Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥
जंबू! इणमो अण्हयसंवरविणिच्छयं पक्यणस्स निस्संदीवोच्छामि णिच्छयत्थं सुहासियत्थं महेसीहिं ॥१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं| चंपा नाम नगरी होत्या, पुण्णभद्दे चेहए वणसंडे असोगवरपायवे पुढवीसिलापट्टए, तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए नाम राया होत्था, थारिणी देवी, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्ज सुहम्मे नाम थेरे जाइ संपन्ने, कुलसंपन्ने, चल संपन्ने रुव संपन्ने, विषय संपन्ने, नाण संपन्ने, देसण संपन्ने, चरित्त संपने, लज्जा संपन्ने लाघवसंपने ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोभे जियनिदे जियइंदिए जियपरीसहे जीवियासमरणभयविष्पमुक्के तवष्पहाणे गुणप्पहाणे मुक्तिप्पहाणे विजापहाणे मंतष्पहाणे बंभष्पहाणे क्यप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सच्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे चोदसपुव्वी चनाणोवगए पंचहि अणगारसएहिं सद्धि संपरिवुडे पुव्वाणुपुब्विं चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ जाव अहापडिरूवं उग्गहं अग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अपाण भावेमाणे विहरति तेणं कालेणं० अजसुहम्मस्स अंतेवासी अज जंबूनामं अणगारे कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव संखित्तविपुलतेयलेस्से अनसुहम्मस्स
पू. सागरजी म. संशोधित
॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गमा
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79