Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi Author(s): Kanhaiyalal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar SamitiPage 18
________________ १२ निरयावलिकासूत्रका सम्मतिपत्र. आगमवारिधि-सर्वतन्त्रस्वतन्त्र-जैनाचार्य-पूज्यश्री आत्मारामजी महाराजकी तरफ का आया हुवा सम्मतिपत्र लुधियाना. ता. ११ नवम्बर ४८ श्रीयुत गुलाबचन्दजी पानाचंदजी । सादर जयजिनेन्द्र ॥ पत्र आपका मिला ! निरयावलिका विषय पूज्यश्रीजीका स्वास्थ्य ठीक न होने से उनके शिष्य पं. श्री हेमचन्द्रजी महाराजने सम्मति पत्र लिख दिया है आपको भेज रहै हैं ! कृपया एक कोपी निरयावलिका की और भेज दीजिये और कोई योग्य सेवा कार्य लिखते रहें ? ! भवदीय. गुजरमल-बलवंतराय जैन ॥सम्मतिः॥ (लेखक जैनमुनि पं. श्री हेमचन्द्रजी महाराज) सुन्दरबोधिनीटीकया समलङ्कतं हिन्दी-गुर्जरभाषानुवादसहितं च श्रीनिरयावलिकासूत्रं मेधाविनामल्पमेधसां चोपकारकं भविष्यतीति सुदृढं मेऽभिमतम् , संस्कृतटीकेयं सरला सुवोधा सुललिता चात एव अन्वर्थनाम्नी चाप्यस्ति । सुविशदत्वात् सुगमत्वात् प्रत्येकदुर्बोधपदव्याख्यायुतत्वाच टीकपा संस्कृतसाधारणज्ञानवतामप्युपयोगिनी भाविनीत्यभिप्रेमि । हिन्दी-गुर्जरभाषानुवादावपि एतद्भाषाविज्ञानां महीयसे लाभाय भवेतामिति सम्यक संभावयामि । जैनाचार्य-जैनधर्मदिवाकर-पूज्यश्री घासीलालजी महाराजानां परि श्रमोऽयं प्रशंसनीयो धन्यवादाश्चि ते मुनिसत्तमाः। एवमेव श्रीसमीरमल्लजी-श्री कन्हैयालालजी मुनिवरेण्ययोनियोजनकार्यमपि श्लाध्यं, तावपि च मुनिवरौ धन्यवादा स्तः। सुन्दरप्रस्तावनाविषयानुक्रमादिना समलते सूत्ररत्नेऽस्मिन् यदि शब्दकोपोऽपि दत्तः स्यातहि वरतरं स्यात् । यतोऽस्यावश्यकता सवऽप्यवेषकविद्वांसोऽनुभवन्ति । पाठकाः सूत्रस्यास्याध्ययनाध्यापनेन लेखकनियोजकमहोदयानों परिश्रमं सफलयिष्यन्तीत्याशास्महे । इति ।Page Navigation
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