Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Ek Adhyayan
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 214
________________ १२ शब्दानुक्रमणिका . अ अइरेगाइं (अतिरेकानि) अतिशय अइक्कमे (अतिक्रमे) नियम-उल्लङ्घन अकुसीलयाए (अकुशीलत्वेन) शीलवान १४१ अच्चंकारिय (अत्यहङ्कारित) अत्यहङ्कारित १०२,१०४ अज्जयणेसु (अध्ययनेषु) अध्ययनों में अट्ठविहं (अष्टविधं) आठ प्रकार का अट्ठसुयमग्गओ (अष्टसुतमग्रत:) आठ पुत्रों के पश्चात् १०४ अणहियासि (अनध्यासिन् ) सहन नहीं करने वाला ११४,११८ अणायाई (अनायाति) संसार-भ्रमण से मुक्ति १३१ अणिटुं (अनिष्टं) अनिष्ट १५ अणिदाणयाइ (अनिदानकादिभिः) निदान न करने से १४१ अणुग्गहट्ठाए (अनुग्रहार्थाय) कृपा-उपकार के लिए अणुभवण (अनुभवनो) कर्मफल भोग अणुयत्तीह (अनुवृत्तिभिः) अनुकूल किया हुआ १०४ अतियारे (अतिचारे) नियम का आंशिक भङ्ग १२ अनियाणता (अनिदानता) निदान का अभाव १४० अपच्चलो (अप्रत्यल:) असमर्थ, अयोग्य ११७ अपच्छिमए (अपश्चिमेन) अन्तिम द्वारा ११८ अप्पडिक्कम (अप्रतिकर्मन्) संस्कार वर्जित अप्पडिबद्धो (अप्रतिबद्ध) आसक्तिरहित .१३२ अपमज्जणे (अप्रमार्जने) बिना प्रमार्जित किये ८९ अपरितंतो (अपरितान्तः) बिना खिन्न हुए अपासत्थाए (अपार्श्वस्थत्वेन) शिथिलाचार रहित द्वारा १४१ अपेह (अप्रेक्ष्य) देखे बिना ८९ अप्पडिसेवी (अप्रतिसेविन्) नियम-विरुद्ध आचारण नहीं करने वाला १३२ १०९ ३०

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