Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir जोगपययचरियं परियन्तजुगंतकालकम्पोवमं दुरतं महानई नई वइमहा भी मदरिसणिज्जं दुरणुच्चरं विसमम्पवेसं दुक्खुत्तारं दुरासयं लवणसलिलपुण्णं असियसियसमूसियगेहिं हत्थतर के हिं वाहणेहिं अइवइत्ता समुद्दमझे हणंति गंतूण जणस्स पोते परदव्वहरण (हराण रभसनिरणुकंपा (नरा पा०) निरावकयक्खा गामागरनगरखेड कब्बड मडंबदोणमुह पट्टणासमणिगमजणवते य धणसमिद्धे हणंति थिरहिययछिनलज्जा बंदिग्गहगोग्गहे य गेण्हंति दारुणमती णिक्किवा धणियं हणंति छिंदंति गेहसंधिं निक्खित्ताणि य हरंति धणधन्नदव्वजायाणि जणवयकुलाणं णिग्विणमती परस्स दव्वाइं जे अविरया०, तहेव केई अदिन्नादाणं गवेसमाणा कालाकालेसु संचरंता चियकापज्जलिय सर सदर दड्ढड्ढयकलेवरे रुहिर लित्तवयण अखत ( अदर पा० ) खातियपीतडाइणिभमंत भयंकरे जंबुयक्खिक्खियंते धूयकयघोरसद्दे वेयालुट्टियनिसुद्ध कह क हितपहसितबीहणक निरभिरामे अतिदुब्भिगंधबीभच्छदरिसणिज्जे सुसाणवणसुत्रघरलेण अंतरावणगिरिकंदर विसमसावयसमाकुलासु वसहीसु किलिस्संता सीतातवसोसियसरीरा दड्ढच्छवी निश्यतिरियभवसंकडदुक्खसंभारवेयणिजाणि पावकम्माणि संचिणंता दुल्लहभक्खन्त्रपाणभोयणा पिवासिया झुंझिया किलंता मंसकुणिमकंदमूलजंकिंचिकयाहारा उव्विग्गा उप्पुया असरणा अडवीवास उवेंति वालसतसंकणिज्जं अयसकरा तक्रा भयंकरा कास हरामोति अज्ज दव्वं इति सामत्थं करेंति गुज्झं बहुयस्स जणस्स कज्जकरणेसु विग्धकरा मत्तपमत्तमुत्तवीसत्यछिद्दघाता वसणब्दएस हरणबुद्धी विगव्व रुहिरमहिया परेति नरवतिमज्जायमतिक्कंता सज्जणजणदुर्गुछिया सकम्मेहिं पावकम्मकारी असुभपरिणया ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित www.kobatirth.org २१ For Private And Personal

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