Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir बहुखजपिज्जकलियं कोतुकं विण्हावणकं संतिकम्माणि कुणह ससिरविहोवरागविसमेसु सजणपरियणस्स य नियकस्स य जीवियस्स परिरक्खणद्वयाए पडिसीसकाई च देह देह सीसोवहारे विविहोसहिमज्जमंसभक्खनपाणमल्लाणुलेवणपईवजलिउज्जलसुगंधिधूवावकरपुष्पफल(प्र० बलि)समिद्धे पायच्छित्ते रेह पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरीउप्पायदुस्सुमिणपावसउणअसोमम्गहचरियअमंगलनिमित्तपडिघायहे वित्तिच्छेयं करेह'मा देह किंचि दाणं सुलु हओ सुटु छिन्नो भिन्नत्ति उवदिसंता एवंविहं करेंति अलियं मणेण वायाए कम्मुणा य अकुसला अणज्जा अलियप्पणो अलियधम्मणिरया अलियास कहासु अभिरमंता तुहा अलियं करेत्तु होति य बहुप्पयारं ७॥ तस्स य अलियस्स फलविवार्ग अयाणमाणा वड्डेति महब्भयं अविस्सामवेयणं दीहकालं बहुदुक्खसंकंडं नस्यतिरियजोणिं तेण य अलिएण समणुबद्धा आइधर पुणब्भवंधकारे भमंति भीमे दुग्गतिवसहिमुवगया. ते य दीसंतिह दुग्गया दुरंता परवसा अत्थभोगपरिवज्जिया असुहिता फुडियच्छविबीभच्छविवन्ना खरफरुसविरत झामझुसिरा निच्छाया ललविफलवाया असकतमसक्कया अगंधा अचेयणा दुभगा अकंता काकस्सरा हीणभित्रघोसा विहिंसा जडबहिरन्धभूया य मम्भणा अकं( कमा० )तविक्यकरणा णीया णीयजणनिसेविणो लोगगरहणिजा भिच्चा असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोकवेदअझप्पसमयसुतिवज्जिया नरा धम्मबुद्धिवियला अलिएण य तेणं पडझमाणा असंतएण य अवमाणणपट्ठिभसाहिक्खेवपिसुणभेयणगुरुबंधवसयणमित्तवक्खारदियाई अब्भक्खाणाई बहुविहाई पावेति अणुपमाणि (अपणोरमाई पा०) हिययमणदूमकाई जावजीवं ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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