Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir जज्जरियसव्वदेहा विलोलंति महीतले विसूणियंगमंगा (निग्गयंगजीवा पा० ) तत्थ य विगसुणमसियालका कमज्जारसर भदीवियवियग्घवगसद्दूलसीह पियखुहाभिभूतेहिं णिच्चकालमणसिएहिं घोरा रसमाणभीमरू वे हिं अक्कमित्ता दढदाढा गाढडक्ककड्ढियसुतिक्खनहफालियउद्धदेह। विच्छिष्पंते समंतओ विमुक्कसंधिबंधणा वियंगमंगा कंककुर र गिद्धघोर कट्ठवायसगणेहि य पुणो खरथिरदढणक्खलोहतुंडे हिं ओवतित्ता पक्खाहयतिक्खणक्खविकिन्न जिम्मंछियनयणनिद्धओलुग्गविगत्वयणा उक्कोसंता य उप्पयंता निपतता भमंता पुव्वकम्मोदयोवगता पच्छाणुसएण डज्झमाणा णिंदंता पुरेकडाई कम्माई पावगाई तहिं २ तारिसाणि ओसन्नचिक्कणाई दुक्खातिं अणुभवित्ता ततो य आउक्खएणं उव्वट्टिया समाणा बहवे गच्छंति तिरियवसहिं दुक्खुत्तरं सुदारुणं जम्मणमरणजरावाहिपरियट्टणारहट्टं जलथलखहचरपरोप्पर विहिंसणपवंचं इमं च जगपागडं वरागा दुक्खं पावेन्ति दीहकालं, किं ते?, सीउण्हतण्हाखुहवेयणअप्पईकार अडविजम्मणणिच्च भउव्विग्गवासजग्गणवह बंधणताडणंकणनिवायणअद्विभंजणनासाभेयप्पहारदूमणच्छ विच्छे यणअभिओगपावणक संकु सारनिवायदमणाणि वाहणाणि य मायापितिविष्पयोगसोयपरिपीलणाणि य सत्यग्गिविसाभिघायगलगवलआवलणमारणाणि य गलजालुच्छिष्पणाणि पउलणविकम्पणाणि य जावज्जीविगबंधणाणि पंजर निरोहणाणि य सयूहनिद्धाडणाणि य धमणाणि य दोहणाणि य डगलबंधणाणि य वाडगपरिवारणाणि य पंकजलनिमज्जणाणि य वारिष्पवेसणाणि य ओवायणिभंगविसमणिवडणदवग्गिजालदहणाई य. एवं ते दुक्खसयसंपलित्ता नरगाउ आगया इहं सावसेसकम्मा ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ९ For Private And Personal

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