Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir थेरस्स अदूरसामन्ते उड्ढजाणू जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरड़, तए णं से अजजंबू जायसड्ढे जायसंसए जायको उहल्ले उप्पन्नसद्धे० संजायसद्धे० समुप्पन्नसद्धे० उट्ठाए उट्ठेइ त्ता जेणेव अज्जसुहम्मे थेरे तेणेव उवागच्छइ ता अज्जसुहम्म थेरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदइ नमसइ ता नच्चासन्ने नाइटूरे विणएणं पंजलिपुडे पज्जुवासमाणे एवं व० जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं णवमस्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं अयमठ्ठे पं० दसमस्स णं भंते! अंगस्स पण्हावागरणाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पं०?, जंबू ! दसमस्स अंगस्स समणेणं जाव संपत्तेणं दो सुयक्खंधा पं० - आसवदारा य संवरदारा य, पढमस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पं०?, जम्बू ! पढमस्स णं सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं पंच अज्झयणा पं०, दोच्चस्स णं भंते!० एवं चेव, एएसिं णं भंते! अण्हयसंवराणं समणणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पं० ?, तते णं अज्जसुहम्मे थेरे जंबूनामेणं अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे जंबूं अणगारं एवं व० पा० ) 'पंचविहो पण्णत्तो जिणेहिँ इह अण्हओ अणादीओ। हिंसा मोसमदत्तं अब्बंभ परिग्गहं चेव ॥२॥ जारिसओ १ जनामा २ जहय कओ | ३ जारिसं फलं देति ४। जेविय करेंति पावा पाणवहं ५ तं निसामेह ॥३॥ पाणवहो नाम एस निच्चं जिणेहिं भणिओपावो चंडो रुद्दो खुद्दो साहसिओ अणारिओ णिग्घिणो णिस्संसो महब्भओ पइभओ १० अतिभओ बीहणओ तासणओ अणज्जो उव्वेयणओ य णिरवयक्खो णिद्धम्मो णिम्पिवासो णिक्कलुणो निरयवासगमणनिघणो २० मोहमहब्भयपयट्टओ मरणावेमणस्सो २२ । पढमं ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित www.kobatirth.org २ For Private And Personal

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