Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मेहुणपरिग्गहारंभकरणकारावणाणु मोदणअट्ठविहअणिटुकम्पपिंडितगुरु भारकंतदुग्गजलोघदूरपणोलिज्माण उम्मुग्गनिमुग्गदल्ल्भतलं सारीरमणोमयाणि दुक्खाणि उम्पियंता सातस्सायपरित्तावणमयं उब्बुड्डनिबुड्डयं करेंता चउरंतमहंतमणवयग्गं रुद्द संसारसागरं अट्ठियं अणालंबणमपतिद्वाणमप्पमेयं चुलसीतिजोणिसय सह स्सगुविलं अणालोक मंधकारं अनंतकालं निच्च उत्तत्थसुण्णभयसण्णसंपत्ता वसंति उव्विगावासवसहिं जहिं २ आउयं निबंधंति पावकम्मकारी बंधवजणसयण मित्तपरिवज्जिया अणिट्ठा भवंति अणादेजदुव्विणीया कुठाणासणकुसेज्जकुभोयणा असुइणो कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरूवा बहुकोहमाणमायालोभा बहुमोह धम्मसन्त्रसम्मत्तपब्भट्ठा दारिद्दोवद्दवाभिभूया निच्चं परकम्पकारिणो जीवणत्थरहिया किविणा परपिंडतक्कका दुक्खलद्धाहारा अरसविरसतुच्छकयकुच्छिपूरा परस्स पेच्छंता रिद्धिसकार भोयणविसेससमुदयविहिं निंदता अप्पकं कयंतं च परिवयंता इह य पुरेकडाई कम्माई पावगाई विमणसो सोएण डच्झमाणा परिभूया होति सत्तपरिवज्जिया य सोभासिप्पकलासमयसत्यपरिवज्जिया जहाजायपसुभूया अवियत्ता णिच्चनीयकम्मोवजीविणो लोयकुच्छणिज्जा मोघमणोरहा निरासबहुला आसापास पडि बद्धपाणा अत्थोपायाणकामसोक्खे य लोयसारे होंति अफलवंतका य सुविय उज्जमंता तद्दिवसुज्जत्तक म्मक यदुक्ख संठ वियसित्यपिंड संचयपक्खीणदव्वसारा निच्चं अधुवधणघण्णको सपरि भोगविवज्जिया रहियकामभोगपरिभोगसव्वसोक्खा पर सिरिभोगोव भोगनिस्साणमग्गणपरायणा वरागा अकामिकाए विर्णेति दुक्खं णेव सुहं णेव ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित www.kobatirth.org २६ For Private And Personal

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