Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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26. As has been stated about Lavan Samudra so should be repeated for Kaalod (Kaalodadhi Sea). The only difference being that instead of Lavan Samudra Kaalodadhi should be said.
॥ पंचमसयए पढमो उद्देसओ समत्तो ॥
२७. [ प्र. ] भगवन् ! आभ्यन्तर पुष्करार्द्ध में सूर्य ईशानकोण में उदय होकर अग्निकोण में अस्त फ
5 होते हैं ? इत्यादि प्रश्न ?
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२७. [ प्र. ] अब्भिंतरपुक्खरद्धे णं भंते ! सूरिया उदीण - पाईणमुग्गच्छ जहेव धायइडस्स वत्तव्वया 5 तहेब अब्भिंतरपुक्खरद्धस्स वि भाणियव्या ?
[उ.] नवरं, अभिलावो जाणेयव्वो जाव तया णं अभिंतरपुक्खरद्धे मंदराणं पुरत्थिम- पच्चत्थिमेणं नेवत्थि ओसप्पिणी नेवत्थि उस्सप्पिणी, अवट्ठिते णं तत्थ काले पन्नत्ते समणाउसो !
सेवं भंते ! सेवं भंते! ति० ।
[.] जिस प्रकार धातकीखण्ड की वक्तव्यता कही गई, उसी प्रकार आभ्यन्तर पुष्करार्द्ध की फ्र वक्तव्यता कहनी चाहिए। विशेष यह है कि धातकीखण्ड के स्थान में आभ्यन्तर पुष्करार्द्ध का नाम कहना चाहिए; यावत् आभ्यन्तर पुष्करार्द्ध में मन्दर पर्वतों के पूर्व-पश्चिम में न तो अवसर्पिणी है और न ही
5 उत्सर्पिणी है, किन्तु हे आयुष्मन् ! श्रमण ! वहाँ सदैव अवस्थित (अपरिवर्तनीय) काल कहा गया है।
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'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है ! भगवन् ! यह इसी प्रकार है' यों कहकर यावत् गौतम स्वामी 5 विचरण करने लगे।
॥ पंचम शतक : प्रथम उद्देशक समाप्त ॥
27. [Q.] Bhante ! In the inner Pushkarardh continent do suns rise in the north-east ( Ishan Kone) and set in the south-east (Agneya Kone ) ? And the following questions as aforesaid.
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"Bhante! Indeed that is so. Indeed that is so." With these words... and f so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
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END OF THE FIRST LESSON OF THE FIFTH CHAPTER.
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[Ans.] As has been stated about Dhataki Khand so should be repeated for inner Pushkarardh continent. The only difference being that instead 卐 of Dhataki Khand inner Pushkarardh should be said... and so on up to ... in the region east and west of the Mandar mountain in inner Pushkarardh continent there is neither Avasarpini nor Utsarpini but hAvasthit Kaal (changeless time ), O Long lived Shraman.
पंचम शतक प्रथम उद्देशक
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Fifth Shatak: First Lesson
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