Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Ek Adhyayan
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshwanath Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 229
________________ दो भाग २१२ दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन जैन आचार, सिद्धान्त और स्वरूप : आचार्य देवेन्द्रमुनि, तारकगुरुजैन ग्रन्थमाला २०५, तारकगुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर १९८२) .. द डाक्ट्रिन ऑव द जैनाज़ : डल्यू० शुब्रिग, अंग्रे० अनु० वुलौंग व्यूर्लन, मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली १९६२। तत्त्वार्थसूत्र, उमास्वाति : विवे० पं० सुखलाल संघवी, पी०वी० ग्र०मा० सं० २२, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी १९८५/ तत्त्वार्थवार्तिक, भट्ट अकलदेव : सं० महेन्द्र कुमार जैन, ज्ञानपीठ मूर्ति देवी जैन ग्रन्थमाला (संस्कृत ग्रन्थाङ्क २०), भारतीय ज्ञानपीठ, काशी १९५७। तत्त्वार्थाधिगमसूत्रटीका, : सं० हीरालालसेठ,डी०एल० जैन पुस्तकोद्धार सिद्धसेनगणि, दो भाग फण्ड सि०नं० ७६, बम्बई। तन्दुलवेयालिय पइण्णयं : अनु० डॉ० सुभाष कोठारी, आगम संस्थान, ग्र०मा०५,आगम अहिंसा समता एवं प्राकृत .. संस्थान, उदयपुर १९९१। दशा तस्कन्यपूर्णि, जिनदासगणि : मणिवियज ग्रन्थमाला, भावनगर १९५४। द निजुत्तिज आन द सीनियर्स ऑव : डब्ल्यू०बी०बोली, फ्रैंज स्टेनर वाङ्ग स्टुअर्ट द श्वेताम्बर सिद्धान्त. १९९५/ नियुक्तिसङ्ग्रह : सं० विजयजिनेन्द्रसूरि, हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला १८९, लाखाबावल १९८९| . निशिथसूत्रम् (भाष्य एवं चूर्णि सहित) : सं० अमरमुनि, ग्र०मा० ६, भारतीय विद्या प्रकाशन, दिल्ली एवं सन्मति ज्ञानपीठ, वीरायतन, राजगृह। पञ्चकल्पसूत्र : सं० विजयजिनेन्द्रसूरि, 'आगमसुधा-सिन्धु खण्ड ९ हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्र० ७६, लाखाबावल, (प्र० वर्ष मुद्रित नहीं):पडण्णयसुत्ताई, दो खण्ड सं० मुनि पुण्य विजय, जैनागम ग्रन्थमाला' १७, महावीर जैन विद्यालय बम्बई १९८४। COM

Loading...

Page Navigation
1 ... 227 228 229 230 231 232