Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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सुजायतणुकसिणनिद्धभुमगाअल्लीणपमाणजुत्तसवणासुस्सवणापीपमट्टगंडलेहा चउरंगुलविसालसमनिडाला कोमुदिरयणिकरविमलपडिपुत्रसोमवदणा छत्तुन्यउत्तभंगा अकविलसुसिणिद्धदीहसिस्या छत्तझ्यजूवथूभदाभिणिकमंडलुकलसवाविसोत्थियपडागजवमच्छ कुम्मथवरमकरज्झयअंकथालअंकुसअट्ठावयसुपइट्ठअमरसिरियाभिसेयतोरणमेइणि उदधिवरपवरभवणगिरिवरवायंससललियगयउसभसीहचामरपसत्यबत्तीसलक्खणघरीओ हंससरिच्छगतीओ कोइलमहरगिराओ कंता सव्वस्स अणुमयाओ ववगयवलिपलितवंगदुव्वन्नवाधिदोहग्गसोयमुक्काओ उच्चत्तेण य नराण थोवूणमूसियाओ सिंगारागारचारूवेसाओ सुंदरथणजहणवयणकरचरणणयणालावनरूवजोव्वणगुणोववेया नंदणवणविवरचारिणीओ व्व अच्छराओ उत्तरकुरुमाणुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिजियाओ तिनि य पलिओवमाई परमाउं पालयित्ता ताओऽवि उवणमंति भरणधम्म अवितित्ता कामाणं । १५॥ मेहुणसन्नासंपगिद्धा य मोहभरिया सत्थेहिं हणंति एकमेकं विसयविसउदीरएसु, अवरे परदारेहिं हम्मति विमुणिया धणनासं| सयणविष्यणासंच पाउणंति परस्स दाराओ जे अविरया, मेहुणसन्नसंपगिद्धा य मोहभरिया अस्सा हत्थी गवा य महिसामिगा य मारेंति एक्कमेक्वं, मणुयगणा वानरा य पक्खी य विरुझंति, मित्ताणि खिप्पंभवंति सत्तू, समये धमे गणेय भिंदंति पारदारी, धम्मगुणस्या य बंभयारी खणेण उल्लोढए चरित्ताओ जसमन्तो सुव्वया य पावेंति अ (जस पा०) कित्तिं रोगत्ता वाहिया पवड्दिति रोयवाही, दुवे य लोया दुआराहगा भवंति इहलोए चेव परलोए चेव परस्स दारओ जे अविश्या, तहेव केई परस्स दारं गवेसमाणा गहिया हया श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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