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सांसारिकों की नरकादि गतियों में
सन्दर्भ :
जाति
२.
३.
४.
दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति : एक अध्ययन
आयति
नाम
स्थापना
आजाति
संमूर्च्छ अगर्भ उपपात च्युत भव में पुनर्जन्म
जाति
द्रव्य
भाव
ओघ
सांसारिक जीव का मरण एवं उत्पत्ति
औदयिक औपशमिक क्षायिक
क्षायोपशमिक पारिणामिक सन्निपातिक
इसप्रकार संक्षेप में दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति की विषय-वस्तु और तत्सम्बद्ध अन्य विवरण प्रस्तुत है।
प्रत्याजाति
विभाग
दशवैकालिकनिर्युक्ति - 'निर्युक्तिसंग्रह' हर्षपुष्पामृत, लाखाबावल १९८९, पृ. ३२८ एवं ३६१ ।
प्रो० कापडिया, 'कैनानिकल', सूरत १९४१, पृ० १८५।
एल० एल्सडोर्फ, “निक्षेप - ए जैन कान्ट्रीब्यूशन टू स्कालस्टिक मेथडालाजी, 'जर्नल आव द ओरिएण्टल इंस्टीच्यूट', ओरिएण्टल इंस्टीच्यूट बड़ौदा, खण्ड - २२, अङ्क ४, जून १९७३, पृ० ४५५ ।
कापडिया, 'कैनानिकल', सूरत १९८९, पृ० २१०।
५.
वही, पृ॰ २११ ।
६. जे०, शार्पेण्टियर, उत्तराध्ययन सूत्र, उपशाला १९२२, भूमिका, पृ. ५० ।
७.
विशेषावश्यक भाष्य, २/१ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, ऋषभदेव केशरीमल श्वेताम्बर जैन संस्था, रतलाम १९३६, पृ० २२८ ।