Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Ek Adhyayan
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 215
________________ १९८ दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन १४१ .. ९२ १११ १०७-१०८ १३६-१३७ १३ ९३ १०१ अप्पमाए (अप्रमादात्) प्रमादरहित होने से अप्पिणह (अर्पय) दो अब्भुवगत (अभ्युपगत) स्वीकार किया हुआ अभिओगा (अभियोगा:) वशीकरण अमणादिओ (अमनस्कादिक:) मन-आदि से अन्य अवराहम्मि (अपराधे) अपराध में अवलेहणीया (अवलेखनिका) बाँस का छिलका अवसाणं (अवसानं) नाश, अन्त अवहंत (अवधत्) वध किया अविगडितफलं (अविगणित फलं) फल का बिना विचार किये अवेति (अपेति) नष्ट होना असंचइए (असञ्चयिक) सञ्चय न करने योग्य असठभावो (अशठभाव:) सरलतापूर्वक असहू (असहु) असमर्थ, अशक्त असियाए (असिना) दाँती से अहक्कम (यथाक्रम) क्रमानुसार अहिगरणं (अधिकरणं) असंयम, पापकर्म १०३ १११ १०० ८० ३१ ११७ ८७-९० आ ८४ १३४ १२९ १४० आइक्खिआव (आख्यायित:) उक्त, उपदिष्ट आएसट्ठ (आदिष्ट) आदेश होने पर आगमेस्साए (आगमिष्यति) आयेगा आजातीया (आजाति:) आगमन, उत्पत्ति आणं (आनयन) लाना आयाई, आयाति, (आजाति:) उत्पत्ति आयारधरो (आचारधरः) गणि सम्पदा-विशेष आरोवण (आरोपणा) प्ररूपणा आलोए (आलोचयेत्) आलोचना करनी चाहिए आसज्ज (आसाद्य) प्राप्त कर आसायणा (आशातना) अपमान, तिरस्कार आसायंतो (आशातयन्) आशातना करते हुए ७० ९० ११५ ३,६,१८,१९,२२ २४

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