Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वा अहिरन्नसुवन्निकेण समलेठुकंचणेणं अपरिग्गहसंवुडेणं लोगंभि विहरियव्वं, जंपिय होज्जाहि दव्वजातं खलगतं खेत्तगतं रन (जलथलगयं खेत्त पा० ) मंतरगतं वा किंचि पुप्फफलतयप्पवालकंदमूलतणकट्टसक्करादि अप्पं च बहुं च अणुं च थूलगं वा न कप्पति उग्गहंमि अदिण्णंभि गिण्हि जे, हणि २ उग्गहं अणुन्नविय गेण्हियव्वं वज्जेयव्वो य सव्वकालं अचियत्तघरम्पवेसो अचियत्तभत्तपाणं अचियत्तपीढ फलगसेज्जासंथार गवत्थपत्तकं बलदंड गर यह रणनिसे ज्जचोलपट्ट गमुहपोत्तियपायपुंछणाइ | भायणभंडोवहिउवकरणं परपरिवाओ परस्स दोसो परववएसेणं जं च गेण्हइ परस्त नासेइ (सो) जं च सुकथं दाणस्स य अंतरातियं दाणविष्पणासो पेसुन्नं चेव मच्छरितं च, जेविय पीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपायकंबलमुहपोत्तियपायपुंछणादिभायणभंडोवहिउवकरणं असंविभागी असंगहरुती तवतेणे य वइतेणे य रूवतेणे य आयारे चेव भावतेणे य सद्दकरे झञ्झकरे कलहकरे वेरकरे विकहकरे असमाहिकरे सया अप्पमाणभोती सततं अणुबद्धवेरे य निच्चरोसी से तारिसए नाराहए वयमिणं, अह केरिसए पुणाई आराहए वयमिणं?, जे से उवहिभत्तपाणसंग्रहणदाणकुसले अच्चतबालदुब्बलगिलाणवुड्ढखमके पवत्तिआयरियउवज्झाए सेहे साहम्भिके तवस्सीकुलगणसंघचेड़यट्टे य निज्जरट्ठी वेयावच्चं अणिस्सियं दसविहं बहु विहं करेति, न य अचियत्तस्स गिहं पविसइ न य अचियत्तस्स गेण्हइ भक्तपाणं न य अचियत्तस्स सेवई पीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपायकंबलडंडगर यहरणनिसेज्जचोलपट्टयमुहपोत्तियपायपुंछणाइ| भायणभंडोव हिउवगरणं न य परिवार्य परस्स जंपति ण यावि दोसे परस्स गेण्हति परववएसेणवि न किंचि गेण्हति न य विपरिणामेति || श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ५० For Private And Personal

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