Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चदगतुंड ढे गियालगसूयीमुह क विलपिंगलक्खगकारंड गचक्क वागड क्को सगरु लपिंगुलसुयबर हि णमयणसालनंदीमुहनंदमाणगको रंगभिंगारगकोणालगजीवजीवक तित्तिरवट्टक लावककपिंजलक कवोतक पारे वयगचिडिंग (प्र०वडग ) ढिंककुक्कुडवे सरमयूर गचउर गह यपोंडरीयसालाग (कर कपा० ) वीरल्लसेणवायस्यविहंगमि ( प्र० से ) णासिचासवग्गुलिचम्मट्ठिलविततपक्खिखह यर विहाणाकते य एवमायी जलथलखगचारिणो उ पंचिंदिए पसुगणे बियतियचउरिदिए य विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडि कूले वराए हणंति बहु संकि लिट्ठ कम्मा, इमेहिं विविहे हिं कारणेहिं, किं ते?, चम्मवसामं समे यसोणियजगफि प्फि समत्थुलुंगहितयंतपित्तफोफसदंत] | अट्ठिमिंजनह नयणकण्णहारुणिनक्क धमणिसिंगदाढिपिच्छविसविसाणवाल हे उं, हिंसंति य भमरमधुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव तेंदिए सरीरोवकरणट्टयाए किवणे बेदिए बहवे वत्थोहारपरिमंडणट्ठा, अण्णेहिं एवमाइएहिं बहूहिं कारणसतेहिं अबुहा इह हिंसंति तसे पाणे इमे य एगिंदिए बहवे वराए तसे य अण्णे तदस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति अत्ताणे असरणे अणाहे अबंधवे कम्मनिगलबद्धे अकुसलपरिणाममंदबुद्धिजणदुव्विजाणए पुढवीमये पुढवीसंसिए' जलमए जलगए अणलाणिलतणवणस्सतिगणनिस्सिए य तम्मयतज्जिते (जिते पा० ) चेव तदाहारे तथ्परिणतवण्णगंधर सफास (प्र० फरिस ) बोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खुसे य तसकाइए असंखे थावरकाए य सुहुमबायर पत्ते यसरीर नामसाधारणे अनंते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते?, || श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ४ For Private And Personal

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