Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Ek Adhyayan
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 220
________________ शब्दानुक्रमणिका २०३ ११६ जलूगवेज्जगा (जलौकसवैद्यक) जुलूकवैद्य जलूगा (जलौकस) जोंक, जन्तुविशेष जाई (जाति:) उत्पत्ति जोयण (योजन) परिमाण-विशेष, चार-कोश जोहे (योध) अङ्गरचना विशेष १०६ १२७, १२९ झंझ (झंझ) विवाद झामणजत्ता (दहनं) जलाना ठवणा (स्थापना) -ए (स्थापनया) स्थापना से ठविज्जए (स्थापयेत्) स्थापित करना चाहिए ठायव्वं (स्थातव्यं) वास करना चाहिए १०,५३,५५,११३,१२७ ५४,६४ ५५ ११२ डज्झ (दग्ध) जला हुआ डहीहि (दह) जलाओ .९४ णंदिसरे (नन्दीश्वरे) नन्दीश्वरद्वीप णउती (नवति) नब्बे णयणं (नयन) ले जाना णवरि (केवलं) केवल णाणट्टि (ज्ञानार्थिन्) ज्ञानार्थी णिओतव्वो (नियोक्तव्यः) कार्य में लगाना णिगल (दे) नूपुर णितिए (नीत्या) नीति से णिवचिंत (नृपचिन्त्य) राज्यकार्य णिसि (निशि) रात ११५ ११२ १२७ ११० १०५ तदट्ठो (तदर्थो) उपासक विशेष तरई (तरति) तैरता है तायस (तापस:) तपस्वी ३२ १४१ ९४

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