Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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卐 [उ. ] हंता, गोयमा ! जाव भवति। एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्वं जाव०।
२४. [प्र. ] भगवन् ! जब धातकीखण्ड द्वीप के मन्दर पर्वतों से पूर्व में दिन होता है, तब क्या ऊ पश्चिम में भी दिन होता है ? और जब पश्चिम में दिन होता है, तब क्या धातकीखण्ड द्वीप के मन्दर
पर्वतों से उत्तर-दक्षिण में रात्रि होती है ? 卐 [उ. ] हाँ, गौतम ! (यह इसी तरह होता है), यावत् (रात्रि) होती है और इसी अभिलाप से जानना चाहिए, यावत्
24. [Q.] Bhante ! When it is day on the east of the Mandar mountain, is it also day on the west of Mandar mountain ? And when there is day on the east of the Mandar mountain, is there night on the south and north of the Mandar mountain in Dhataki Khand ?
(Ans.) Yes, Gautam ! (It is like that; which means—) there is night on its north and south. The rest should be repeated like this.
२५. [प्र. ] जया णं भंते ! दाहिणड्ढे पढमा ओसप्पिणी तया णं उत्तरड्ढे, जया णं उत्तरड्ढे तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पब्बयाणं पुरथिम-पच्चत्थिमेणं णेवत्थि ओसप्पिणी जाव समणाउसो !
[उ. ] हंता, गोयमा ! जाव समणाउसो !
२५. [प्र. ] भगवन् ! जब दक्षिणार्द्ध में प्रथम अवसर्पिणी होती है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी प्रथम 5 अवसर्पिणी होती है ? और जब उत्तरार्द्ध में प्रथम अवसर्पिणी होती है, तब क्या धातकीखण्ड द्वीप के
मन्दर पर्वतों से पूर्व-पश्चिम में भी अवसर्पिणी नहीं होती? यावत् उत्सर्पिणी नहीं होती? परन्तु आयुष्मान् श्रमणवर्य ! क्या वहाँ अवस्थितकाल होता है ?
[उ. ] हाँ, गौतम ! (यह इसी तरह होता है), यावत् हे आयुष्मान् श्रमणवर्य ! वहाँ अवस्थित काल म होता है।
25. [Q.] Bhante ! In the southern half, when it is the first Avasarpini (the first regressive cycle of time) then in the northern half too is it the 45 first Avasarpini ? And when it is the first Avasarpini in the northern
half then in the region east and west of the Mandar mountain in Dhataki Khand is there neither Avasarpini nor Utsarpini but Avasthit Kaal (changeless time), O Long lived Shraman ?
[Ans.] Yes, Gautam ! (It is like that-)... and so on up to... Avasthit Kaal (changeless time), O Long lived Shraman.
२६. जहा लवणसमुद्दस्स वत्तव्यया तहा कालोदस्स वि भाणियव्या, नवरं कालोदस्स नामं भाणियव्वं ।
२६. जैसे लवणसमुद्र के विषय में वक्तव्यता कही, वैसे कालोद (कालोदधि) के सम्बन्ध में भी कह 卐 देनी चाहिए। विशेष इतना ही है कि वहाँ लवणसमुद्र के स्थान पर कालोदधि का नाम कहना चाहिए।
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भगवती सूत्र (२)
(22)
Bhagavati Sutra (2)
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