Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Ek Adhyayan
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshwanath Vidyapith
View full book text
________________
शब्दानुक्रमणिका
२०७
११३ १२३
६९.
मंगल्लं (माङ्गल्यं) मङ्गलकारी मइल्ले (मलिने) मलिन मग्गसिर (मार्गशिर) मास-विशेष, मार्गशीर्ष (अगहन) मास महईओ (महत्यः) अत्यन्त बड़ी माइणो (मायिनः) मायावी, मायायुक्त माणुम्माणं (मानोन्मानं) न्यूनाधिक परिमाण. मासकप्पं (मासकल्पं) एकमास तक रहने का आचार मिंढ (मेढ़) मेंढा, मेष मिग्गसीरे (मार्गशिरे) मार्गशीर्ष मुम्मुही (मुन्मुखी) मनुष्य की दस दशाओं में नवीं दशा मेइणि (मेदिनी) पृथिवी, धरती मेधावि (मेधाविन्) बुद्धिमान, प्रज्ञ मोहुपासको (मोहोपासको) उपासक की एक कोटि
१०१ ६८
१६
८८
३४
५
१४,९९
रयणि (रजनि) रात्रि राई (राजि:) लकीर रोहेण (रोधेन) नगर आदि का घेरा लक्खणेहिं (लक्षणैः) लक्षणों से लया (लता) वल्ली, वल्लरी लाउयपायं (अलाबूपात्रं) तुम्बीपात्र
३,४ १०१ ११६
१०१
११४
१३
३१
वंसी (वंश) बाँस वग्धारिअ (दे) प्रलम्बित वच्चए (व्रजेत्) गमन करे, जाये वच्छल (वत्सल) स्नेही, स्नेहयुक्त वज्जए (वर्जयेत्) त्याग वणभेसज्जं (व्रणभैषज्यं) घाव की औषधि वतिक्कम (व्यतिक्रमे) नियम-विरुद्ध आचरण वत्थव्वो (वास्तव्य:) निवासी वप्पण (वप्राणां) खेतों की
१०७
- ९६

Page Navigation
1 ... 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232