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छन्द-दृष्टि से दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : पाठ-निर्धारण ९३ प्राकृत रूपों को समाविष्ट करना पड़ता है। इन गाथाओं की सूची इस प्रकार है -
पादपूरक निपातों की वृद्धि करने से छन्द की दृष्टि से शुद्ध गाथायें क्रम सं० गाथा सं० शब्द-संशोधन
गाथा उ० 'उ' वृद्धि उ० 'हि' वृद्धि विद्या
चार्थक 'अ' वृद्धि
उद्गाथा
EC » »
छाया
प्र०
लज्जा
उ०
गौरी धात्री उद्गाथा
उ०
उ०
चूर्णा
냉 영 명 영 명 영 넹 명 영 영 영 영 영 영 녕 영 영 영
उ०
બે છે . બ બ બે બે બે બે વ ત વ બ બ
उद्गाथा क्षमा देही छाया
:
'उ' वृद्धि
देही
१५. १६.
'तु' वृद्धि
८५ १२२ १२९ १३८
'य' वृद्धि 'उ' वृद्धि
विद्या उद्गगाथा चूर्णा
१८.
उ०
'अ' वृद्धि
की
इसप्रकार ४३ (१४,११,१८) गाथाओं में छन्द की दृष्टि से पाठ-शुद्धि के लिए लघु संशोधनों की आवश्यकता है और इस तरह ११९ (७६,२३) गाथायें छन्द की दृष्टि से शुद्ध हो जाती हैं।
लगभग २६ गाथाओं में गाथा लक्षण (घटित करने के उद्देश्य से) पाठान्तरों का में अध्ययन करने हेतु द०नि० की समान्तर गाथाओं का सङ्कलन किया गया है, जो पृष्ठ ९९-११८ पर दी गई हैं। प्राप्त समानान्तर गाथाओं के आलोक में ही उक्त गाथाओं को छन्द की दृष्टि से शुद्ध किया गया है।९- शुद्ध की जाने वाली गाथाओं का क्रमाङ्क, स्थानापन्न संशोधनों का विवरण नीचे सारिणी में दिया गया है