाउं (ओघ.) भा.१०२ खेते व जत्थ करणं (विशे.) ३३४५ गंधंगमोसहंगं मज्जा- (उ.नि.) १४४ गच्छायारं सुणित्ताणं, (ग.प.) १३७ खेते समाणदेसी कालम्मि (पि.नि.) १४० गंधं घाणमुवादाय (इसि.) २९७ गच्छेज्ज को णु? सव्वेऽ- (ओघ.) भा.३२ खेतोगाहणदव्वे भाव- (भग.) ३५ गंधओ जे भवे दुब्भी, (उत्त.) १३८३ गच्छेज्ज मा हु मिच्छं (विशे.) २२९३ खेत्तोवमाणमुत्तं (विशे.) ६८७ गंधओ परिणया जे उ, (उत्त.) १३७२ गच्छो महाणुभावो तत्थ (ग.प.) ५१ खेमा खेमपुरा चेव, द्धिा (जंबू.) ५६ गंधमल्लसिणाणं च, दंत- (सूत्र.) ४४९ गज्जं पज्जं गेयं चुण्णं च (दश.) १७० खेमेणं संपत्तो सो (उ.नि.) ४३४ गंधव्व अग्गिवेसे (सूर्य.) १८ गज्झा मुत्तिगयाओ (विशे.) २४६५ खेमेण आगए चंपं, सावए (उत्त.) ७४५ गंधव्व अग्गिवेसे सय- (जंबू.) ९९ गढिए मिहुकहासु (आ.) ५१ खेयन्नए से कुसलासुपन्ने (सूत्र.) ३५४ गंधव्व अग्गिवेसे सय- (चन्द्र.) २२ गण काए य निकाए (विशे.) ९०० खेयविणोओ सीसगुण- (आ.नि.)५८८ गंधव्वदिसाविज्जुक्कग- (आ.नि.)१३३४ गण काए य निकाए खंधे (अनु.) ५ खेलपडिअमप्पाणं न तरइ (ग.प.) ६९ गंधव्वनागदत्तो इच्छइ (आ.नि.)१२५२ गणणाए रज्जू खलु (सू.नि.) १५४ खेल्लगमल्लगलेच्छारियाणि (पि.नि.) २१० गंधस्स घाणं गहणं (उत्त.) ११८६ गणसंगहणं कुज्जा, (गणि.) २७ खोडपमज्जणवेलाउ चेव (ओघ.) २७० गंधाइगुणसमिद्धं जं दव्वं (पि.नि.) २४४ गणसंगहणं कुज्जा, (गणि.) ४० खोमं कुंडलजुअलं (आ.नि.) भा.६७ गंधाणु गासाणुगए (उत्त.) ११९० गणसंगहणं कुज्जा, (गणि.) ७६ गंधाणु रत्तस्स नर- (उत्त.) ११९५ गणसंगहुवग्गहकारओ (द.नि.) २८ गंधाणुवाएण परि- (उत्त.) ११९१ गणहर आहार अणुत्तरा (आ.नि.)५७० गंधारं गीतजुत्तिण्णा (स्था.) ५४ गणहरतेयाहारय० (विशे.) ८०३ गंधार गिरी देवय, पडिमा (द.नि.) ९४ गणहरथेरकयं वा (विशे.) ५५० गंधारे गीतजुत्तिण्णा (अनु.) ३४ गणिअस्स य उप्पत्ती (जंबू.) ३० गंधे अतित्ते य परि- (उत्त.) ११९२ गणि गोयम! जा उचियं, (ग.प.) ११२ गंगाए दोकिरिया छलुगा (उ.नि.) १६६ गंधे जे भवे सुब्भी, (उत्त.) १३८२ गणियं निमित्त जुत्ती (आचा.)३१९ गंगाए वालुया सायरे (त.प.) १२५ गंधे विरत्तो विरत्तो (उत्त.) ११९७ गणियस्स य बीयाणं (स्था.) ११३ गंगाओ दोकिरिया (विशे.) २३०२ गंधेसु जो गेहिमुवेइ (उत्त.) ११८७ गणियाघरम्मि इक्को (उ.नि.) १०२ गंगाओ दोकिरिया छलुगा (आ.नि.)७८० गंधेसु य भद्दगपावएसु (ज्ञाता.) ५० गणिसद्दमाइमहिओ रागे (आ.नि.)१४१३ गंठित्ति सुदुब्भेओ (विशे.) ११९५ गंभीरं सव्वओभई (इसि.) ९।३६ गति ठिइ भवे य भासा (प्रज्ञा.) १९१ गंडी अहवा कोढी, रायंसी (आ.) १४ गंभीरं सव्वतोभदं हेतु (इसि.) ४५।३० गत्तभूसणमिटुं च, कामभोगा (उत्त.) ५०४ गंडी गली मराली अस्से (उ.नि.) ६४ गंभीरमेरुसारे वि (इसि.) ३६।१० गन्थेहि विवित्तेहिं (आ.) २७ गंता च तत्था अदुवा अगंता, (सूत्र.) ६८६ गंभीरविजया एए, पाणा (द.वै.) २६४ गब्भंमि पुव्वकोडी तिण्णि (अनु.) ११२ गंता य अगंता आगंता (स्था.) ८ गंभीरो वि तवोरासी (इसि.) ३६।१३ गब्भगए जं जणणी जाय (आ.नि.)१०८३ गंतुं ताय ! पुणो गच्छे, (सूत्र.) १८८ गइआणुपुव्वी दो दो (आ.नि.)१२२ गब्भगए जं जणणी जाय (आ.नि.)१०८७

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258