Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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मेहुणपरिग्गहारंभकरणकारावणाणु मोदणअट्ठविहअणिटुकम्पपिंडितगुरु भारकंतदुग्गजलोघदूरपणोलिज्माण उम्मुग्गनिमुग्गदल्ल्भतलं सारीरमणोमयाणि दुक्खाणि उम्पियंता सातस्सायपरित्तावणमयं उब्बुड्डनिबुड्डयं करेंता चउरंतमहंतमणवयग्गं रुद्द संसारसागरं अट्ठियं अणालंबणमपतिद्वाणमप्पमेयं चुलसीतिजोणिसय सह स्सगुविलं अणालोक मंधकारं अनंतकालं निच्च उत्तत्थसुण्णभयसण्णसंपत्ता वसंति उव्विगावासवसहिं जहिं २ आउयं निबंधंति पावकम्मकारी बंधवजणसयण मित्तपरिवज्जिया अणिट्ठा भवंति अणादेजदुव्विणीया कुठाणासणकुसेज्जकुभोयणा असुइणो कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरूवा बहुकोहमाणमायालोभा बहुमोह धम्मसन्त्रसम्मत्तपब्भट्ठा दारिद्दोवद्दवाभिभूया निच्चं परकम्पकारिणो जीवणत्थरहिया किविणा परपिंडतक्कका दुक्खलद्धाहारा अरसविरसतुच्छकयकुच्छिपूरा परस्स पेच्छंता रिद्धिसकार भोयणविसेससमुदयविहिं निंदता अप्पकं कयंतं च परिवयंता इह य पुरेकडाई कम्माई पावगाई विमणसो सोएण डच्झमाणा परिभूया होति सत्तपरिवज्जिया य सोभासिप्पकलासमयसत्यपरिवज्जिया जहाजायपसुभूया अवियत्ता णिच्चनीयकम्मोवजीविणो लोयकुच्छणिज्जा मोघमणोरहा निरासबहुला आसापास पडि बद्धपाणा अत्थोपायाणकामसोक्खे य लोयसारे होंति अफलवंतका य सुविय उज्जमंता तद्दिवसुज्जत्तक म्मक यदुक्ख संठ वियसित्यपिंड संचयपक्खीणदव्वसारा निच्चं अधुवधणघण्णको सपरि भोगविवज्जिया रहियकामभोगपरिभोगसव्वसोक्खा पर सिरिभोगोव भोगनिस्साणमग्गणपरायणा वरागा अकामिकाए विर्णेति दुक्खं णेव सुहं णेव
॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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