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दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन
३. भाष्य मिश्रित-नियुक्तियाँ-वे नियुक्तियाँ जो आजकल भाष्य या बृहद्भाष्य में ही समाहित हो गयी हैं और उन दोनों को पृथक् कर पाना कठिन है, जैसे निशीथ आदि की नियुक्तियाँ। __ नियुक्तियों में वस्तुत: आगम के पारिभाषिक शब्दों एवं विषयों के अर्थ को सुनिश्चित करने का प्रयत्न हुआ है। ये अति संक्षिप्त हैं, इनमें मात्र आगमिक शब्दों एवं विषयों के अर्थ-सङ्केत हैं। भाष्य और टीकाओं के माध्यम से ही इन शब्दों एवं विषयों को सम्यक् प्रकार से समझा जा सकता है। जैन आगमों पर प्रणीत नियुक्तियाँ प्राकृत गाथाओं में हैं। आवश्यकनियुक्ति में नियुक्ति शब्द का अर्थ और नियुक्तियों का प्रयोजन बताते हुए कहा गया है- “एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं, अत: कौन सा अर्थ किस प्रसङ्ग में उपयुक्त है, यह निर्णय आवश्यक होता है। महावीर के उपदेश के आधार पर लिखित आगमिक ग्रन्थों में किस शब्द का क्या अर्थ है, इसे स्पष्ट करना ही नियुक्ति का प्रयोजन है।'' दूसरे शब्दों में नियुक्ति जैन परम्परा के पारिभाषिक शब्दों का स्पष्टीकरण है। जैन परम्परा में अनेक शब्द व्युत्पत्तिपरक अर्थ में गृहीत न होकर पारिभाषिक अर्थ में गृहीत हैं, जैसे अस्तिकायों के प्रसङ्ग में धर्म एवं अधर्म शब्द, कर्म सिद्धान्त के सन्दर्भ में कर्म शब्द एवं स्याद्वाद में प्रयुक्त स्यात् शब्द। आचाराङ्ग में 'दंसण' (दर्शन) शब्द का जो अर्थ है, उत्तराध्ययन में उसका वही अर्थ नहीं है। दर्शनावरण में दर्शन शब्द का जो अर्थ है वही अर्थ दर्शनमोह के सन्दर्भ में नहीं है। अत: आगम ग्रन्थों में प्रसङ्गानुसार शब्द का अर्थ का निर्धारण करने में नियुक्तियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
नियुक्तियों की व्याख्या शैली का आधार मुख्य रूप से जैन परम्परा में प्रचलित निक्षेप पद्धति रही है। जैन परम्परा में वाक्यार्थ का निश्चय नयों के आधार पर एवं शब्दार्थ का निश्चय निक्षेपों के आधार पर होता है। निक्षेप चार हैं- नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव। इन चार निक्षेपों के आधार पर एक ही शब्द के चार भिन्न अर्थ हो सकते हैं। निक्षेप पद्धति में शब्द के विविध सम्भावित अर्थों का उल्लेख कर उनमें से अप्रस्तुत अर्थ का निषेध कर प्रस्तुत अर्थ का ग्रहण किया जाता है। उदाहरण के रूप में आवश्यकनियुक्ति के प्रारम्भ में अभिनिबोध ज्ञान के चार भेदों के उल्लेख के पश्चात् उनके अर्थों को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि अर्थों (पदार्थों) का ग्रहण अवग्रह है एवं उनके सम्बन्ध में चिन्तन ईहा है। इसीप्रकार नियुक्तियों में किसी शब्द के पर्यायवाची- एकार्थक शब्दों का भी सङ्कलन किया गया है, जैसेआभिनिबोधिक शब्द के पर्याय-ईहा, अपोह, विमर्श, मार्गणा, गवेषणा, संज्ञा, स्मृति, मति एवं प्रज्ञा।' नियुक्तियाँ आगमों के महत्त्वपूर्ण पारिभाषिक शब्दों के अर्थों