Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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मणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणइढवेयइढ गिरिविभत्तस्स लवणंजलहिपरिगयस्स छव्विहकालगुणकामजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका धीर कित्तिपुरिसा ओहबला अइबला अनिहया अपराजियसत्तुमद्दणरिपुसहस्समाणमहणा साणुक्कोसा अमच्छरी अचवला अचंडा मितमंजुलपलावा हसियगंभीर महरभणिया ( महर परिपुण्णसच्चवयणा पा० ) अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेया ||माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागार कं तपियदंसणा अमरिसणा पयंडडंडप्पयारगंभीर दरिसणिजा तालद्धउ व्विद्धगरुल केऊ बलवगगजंतदरितदम्पितमुट्ठियचाणूरमूरगा रिट्ठवसभघातिणो केसरिमुहविष्फाडगा दरितनागदम्पमहणा जमलज्जुणभंजगा महासउणिपूरणारिवू कंसमउडमोडगा जरासिंधमाणमहणा तेहि य (अब्भपडलपिंगलुज्जलेहिं पा० ) अविरलसमसहियचंड मंडलसमम्प भेहिं (मंगलस्यभत्तिच्छे यचित्तियखिखिणिमणिहे मजालविइय परिगयपेरंतकणयघंटि| यपयलियखिखिणितसुमहु र सुइसुह सद्दालसोहिएहिं सपयरगमुत्तदालम्बन्त भूसणेहिं नरिंदवामप्पमाणरुं दपरिमंड लेहिं सीयायववायवरि सविसदोसणासेहिं तमरयमलबहु लपडलधाडणपहारे हिं मुद्धसुह सियच्छायसमणुबद्धेहिं वयरामय वत्थिणिउणजोइयअडंसह स्सवर कं चणसलागनिम्मिएहिं सुविमलर ययसुट्टुच्छइएहिं णिउणोवियमिसिमिसितमणिरयण सूरमंडलवितिमिरकर निग्गयपडिहयपुणरविपच्चोवयंतचंचलमरीइकवयं विणिम्मुयंतेहिं पा० ) सूरमिरीयकवयं विणिभ्मुयंतेहिं सपतिदंडे हिं आयवत्तेहिं धरिज्जंतेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकुहर विहरणसमुट्ठियाहिं निरुवहयचमर पच्छिमसरीरसंजाताहिं अमइलसियकमल॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥
३०
पू. सागरजी म. संशोधित
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