Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 19
________________ "पाप अईअंमि य कालंमि, अज्जए पज्जए वावि, बप्पो अईअंमि य कालंमि, (द.वै.) २८५ अक्खे वराडए वा कढे (आ.नि.)१४३२ अच्चंतनियाणक्खमा, एसा (उत्त.) ५८१ अईअंमि य०। जत्थ संका (द.वै.) २८६ अक्खे वराडए वा कडे (ओघ.) ३३५ अच्चंतमणुवलद्धो (विशे.) १७८७. अईयंमि य०। निस्संकिअं (द.वै.) २८७ अक्खोभ सागरे खलु (अन्त.) ३ अच्चंतमणुवलद्धो (विशे.) १९१४ अउणाणउइ सहस्सा (दे.प.) २०६ अक्खोवंगो, वणे लेवो. (इसि.) ४५।४८ अच्चणं रयणं चेव, (उत्त.) १३५२ अउणापण्णं जुअले पुत्ताण (आ.नि.)१९७ अक्खोवंजणमादाय (इसि.) ४।२४ अच्चत्थदुक्खिया जे (विशे.) १९०० अउणासीइ सहस्सा (जंबू.) १ अगंधणे कुले जातो (इसि.) ४५।४० अच्चब्भुयगुणवंते नियजस - (च.प.) २१ अकयंपि नेय कीरइ (विशे.) ३३६६ अगणितो निक्खंतो विहरइ (सू.नि.) १९५ अच्चासण्णनिरोहे दुक्खं (ओघ.) ३२७ अकयद्दारमनगरं (विशे.) ९०८ अगणिअ जो मुक्खसुहं (भ.प.) १३८ अच्चाहारो न सहे (आ.नि.)१२६६ अकयमसुद्धनयाणं (विशे.) ३३७० अगणिणिव्वावणे चेव, (उ.नि.) ४५५ अच्चित्तं पुण विरियं (सू.नि.) ९२ अकरंडगम्मि भाणे (ओघ.) ६९१ अगणिस्स य उट्ठाणं (आ.नि.) भा.१० अच्चित्तमक्खियम्मि उ (पि.नि.)५३७ अकलेवरसेणिमूसिया, (उत्त.) ३०६ अगणीओ छिदिज्ज व (आ.नि.)१५१६ अच्चेइ कालो तूरंति (उत्त.) ४१८ अकसाइ सव्वत्थोवा (जीवा.) ९२ अगणीण व तेणेहि (ओघ.) ४३९ अच्चेमु ते महाभाग !, (उत्त.) ३७४ अकसाई विगयगेही य (आ.) १०९ अगरूवरपवरधूवण (ज्ञाता.) ४५ अच्छउ तावूग्घाओ (विशे.) १३४८ अकसाय अहक्खायं, छउ- (उत्त.) १०७५ अगविट्ठस्स उ गहणं न (पि.नि.) ७८ अच्छि पव्वं बलिमोडओ (प्रज्ञा.) ९३ अकसायमहक्खायं (विशे.) १२४७ अगारमावसंतावि, अरण्णा (सूत्र.) १९ अच्छिज्जंपिय तिविहं पभू (पि.नि.) ३६६ अकसिणपवत्तगाणं विरया- (आ.नि.) भा.१९४ अगारिसामाइयंगाई सड्डी (उत्त.) १५० अच्छिनिमीलियमेत्तं नत्थि (जीवा.) २१ अकामए पव्वइए (इसि.) १४.३ अगिद्धे सद्दफासेसु, आरंभे- (सूत्र.) ४७१ अच्छिमलो कन्नमलो खेलो (त.प.) १२१ अकाले चरसी भिक्खू!, (द.वै.) १६४ अगीयत्थकुसीलेहिं, (ग.प.) ४८ . अच्छिरे माहले अच्छि (उत्त.) १५०३ अकिच्चाणं समुग्घायं (औप.) ८ अगीयत्थस्स वयणेणं, (ग.प.) ४६ अच्छे अ सूरिआवत्ते (जंबू.) ६७ अकुमार खयं जोणी (पि.नि.) प्र.६ अगुत्ती बंभचेरस्स, इत्थीओ (द.वै.) २६७ अच्छेरगमब्भुदए, भोए (उत्त.) २६२ अकुमारभूए जे केई, (सम.) ३२ अगुरुलहुग्गहणं (विशे.) ६७९ अच्छेरयं च लोए ताण (म.प.) ४४७ अकुव्वओ णवं णत्थि, (सूत्र.) ६१३ अगुरुलहुसमारद्धो (विशे.) ६५६ अच्छेरयाइ किंची (विशे.) ३१७१ अकुसीले सया भिक्खू, (सूत्र.) ४६४ अगुरुवरपवरधूवणउउय- (ज्ञाता.) ३७ अच्छोडपिट्टणासु य (ओघ.) ३५८ अकूडत्तं च कूडेसुं (इसि.) २६१० अग्गं वणिएहिं आहियं, (सूत्र.) १४५ अच्छोडपिट्टणासु य न (पि.नि.)३४ अकंडेऽचिरमभाविय (आ.प.) ५३ अग्गबीया मूलबीया खंध- (आचा.) १३० अजयं आसमाणो य, (द.वै.) ३४ अकंतधंतधाणे देहाणुगए (पि.नि.) ४० अग्गलं फलिहं दारं, (द.वै.) १६८ अजयं चरमाणो य (उ), (द.वै.) ३२ अक्कोसवहं विदित्तु धीरे, (उत्त.) ४७८ अग्गि पयावइ सोमे (अनु.) ८९ अजयं चिट्ठमाणो य, (द.वै.) ३३ अक्कोसेज्ज परो भिक्खुं, (उत्त.) ७२ । अग्गिम्मि य उदयम्मि य (म.प.) २८६ अजयं भासमाणो य, (द.वै.) ३७ अक्खरगुणमतिसंघायणाए (सू.नि.) २० अग्गिम्मि हवी हूयइ (दश.) १०० अजयं भुंजमाणो य, (द.वै.) ३६. अक्खरलंभेण समा (विशे.) १४३ अग्गियए पव्वयए बहुली (आ.नि.)१२९२ अजयं सयमाणो य, (द.वै.) ३५ . अक्खरलंभो सण्णीणं (विशे.) ४७४ अग्गिस्स दाहिणे पासे (भग.) ७० अजयणाए पकुव्वंति, (ग.प.) १२० अक्खर सण्णी सम्म, (आ.नि.)१९ अग्गिहवणांइकिरिया (विशे.) १५९२ अजराउ तिन्नि पोरिसि (आ.नि.) भा.२२० अक्खरसण्णी सम्म (विशे.) ४५४ अग्गिहुत्तमुहा वेया, (उत्त.) ९४५ अजहन्नमणुक्कोसं, तित्तीसं (उत्त.) १५९८ अक्खर सन्नी संमं सादियं (आ.नि.)८६२ अग्गी य इइ के वुत्ते? (उत्त.) ८६५ अजाणगा जन्नवाई, विज्जा- (उत्त.) ९४७ अक्खरसन्नी सम्म (विशे.) २७८५ अग्गेणीअम्मि य जहा (आ.नि.)१०२२ अजाणिआ जहा जा होइ (नन्दी) ४६ अक्खर सन्नी सम्मं साईयं (नन्दी) ८६ अघणघणचारिंगगणे छाय (पि.नि.) १७५ अजिअस्स कुमारत्तं (आ.नि.)२७८ अक्खरसमं पदसमं (अनु.) ५० अचयंता व लूहेणं, (सूत्र.) २०२ अजिइंदियसोवहिया वहगा (दश.) १४४ अक्खरसरणेण सरा (विशे.) ४६१ अचितं तु समासज्ज अजियप्पओगकरणं दव्वे (उ.नि.) १९५ अक्खलिअसंहिआई (आ.नि.)१०१५ अचियत्तमंतरायं तेनाहड (पि.नि.) ३७३ अजीवं परिणयं नच्चा, (द.वै.) १३६ अक्खस्स पोग्गलकया (विशे.) ९० अचिरोववन्नगाणं (आ.नि.)१४८२ अजीवकम्मनो दव्वलेसा (उ.नि.) ५३९ अक्खाणेयाणि परत्थिगाणि (दश.) भा.१८ अचेलओ य जो धम्मो, जो (उत्त.) ८४२ अजुगलिया अतुरंता विकहा-(ओघ.) ३१३ अक्खेवणीअक्खित्ता जे (दश.) २०५ अचेलगस्स लूहस्स, (उत्त.) ८२ अजोगरूवं इह संजयाणं, (सूत्र.) ६९८ अक्खेवनिण्णयपसं० (विशे.) १४४४ अचेलगो अ जो धम्मो, जो (उत्त.) ८२६ अज्ज आहं गणी हुं तो, . (द.वै.) ४९० अक्खे वराडए वा (पि.नि.)७ अच्चंतकालस्स समूलयस्स, (उत्त.) ११३८ अज्जए पज्जए वावि, बप्पो (द.वै.) २९५

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