Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir |य दुखभागी निच्चाइलदुहमनिव्वुइमणा इहलोके चेव किलिस्संता परदव्वहरा नरा वसणसयसमावण्णा १११ तहेव केई परस्स/ दव्वं गवेसमाणा गहिता य हया य बद्धरुद्धा य तुरियं अतिघाडिया पुरव समप्पिया चोरगहचारभडचाडुकराण तेहि य कप्पडप्पहारनियआरक्खियखरफरुसवयणतजणगलच्छल्लुच्छल्लणाहिं विमणा चारगवसहिं पवेसिया निरयवसहिसरिसं तत्थवि गोमियम्पहारदूमणनिभच्छणकडुयवदणभेसणगा( गमया पा० )भिभूया अक्खित्तनियंसणा मलिणदंडिखंडनिवसणा उक्कोडालंचपासमग्गणपरायणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं गोभियभडेहिं विविहेहिं बंधणेहि, किं ते?, हडिनिगडवालरज्जयकुदंडगवरत्तलोहसंकलहत्थंदुयवझपट्टदामकणिछोडणेहिं अनेहि यएवमादिएहिं गोम्भिकभंडोवकरणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं संकोडमोडणाहिं वझंति मंदपुन्न। संपुडक्वाडलोहपंजरभूमिधरनिरोहकूवचारगकीलगजूयचक्कविततबंधणखंभालणउद्धचलण बंधणविहभ्मणाहि य विहेडयन्ता अवकोडकगाढउरसिरबद्धउद्धपूरितफुरतउरकडगमोडणामेडणाहिं बद्धा य नीससंता सीसावेढउरुयावलचण्डसंधिबंधणतत्तसलागसूइयाकोडणाणि तच्छणविमाणणाणि य खारकडुयतित्तनावणजायणाकराणसयाणि बहुयाणि पावियंता उरक्खोडदिनगाढपेल्लणअढिकसंभग्गसपंसुलीगा गलकालकलोहदंडउरउदरवत्थिपरिपीलिता मत्थंतहिययसंचुण्णियंगमंगा आणत्तीकिंकरहिं केति अविराहियवेरिएहिं जमपुरिससनिहेहिं पहया ते तत्थ मंदपुण्णाचवेडवेलावन्झपट्टपाराइंछिवकसलतवरत्तनेत्तप्पहारसयतालियंगमंगा किवणा लंबतचम्भवणवेयणविमुहियमणा घणकोटिमनियलजुयलसंकोडियमोडिया यकीरंती निरुच्चारा एया अन्ना ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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