Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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असंजमो पधणमि गेही लोलिक तक्त्तणति अवहारो १० हत्थलतणं (लहत्तं पा०) पावकम्भकरणं तेणिकं हरणविष्पणासो/ आदियणा लुंपणाधणाणं अप्पच्चओ अप्र० ओवीलो अक्खेवो खेवो २० विक्खेवो कूडया कुलमसी य कंखा लालप्पणपत्थणा य (आससणा य पा०) वसणं इच्छामुच्छा य तण्हागेहि नियडिकम्म अपरच्छंतिविय ३०, तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेज्जाणि होति तीसंअदिवादाणस्सपावलिकलुसम्मबहुलस्सअणेगाई ११०तंपुण करेंतिचोरियं तकरा पदव्वहरा छेयाक्यकरणलद्धलक्खा साहसिया लहुस्सगा अतिमहिच्छलोभगत्था दद्दरओवीलका य गेहिया अहिमर। अणभंजक भागसंधिया रायट्ठकारी य विसयनिच्छूढलोलबझा उद्दोहक गामघाययपुरपायगपंथपायगआलीवगतित्थभेया लहहत्थसंपत्ता जूइकरा खंडरक्खत्थी चोरपुरिसचोरसंधिच्छेया य गंथिभेदगपधणहरणलोभावहारअक्खेवी (घ पा० )हडकारका निम्मद्दगगूढचोरकगोचोरगअस्सचोरगदासिचोराय एक(प्र० थक्क )चोरा ओकड्ढकसंपदायकच्छिपकसत्थधायकृबिलचोरी( कोली) कारका य निगाहविष्पलुंपगा बहुविहतेणिक(प्र० तहव )हरणबुद्धी. एते अन्ने य एवमादी परस्स दव्वा हि जे अविरया०. विपुलबलपरिग्गहा य बहवे रायाणो पघणमि गिद्धा सए व दव्ये असंतुहा परविसए अहिहणंति ते लुद्धा प्रधणस्स कज्जे रंगविभत्त(प्र० समंत )बलसमग्गा निच्छियवरजोहजुद्धसद्धियअहमहमितिदप्पिएहिं (सेनेहिं पा०)संपरिवुडा पउम(प्र०त्त )सगडसूइचक्कसागरगरुलवूहातिएहिं अणिएहिं उत्थरंता अभिभूय हरंति पधणाई अवरे रणसीसलद्धलक्खा संगामंमि अतिवयंति सत्रद्धबद्धपरियरउप्पीलियचिंघपट्टगहियाउहपहरणा ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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