Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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एएसि पख तं मुहम
एएसि पल्लाणं० तं सुहुमएएसि पल्ला ! o तं सुहुमएएस पल्लाणं० तं सुहुमएएसि पल्लाणं हवेज्ज एएसिं वण्णओ चैव
एएसि वन्नओ चेव, एएसि वन्नओ चेव
एएसि वन्नओ चेव
एएस बनओ चेव
एएसि वन्नओ चेव
एएस बनओ चैव
एएसि वत्रओ चैव
एएसि वत्रओ चेव
एएसि वन्नओ चेव
एएस बनओ चैव
एएस वनओ चैव
एएसि वत्रओ चैव
एएसिं तु दुहाणं जं
एएसि देवार्ण ओही एएसिं देवाणं बलवरियपर एएसि जाणणट्ठा गुरु एएसि दायगाणं गहणं एएसिमसंखिज्जा, तिरियं एएसिमसंखेज्जा एएस चैव ठाणेसु चसु एएस पढमभिक्खा
सुभत्तिजुत्ता पूयंता एएस मुहुत्तो
एएसु य अद्धाणं पत्थाणं
एएसु विमाणेसु उ तित्तीसं. सुविहिविहणू
एएहि अद्धभरहं सवलं एएहि कारणेहिं गहियमएहि कारणेहिं लद्धूण एएहि कारणेहि हिंसति एएहि कारणेहिं हिंसंति एएहि कारणेहिं हिंसंती एएहि कारणेहिं हिंसंती एएहिं कारणेहि उ एएहिं छहि ठाणेहिं, एहि छहि ठाणे एएहिं जो खज्जइ चउहिवि एएहिं दिट्टिवाए एहि दिट्टिवाए परूवणा
(अनु.) १०८ एएहिं दोहिं ठाणेहिं, (अनु.) ११० एएहि दोहिं, ठाणेहि, (अनु.) ११४ एएहि दोहि ठाणेहिं (अनु.) १०७ एएहिं दोहिं ठाणेहि (उत्त.) १४६० एएहिं दोहि ठाणेहिं (उत्त.) १४३८ एएहिं पंचहि असंवरेहिं
(उत्त.) १४४६ एएहि मुणी सयणेहिं (उत्त.) १४७१ एएहिं सरीरेहिं पच्चक्खं (उत्त.) १४८० एएहिं सरीरेहिं पच्चक्खं १४९० एएहिँ अहं खइओ चउहिवि १४९९ एएहिँ सरीरेहिं पच्चक्खं
(उत्त.)
(उत्त.)
(उत्त.)
(उत्त)
(उत्त.)
(उत्त.)
(उत्त.)
(उत्त. ) १६०१
१५०९ एकं भवं दहे वण्ही
१५२४ एकत्ते तन्नासे नासो
१५३३ एकं च दो व समए
१५४८ एक्कं च दो व समए तिण्णि १५५७
एक्कं चेव य वत्युं
एक्कं निच्चं निरवयवं
TJ
(म.प.) ६५३
एक्कंपि सव्वकारग० (दे.प.) २३३ एक्कमिव पाणिवहम्मि (दे. प.) ५१ एक्कं व दो व तिण्णि वं (ओघ.) भा. २८० एक्कगदुगतिगचउपणसत्तट्ठ(पि.नि.) ५७८ (आ.नि.) ५१ (विशे.) ६९८ | एक्कस्स व दोण्ह व (म.प.) ३५१
एक्कपव्वं पसंसंति, दुपव्वा एकम्मि उ पाउग्गं
एकाणउई सतराई
(आ.नि.) ३२६
(म.प.) २०
(गणि.) ५४ (गणि.) १३ (दे.प.) १८६ (म.प.) ९२
(आ.नि.) ३६४ (ओप.) ६१६ (उ.नि.) १६१ ( आचा.) ९४ ( आचा) १४८ आचा) ११२
एक्का मणुस्सजाई रज्जुएक्का य होइ रयणी
| एक्कारस उ गणहरा जिणस्स एक्कारस य सहस्सा | एक्कारस य सहस्सा छप्पिय एक्कारसवि गणहरा सव्वे एकारसवि गणहरे एकारसुत्तरं हेट्ठिमए एकारसुत्तरं हेमेसु एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमेसु
एकारसुत्तरं हेडिमे एक्किकोविअ तिविहो
|
( आचा.) १२२ | एक्केको य चउविहो अट्ठ(ओष.) ६११ एकेकं तं दुविहं अनंतर (ओघ.) ५८३ एककमक्खर पुन (आ.नि.) भा. २५२ एक्केकरस य पासम्मि (आ.नि.) १२६३ एक्क्कस्साईए पज्जे(विशे.) २२७५ एककागासपएस० (आ.नि.) ७६० एकेकाविय विहा पागड
૨૫
( सूत्र ) (सूत्र)
६३८
६४०
(सूत्र) ६४६ (सूत्र) ६४४
(सूत्र) ६४२
( प्रश्न. ) ४
(आ.) ६८ (प्रज्ञा) १०७ ( आचा.) १३५ (आ.नि.) १२६४ (आचा.) ८३ (इसि.) २६२६ (विशे.) ३४३० (सू.नि.) १७५ एगं च सयसहस्सं (सू.नि.) १७४ (विशे.) ३४३६ (विशे.) ३२ (विशे.) ३५३८ (ओ.) ५३ (ओघ.) ५५८
(म.प.) ३५ (ओघ) ७३२ (ओघ.) ७१८ (ओघ) ६५८ (सूर्य) ४१
(आचा.) १९ (औप.) १५ (आ.नि.) २६९ (सूर्य.) ५५ (जीवा.) ४९
(आ.नि.) ५९२ (विशे.) १०६२ (दे.प.) १८२
(सम.) ७२ (प्रज्ञा) १५८ (भग.) १४ ( ओघ.) ४८५ (सू.नि.) ४८ (पि.नि.) २७९ (विशे.) ४७७ (ओघ.) ५६६ (विशे.) ६३७ (विशे.) ६०१ (पि.नि.) ४२९
एक्केक्कीय दिसाए तिगं
एक्वेक्के चउभंगो सुक्काईएसु एकेको य सयविहो सत्तएक्केण कयमक करे एको करे कम्मं फलमवि |एको घरेइ भाणं एको | एक्को भगवं वीरो पासो एक्को य सत्तमीए पंच एक्को व जहण्णेणं दुग एक्को व दो व तिण्णि व एकोऽवि नावसिज एवं किर छम्मासं दो किर एवं च सतसहस्से तेत्तीस
एगं च सयसहस्सं एवं च सबसहस्सं तेतीसं एगं च सदसहस्से तेरस एगं जाणं सव्वं जाणइ एगं जाणं सव्वं जाणइ एवं उस पुच्छेमि,
एगं निच्चं निरवयवं (आ.नि.) ५६१ (पि.नि.) ५६८ (आ.नि.) ७५९ (पि.नि.) १८५ (महा.) १५ (ओघ.) १८६
(सम.) ९८
(सम.) १३८ (ओच.) ४०१ (ओघ.) ६१७
(विशे.) २४८४ (आ.नि.) ५२९
जीवा.) २९ (जंबू.) ८३
(सूर्य) ३३
(भग.) ६१
एगंतकूडेण उसे एगंतगुणे रहिया बुद्धीइ एगंतपसत्था तिण्णि इत्थ एगंतमणावाए अच्चित्ते एगंतमणावाए अच्चित्ते एगंतमणावाए अच्चित्ते | एगंतमणावाए, इत्थीएगंतमणावाए विच्छिन्ने एतमवक्रमणं जइ साहू,
एगंतमवकमित्ता, अचित्तं
एतमवकमित्ता, अचित्तं एतमेवं अदुवावि इण्डि
एगंतरत्ते रुइरंसि
एगंतरते रुइरंसि एगंतरत्तो रुइरंमि एगंतरमा धामं, कडु कट्टु एगंतरिए इणमो अंबट्टो
एगंतसिणिर्द्धमी पोरिएगतेण निसेहो जोगेसु
एगंतेण परोक्खं
एगंते य विवित्ते उत्तर
एगं दव्वं पेच्छं खंध
एगं नमोऽभिहाणं एवं निच्चं निरवयवं
(त.प.) ६९
(विशे.) ३२०
(विशे.) ४८४
(उत्त.) १०२९
(सूत्र.) ५६५
(म.प.) ३२८ (उ.नि.) २३४
(ओघ.) ५९६
(ओघ.) ५९७ (ओघ.) ६०५
(उत्त.) ११०७ (सं.प.) ६९ (पि.नि.) २११
(द.वै.) १४०
(द.वै.) १४५
(सूत्र.) ६७१
(उत्त.) ११६३
(उत्त.) ११७६
(उत्त.) ११८९
(उत्त.) १६०७ (आचा.) २३
(पि.नि.) ४३ (ओघ.) ५६
(विशे.) ९५
(आ.नि.) ५४२
(विशे.) ७६१
(विशे.) २९१४
(विशे.) २२०६
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