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छेदसूत्रागम और दशाश्रुतस्कन्ध
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'छेद' शब्द की व्युत्पत्ति
'छेद' शब्द छिद् धातु से (काटने या भेदने अर्थ में) भाव अर्थ में घञ् प्रत्यय होकर निष्पन्न हुआ है। छेद का शाब्दिक अर्थ होता है१४- काटना, गिरामा, तोड़ डालना, खण्ड-खण्ड करना, निराकरण करना, हटाना, छिन्न-भिन्न करना, साफ करना, नाश, विराम, अवसान, समाप्ति, लोप होना, टुकड़ा, ग्रास, कटौती, खण्ड, अनुभाव, आदि। - जैन परम्पस में छेद शब्द सामान्यत: जैन आचार्यों द्वारा प्रायश्चित्त के एक भेद के रूप में ही ग्रहण किया गया है। आचार्य कुन्दकुन्द५ में छेद का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए कहा है "सोना, बैठना, चलना आदि क्रियाओं में जो सदा साधु की प्रयत्न के बिना प्रवृत्ति होती है- उन्हें असावधानी से सम्पन्न किया जाता है। यह प्रवृत्ति हिंसारूप मानी गई है। शुद्धोपयोग रूप मुनिधर्म के छेद (विनाश) का कारण होने से उसे छेद (अशुद्ध उपयोग रूप) कहा गया है।" पूज्यपाद ने 'सर्वार्थसिद्धि में इसे परिभाषित करते हुए कहा है- “कान, नाक आदि शरीर के अवयवों के काटने का नाम छेद है। यह अहिंसाणुव्रत के पाँच अतिचारों के अन्तर्गत है। दिन, पक्ष अथवा मास आदि के विभाग से अपराधी साधु के दीक्षाकाल को कम करना छेद कहा जाता है। यह नौ प्रकार के प्रायश्चित्तों में से एक है।" तत्त्वार्थभाव्य सिद्धसेववृत्ति में छेद का अर्थ अपवर्तन और अपहार बताया गया है। छेद, महाव्रत-आरोपण के दिन से लेकर दीक्षा-पर्याय का किया जाता है। जिस साधु के महाव्रत को स्वीकार किये दस वर्ष हुए हैं उसके अपराध के अनुसार कदाचित् पाँच दिन का और कदाचित् दस दिन इस प्रकार छ: मास प्रमाण तक दीक्षापर्याय का छेद किया जा सकता है। इसप्रकार छेद से दीक्षा का काल उतना कम हो जाता है। छेदसूत्र की उत्तमता - छेदसूत्रों को उत्तमश्रुत माना गया है। निशीथभाष्य में भी इसकी उत्तमता का उल्लेख हैं। चूर्णिकार जिनदास महत्तर" यह प्रश्न उपस्थित करते हैं कि छेदसूत्र उत्तम क्यों है? पुनः स्वयं उसका समाधान प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि छेदसूत्र में प्रायश्चित्त विधि का निरूपण है, उससे चारित्र की विशुद्धि होती है, एतदर्थ यह श्रुतं उत्तम माना गया है।
छेदसूत्र नामकरण
दशाश्रुतस्कन्ध आदि आगम ग्रन्थों को छेदसूत्र संज्ञा प्रदान किये जाने के आधार के विषय में भी जैन विद्वानों ने विचार किया है।२० शुब्रिग के अनुसार छेदसूत्र और मूलसूत्र जैन परम्परा में विद्यमान दो प्रायश्चित्तों-छेद और मूल से लिये गये हैं।