Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक: पावयण जग्गथं पा अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ Kalaजा सच्च जो उवमिन गयरं वंदे जइ सयय संघ श्री अ.भा.सुध सुधर्म जैन संस्था सस्कृति रक्षाक से (क संघ जोधपुर जोधपुर मार . अरि अखि शाखा कार्यालय धर्म जैन संस्कार साय सुधर्मजनेहरू गेट बाहर, ब्यावर (राजस्थान) संस्कृति रोक भारतीय सुधर्म जैन यस्त संस्कृति रक्षक संघ खिल भारतीय संघर्म ज०: (01462) 251216, 257699, 250328 संस्कृति रक्षक संघा अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अनि संघ अनि अनि रक्षक संघ अनि तिरक्षक संघ अध AALAMJAGALoUI कातरक्षकसंघ आVEजलस्कृतिरकसघाखलभारत जणल प्रतिरक्षकासघ आComयसम विसंघर्मजन संस्कनि रक्षक संघ अखिलभारतमा कति रक्षक संघ स्कान तिरक्षक संघ यसुधमा मन ति रक्षक संघ यसुधर्म सुसंस्कृति तिरक्षक संघ नीयसुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृतिक ति रक्षक संघ अनि नीयसुधर्म जैनकति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति INIमरि तिरक्षक संघ अनि जीवसुधर्मजैन कति रक्षक संघ लरतीय सुधर्म जैन संस्कृति असि तिरक्षक संघ अVि6 - असि तिरक्षक संघ अनि नाभसुध अखि तिरक्षक संघः अनि तीसुधन तिरक्षक संघ अHिI जैन सस्कृति रक्षक आरवल भारतीय सुधमणकालय अखि तिरक्षक संघ अदि। य न संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म निरक्षः असि तिरक्षक संघ अनि कीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षा अखि ति रक्षक संघ अ तीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृतिक INअखि तिरक्षक संघ अन यसुधर्मजैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति तिरक्षक संघ जन संस्कतिक संघ अखिल भारतीय तिरक्षक संघ काठन शब्दाथवभावाथ एवाववचन सा अखि तिरक्षक संघ अGि स्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संरक अखि तरक्षक संघ आRenpna SEANCIANAVAOTOSXoeXOCAL CHANDANA तिरक्षक संघ अXिXDXOXOXOoxEKXooरास शक्षक संघ आGAGGAGand अखि तिरक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखि तिरक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखि ति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्ष आवरण सौजन्य तीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखि तिरक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्मजैन संस्कृति रक्षक संघ असि तिरक्षक संघ अखिल भारतीय ति रक्षक संघ अखिल भारतीय। रक्षक संघ अखि तिरक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति मत ओखल भारतीय सुधमे जैन संस्कृति रक्षवादांच अखि तिरक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ असि चन्द्रप्रज्ञप्ति सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र अखि अखि अब विद्या बाल मंडली सोसायटी, मेरठ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ साहित्य रत्न माला का १३३ वा रत्न IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र सम्पादक नेमीचन्द बांठिया पारसमल चण्डालिया I -प्रकाशकश्री. अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, जोधपुर शाखा-नेहरू गेट बाहर, ब्यावर-305901 22 (01462) 231216, 257699 Fax No. 250328 For Personal & Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । द्रव्य सहायक उदारमना श्रीमान् सेठ जशवंतलाल भाई शाह, बम्बई प्राप्ति स्थान १. श्री अ. भा. सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, सिटी पुलिस, जोधपुर 0 2626145 २. शाखा-अ. भा. सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, नेहरू गेट बाहर, ब्यावर 2251216 ३. महाराष्ट्र शाखा-माणके कंपाउंड, दूसरी मंजिल आंबेडकर पुतले के बाजू में, मनमाड़ ४. श्री जशवन्तभाई शाह एदुन बिल्डिंग पहली धोबी तलावलेन पो० बॉ० नं० 2217, बम्बई-2| ५. श्रीमान् हस्तीमल जी किशनलालजी जैन प्रीतम हाऊ० कॉ० सोसा० ब्लॉक ०.१० स्टेट बैंक के सामने, मालेगांव (नासिक) 8 252097 ६. श्री एच. आर. डोशी जी-३६ बस्ती नारनौल अजमेरी गेट, दिल्ली-६,23233521 ७. श्री अशोकजी एस. छाजेड़, १२१ महावीर क्लॉथ मार्केट, अहमदाबाद 95461234 ८. श्री सुधर्म सेवा समिति भगवान् महावीर मार्ग, बुलडाणा ६. श्री श्रुतज्ञान स्वाध्याय समिति सांगानेरी गेट, भीलवाड़ा 8236108 १०. श्री सुधर्म जैन आराधना भवन २४ ग्रीन पार्क कॉलोनी साउथ तुकोगंज, इन्दौर ११. श्री विद्या प्रकाशन मन्दिर, ट्रांसपोर्ट नगर, मेरठ (उ. प्र.) १२. श्री अमरचन्दजी छाजेड़, १०३ वाल टेक्स रोड़, चैन्नई 225357775 | १३. श्री संतोषकुमार बोथरावर्द्धमान स्वर्णअलंकार ३६४, शॉपिंग सेन्टर, कोटा 82360950 मूल्य : २०-०० | द्वितीय आवृत्ति वीर संवत् २५३३ १००० विक्रम संवत् २०६४।। सितम्बर २००७ मुद्रक - स्वास्तिक प्रिन्टर्स प्रेम भवन हाथी भाटा, अजमेर 2 2423295 For Personal & Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निवेदन जैन आगम साहित्य गहन, गूढ़ एवं सूक्ष्म हैं इसमें आध्यात्मिकता की उत्कर्ष भूमिका तक पहुँचाने के साधनों का वर्णन मिलता है, तदनुसार इसकी विषय सामग्री भी विशाल एवं तलछट तक पहुँच कर विभिन्न तथ्यों को उजागर करने वाली है। इस रत्नाकर में अनेक प्रकार रत्न समाहित हैं, जिसके तल को स्पर्श करने पर अनेक प्रकार के रत्न प्राप्त हो सकते हैं। इसमें जहाँ एक ओर जीव- अजीव, लोक- अलोक, आचार विचार और इससे सम्बन्ध रखने वाले पुण्य, पाप, आस्रव, बंध आदि के स्वरूप का निरूपण किया गया है, तो दूसरी ओर संसार के समस्त बन्धनों से मुक्त होने पर भी चिंतन किया गया है। इसके अलावा धर्मास्तिकाय आदि जैसे अरूपी लोक अलोक व्यापी द्रव्यों, ज्योतिष, भूगोल - खगोल- गणित आदि अनेक विषयों पर भी इस दर्शन में गहन चिंतन-मनन किया गया है। इस प्रकार संसार का ऐसा कोई भी तत्त्व नहीं जिसका निरूपण इस दर्शन में नहीं मिलता है। जहाँ तक इस दर्शन में निरूपित विषयों की प्रामाणिकता का प्रश्न है, वे सम्पूर्ण विषय सर्वज्ञ सर्वदर्शी तीर्थंकर प्रभु अथवा श्रुत केवली कथित हैं। श्रुतकेवली रचित आगम साहित्य भी उतना ही प्रामाणिक माना जाता जितना सर्वज्ञ कथित, क्योंकि श्रुतधर केवली अपनी कमनीय- कल्पना का संमिश्रण अपने आगम साहित्य में नहीं करते, वे तो केवल भाव को भाषा के परिधान में समलंकृत करते हैं। अत एव यह पूर्ण खातरी के साथ कहा जा सकता है कि जिन-जिन विषयों का इस दर्शन में प्रतिपादन हुआ है वह शतप्रतिशत प्रामाणिक ही है। जैन आगम साहित्य का समय-समय पर विभिन्न रूप में वर्गीकरण हुआ है । सर्व प्रथम इसे अंग-प्रविष्ट और अंग बाह्य के रूप में प्रतिष्ठापित किया गया। अंग-प्रविष्ट में, उन आगमों को लिया गया, जिनका निर्यूहण गणधर भगवन्तों द्वारा किया है और अंग बाह्य में स्थविर श्रुतकेवली रचित आगम साहित्य को । समवायांग और अनुयोग द्वार सूत्र में आगम साहित्य का केवल द्वादशांगी के रूप में निरूपण हुआ है। इसके अलावा आगम साहित्य का उसकी विषय सामग्री के अनुसार (द्रव्यानुयोग, चरणानुयोग, गणितानुयोग एवं धर्मकथानुयोग में) भी वर्गीकरण For Personal & Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [4] 牲本來平平平平平本來來來牛牛牛牛牛****本本中韩将本书本來來來來來粹來本來本中******* हुआ है। सबसे अर्वाचीन रूप जो वर्तमान बत्तीस आगम साहित्य का है वह है - ग्यारह अंग, बारह उपांग, चार मूल, चार छेद और बत्तीसवाँ आवश्यक सूत्र। प्रस्तुत चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र और सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र छट्ठा एवं सातवाँ उपांग हैं। चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र कालिक सूत्र है। इसमें २० प्राभृत हैं। इसका विषय गणितानुयोग है। सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र उत्कालिक सूत्र है। इसमें भी २० प्राभृत हैं। इन उपांगों में खगोल-गणित नक्षत्र, ज्योतिष आदि विषयों की मुख्य रूप से चर्चा हुई है। इन उपांगों के बारे में उल्लेख मिलता है कि नियुक्तिकार श्री भद्रबाहु ने प्रथम बार नियुक्ति की रचना की थी, किन्तु काल दोष से नष्ट हो जाने अथवा अन्य किसी, कारण से उपलब्ध न होने पर आचार्य मलयगिरि ने इन पर टीका लिखी, उन्होंने अपनी टीका में लिखा है 'भद्रबाहुसूरिकृत नियुक्ति के नष्ट हो जाने से मैं केवल मूल सूत्र की व्याख्या करूँगा।' जैन आगम साहित्य में चन्द्र, सूर्य, नक्षत्र, ज्योतिष्कचक्र आदि का व्यवस्थित एवं विस्तृत वर्णन जैसा इन उपांगों में उपलब्ध है वैसा अन्यत्र कही नहीं है, बावजूद इसके इनका अध्ययन सामान्य पाठकों के लिए वर्जित है। इनके अर्न्तगत जहाँ नक्षत्रों का वर्णन है वहाँ भोजन सम्बन्धी जो पाठ है, वे अमुक अभक्ष्य पदार्थों के भक्षण से सम्बन्ध रखने वाले हैं, जो भगवद् वाणी से कदापि मेल नहीं खाते हैं। वीतराग वाणी में इस प्रकार के अभक्ष्य के भक्षण रूप प्ररूपणा कदापि नहीं हो सकती है। अत एव सामान्य पाठक भम्रित न हो, उनकी श्रद्धा डांवाडोल न हो। अत एव पूर्वाचार्यों ने उनके लिए इनके पढ़ने का निषेध किया है। मात्र बहुश्रुत गीतार्थ आगम के तलस्पर्शी ज्ञाताओं को ही इन्हें पढ़ने की आज्ञा दी, वे ही इन स्थलों का अपने विशिष्ट क्षयोपशम के अनुसार उचित, आगे पीछे का संदर्भ जोड़कर एवं अभक्ष पदार्थ का वनस्पति परक अर्थ संगत बिठा सकते हैं। यही कारण है कि इन दोनों सूत्रों का मूल पाठ ही संघ द्वारा प्रकाशित अनंगपविट्ठ सुत्ताणि से यहाँ उद्धृत कर प्रकाशित करवाया जा रहा है। ___चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र के दसवें पाहुड (प्राभृत) के सतरहवें पाहुडपाहुड (प्रति प्राभृत) में नक्षत्र में क्या भोजन करना विषयक पाठ है। यहाँ. मंसं' शब्द आया है। इस विषयक पूज्य ज्ञानी गुरु भगवंतों से जानकारी प्राप्त हुई है कि पूज्य बहुश्रुत गीतार्थ पं. र. श्री समर्थमलजी म. सा. की धारणा इस प्रकार थी - For Personal & Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [5] 林************本本本中中中中中中中中中中中******************** *** "इस पाठ के आगे ‘एगे एवमाइक्खंति वयं पुण एवं वयामो' करके सूत्रकार का अपना मंतव्य दिखाने वाला पाठ कहीं छूट गया लगता है। सूत्रकार के किसी वचन में मांस भक्षण प्रेरक कोई मिथ्या उपदेश संभव नहीं है।" ___निघण्टु आदि शब्दकोष में बहुत से मंस सूचक शब्दों के वनस्पति परक अर्थ किये हैं. यहाँ भी उसी प्रकार का अर्थ संभव है। क्योंकि पंचेन्द्रिय घात और मांस का सेवन नरक गति में जाने का कारण होने से तीर्थंकर प्रभु ऐसी प्ररूपणा नहीं कर सकते हैं। ... सूर्यप्रज्ञप्ति एवं चन्द्रप्रज्ञप्ति दोनों सूत्रों के पाठ कुछ श्लोकों के अलावा प्रायः समान है। इसका समाधान पूज्य स्वर्गीय गुरुदेव बहुश्रुत पण्डित समर्थमलजी म. सा. ने इस प्रकार फरमाया कि - जैसे सूर्यप्रज्ञप्ति की दो नकले पड़ी हों, उसमें से एकाध पाना चन्द्रप्रज्ञप्ति का शामिल हो गया हो, उस पन्ने को देख कर सूर्य प्रज्ञप्ति पर ही चन्द्र प्रज्ञप्ति नाम लगा दिया हो, फिर नकलें होकर प्रचलित हो गई हो। अथवा शास्त्र लिपिबद्ध करते समय इन दोनों सूत्रों को भिन्न-भिन्न साधु द्वारा लिपि बद्ध करते हुए एक तरफ एक सूत्र और दूसरी तरफ दूसरे सूत्र के बदले भ्रांति से उसी को लिपि बद्ध कर दिया हो अथवा दीमक आदि पाने को खा जाने से दूसरे सूत्र की भ्रांति में दूसरे का ही लगा दिया हो, इत्यादि कारण हो सकते हैं वस्तुतः यह विशेषज्ञों के खोज का विषय है। -- इन सूत्रों में मंडल गति संख्या, सूर्य का तिर्यक् परिभ्रमण, प्रकाश्य क्षेत्र परिमाण, प्रकाश संस्थान, लेश्या प्रतिघात, ओजःसंस्थिति, सूर्यावरक उदय संस्थिति, पौरुषी छाया प्रमाण योगचररुप, संवत्सरों के आदि और अंत, संवत्सर के भेद, चन्द्र की वृद्धि अपवृद्धि, ज्योत्सना प्रमाण, शीघ्र गति निर्णय, ज्योत्सना लक्षण, च्यवन और उपपात, चन्द्रसूर्य आदि की ऊंचाई, उनका परिमाण, नक्षत्रों एवं अमुक नक्षत्र में अमुक भोजन ग्रहण करने आदि का अधिकार। इनकी रचना गद्य-पद्य दोनों के मिश्रण से हुई है। इनमें एक अध्ययन, २० प्राभृत और उपलब्ध मूल पाठ २२०० श्लोक परिणाम है। For Personal & Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [6] ************************************************************ संघ का आगम प्रकाशन का कार्य पूर्ण हो चुका है। इस आगम प्रकाशन के कार्य में धर्म प्राण समाज रत्न तत्त्वज्ञ सुश्रावक श्री जशवंतलाल भाई शाह एवं श्राविका रत्न श्रीमती मंगला बहन शाह, बम्बई की गहन रुचि है। आपकी भावना है कि संघ द्वारा जितने भी आगम प्रकाशित हुए हैं वे अर्द्ध मूल्य में ही बिक्री के लिए पाठकों को उपलब्ध हों। इसके लिए उन्होंने सम्पूर्ण आर्थिक सहयोग प्रदान करने की आज्ञा प्रदान की है। तदनुसार प्रस्तुत आगम पाठकों को उपलब्ध कराया जा रहा है, संघ एवं पाठक वर्ग: आपके इस सहयोग के लिए आभारी हैं। आदरणीय शाह साहब तत्त्वज्ञ एवं आगमों के अच्छे ज्ञाता हैं। आप का अधिकांश समय धर्म साधना आराधना में बीतता है। प्रसन्नता एवं गर्व तो इस बात का है कि आप स्वयं तो आगमों का पठन-पाठन करते ही हैं, पर आपके सम्पर्क में आने वाले चतुर्विध संघ के सदस्यों को भी आगम की वाचनादि देकर जिनशासन की खूब प्रभावना करते हैं। आज के इस हीयमान । युग में आप जैसे तत्त्वज्ञ श्रावक रत्न का मिलना जिनशासन के लिए गौरव की बात है। आपकी धर्म सहायिका श्रीमती मंगलाबहन शाह एवं पुत्र रत्न मयंकभाई शाह एवं श्रेयांसंभाई शाह भी आपके पद चिह्नों पर चलने वाले हैं। आप सभी को आगमों एवं थोकड़ों का गहन अभ्यास है। आपके धार्मिक जीवन को देख कर प्रमोद होता है। आप चिरायु हों एवं शासन की प्रभावना करते रहें। चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र की प्रथम आवृत्ति का प्रकाशन सितम्बर २००६ में हुआ था। जो अल्प समय में ही अप्राप्य हो गई। अब इसकी द्वितीय आवृत्ति का प्रकाशन शाह परिवार, मुम्बई की ओर से किया जा रहा है। जैसा कि पाठक बन्धुओं को मालूम ही है कि वर्तमान में कागज एवं मुद्रण सामग्री के मूल्य में काफी वृद्धि हो चुकी है। फिर भी श्रीमान् सेठ जशवंतलाल भाई शाह, मुम्बई के आर्थिक सहयोग से इसका मूल्य मात्र रु. २०) बीस रुपया ही रखा गया है जो कि वर्तमान परिपेक्ष्य में ज्यादा नहीं है। पाठक बन्धु इस द्वितीय आवृत्ति का अधिक से अधिक लाभ उठाएंगे। इसी शुभ भावना के साथ! ब्यावर (राज.) संघ सेवक दिनांकः २०-९-२००७ नेमीचन्द बांठिया अ. भा. सु. जैन सं. रक्षक संघ, जोधपुर For Personal & Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अस्वाध्याय निम्नलिखित बत्तीस कारण टालकर स्वाध्याय करना चाहिये। आकाश सम्बन्धी १० अस्वाध्याय काल मर्यादा १. बड़ा तारा टूटे तो एक प्रहर २. दिशा-दाह * जब तक रहे ३. अकाल में मेघ गर्जना हो तो दो प्रहर ४. अकाल में बिजली चमके तो एक प्रहर ५. बिजली कड़के तो आठ प्रहर ६. शुक्ल पक्ष की १, २, ३ की रात प्रहर रात्रि तक ७. आकाश में यक्ष का चिह्न हो जब तक दिखाई दे ८-९. काली और सफेद अर जब तक रहे १०. आकाश मंडल धूलि से आच्छादित हो जब तक रहे औदारिक सम्बन्धी १० अस्वाध्याय ११-१३. हड्डी, रक्त और मांस, ये तिर्यंच के ६० हाथ के भीतर हो। मनुष्य के हो, तो १०० हाथ के भीतर हो। मनुष्य की हड्डी यदि जली या धुली न हो, तो १२ वर्ष तक। १४. अशुधि की दुर्गध आवे या दिखाईवे तब तक १५. श्मशान भूमि सौ हाथ से कम दूर हो, तो। १६. चन्द्र ग्रहण खंड ग्रहण में ८ प्रहर, पूर्ण हो तो १२ प्रहर ... (चन्द्र ग्रहण जिस रात्रि में लगा हो उस रात्रि के प्रारम्भ से ही अस्वाध्याय गिनना चाहिये।) . : १७. सूर्य ग्रहण खंड ग्रहण में १२ प्रहर, पूर्ण हो तो १६ प्रहर (सर्य ग्रहण जिस दिन में कमी भी लगे उस दिन के प्रारंभ से ही उसका अस्वाध्याय गिनना चाहिये। १८. राजा का अवसान होने पर, जब तक नया राजा घोषित न हो १९. युद्ध स्थान के निकट - जब तक युद्ध चले २०. उपाश्रय में पंचेन्द्रिय का शव पड़ा हो, जब तक पड़ा रहे ' (सीमा तिर्यंच पंचेन्द्रिय के लिए ६० हाथ, मनुष्य के लिए १०० हाथ। उपाश्रय बड़ा होने पर इतनी सीमा . के बाद उपाश्रय में भी अस्वाध्याय नहीं होता। उपाश्रय की सीमा के बाहर हो तो यदि दुर्गन्ध न आवे या दिखाई न देवे तो अस्वाध्याय नहीं होता।) २१-२४. आषाढ, आश्विन, कार्तिक और चैत्र की पूर्णिमा दिन रात २५-२८. इन पूर्णिमाओं के बाद की प्रतिपदा दिन रात २९-३२. प्रातः, मध्याहू, संध्या और अर्द्ध रात्रिइन चार सन्धिकालों में १-१ मुहूर्त उपरोक्त अस्वाध्याय को टालकर स्वाध्याय करना चाहिए। खुले मुंह नहीं बोलना तथा सामायिक, पौषध में दीपक के उजाले में नहीं वांचना चाहिए। नोट - नक्षत्र २८ होते हैं उनमें से आर्द्रा नक्षत्र से स्वाति नक्षत्र तक नौ नक्षत्र वर्षा के गिने गये हैं। इनमें होने वाली मेघ की गर्जना और बिजली का चमकना स्वाभाविक है। अतः इसका अस्वाध्याय नहीं गिना गया है। * आकाश में किसी दिशा में नगर जलने या अग्नि की लपटें उठने जैसा दिखाई दे और प्रकाश हो तथा नीचे अंधकार हो, वह दिशा-दाह है। निकट For Personal & Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १-१५ १-४ ६-८ ६-१० विषयानुक्रमणिका चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र विषय १. पढमं पाहुडं १. पढमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं २. पढमस्स पाहुडस्स बीयं पाहुडपाहुडं ३. पढमस्स पाहुडस्स तइयं पाहुडपाहुडं ४. पढमस्स पाहुडस्स चउत्थं पाहुडपाहुडं .. ५. पढमस्स पाहुडस्स पंचमं पाहुडपाहुडं ६. पढमस्स पाहुडस्स छठं पाहुडपाहुडं ७. पढमस्स पाहुडस्स सत्तमं पाहुडपाहुडं ८. पढमस्स पाहुडस्स अट्ठमं पाहुडपाहुडं २. बीयं पाहुडं १. बिइयस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं २. बिइयस्स पाहुडस्स बिइयं पाहुडपाहुडं ३. बिइयस्स पाहुडस्स तइयं पाहुडपाहुडं ३. तइयं पाहुडं ४. चउत्थं पाहुडं ५. पंचमं पाहुडं ६. छठे पाहुडं ७. सत्तमं पाहुडं ८. अट्ठमं पाहुडं ६. णवमं पाहुडं १०. दसमं पाहुडं १. दसमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं २. दसमस्स पाहुडस्स बिइयं पाहुडपाहुडं ३. दसमस्स पाहुडस्स तइयं पाहुडपाहुडं ४. दसमस्स पाहुडस्स चउत्थं पाहुडपाहुडं ५. दसमस्स पाहुडस्स पंचमं पाहुडपाहुडं १०-१२ १२. १२-१५ १५-२० १५-१६ १६-१७ १७-२० २०-२१ २१-२३ २३-२४ २४-२६ २६-३० ३०-३३ ३३ ३३-३५ ३५-३६ ३७ For Personal & Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठ ३७-३६ ३६-४० ४१-४२ ४२-४३ ४५-४६ ४६ ४६ विषय ६. दसमस्स पाहुडस्स छठें पाहुडपाहुडं . ७. दसमस्स पाहुडस्स सत्तमं पाहुडपाहुडं ८. दसमस्स पाहुडस्स अहमं पाहुडपाहुडं ६.. दसमस्स पाहुडस्स णवम पाहुडपाहुड १०. दसमस्स पाहुडस्स दसमं पाहुडपाहुडं ११. दसमस्स पाहुडस्स एक्कारसमं पाहुडपाहुडं १२. दसमस्स पाहुडस्स बारसमं पाहुडपाहुडं १३. दसमस्स पाहुडस्स तेरसमं पाहुडपाहुडं १४. दसमस्स पाहुडस्स चउद्दसमं पाहुडपाहुडं १५. दसमस्स पाहुडस्स पण्णरसमं पाहुडपाहुडं १६.. दसमस्स पाहुडस्स सोलसं पाहुडपाहुडं १७. दसमस्स पाहुडस्स सत्तरसमं पाहुडपाहुडं १८. दसमस्स पाहुडस्स अट्ठारसमं पाहुडपाहुडं १६. दसमस्स पाहुडस्स एगूणवीसइमं पाहुडपाहुडं २०. दसमस्स पाहुडस्स वीसइमं पाहुडपाहुडं २१. दसमस्स पाहुडस्स एक्कवीसइमं पाहुडपाहुडं २२. दसमस्स पाहुडस्स बावीसइमं पाहुडपाहुडं ११. एक्कारसमं पाहुडं १२. बारसमं पाहुडं १३. तेरसमं पाहुडं १४. चोइसमं पाहुडं १५. पण्णरसमं पाहुडं १६. सोलसमं पाहुडं १७. सत्तरसमं पाहुडं १८. अट्ठारसमं पाहुडं १९. एगूणवीसइमं पाहुडं २०. वीसइमं पाहुडं सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र १. १-२० पाहुई ४७ ४७-४६ ४६-५६ ५६-५८ ५८-६२ ६३-६५ ६५-६६ ६६-६८ ६९-७३ ७४-६० ८०-८५ ८६-८७ For Personal & Private Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंदपणती पढमं पाहुडं जयइ णवणलिणकुवलयवियसियसयवत्तपत्तलदलच्छो । वीरो गयंदमयरलसललियगयविकमो भयवं ॥ १ ॥ णमिऊण सुरअसुरगस्लभुयगपरिवंदिए गयविलेसे । अरिहे सिद्धायरिए उवज्झाय सत्वसाहू य ॥ २ ॥ फुडवियडपागडत्थं बुच्छं पुव्वसुयसारणीसंदं । सुहुमगणिणोवइटुंजोइसगणरायपण्णत्तिं ॥ ३ ॥ णामेण इंदभृत्ति गोयमो वंदिऊण तिविहेणं । पुच्छइ जिणवरवसहं जोइसगणरायपण्णत्तिं ॥४॥ कइ मंडलाइ. वच्चइ १, तिरिच्छा किं च गच्छद्द २ । ओभासइ केवइयं ३ सेयाई किं ते संठिई ४ ॥५॥ कहिं पडिहया लेसा ५ कहिं ते ओयसंठिई ६ । के सरियं वरयए ७ कहं ते उदयसंठिई ८ ॥ ६॥ कहं कट्ठा पोरिसिच्छाया ९ जोगे किं ते व . आहिए १० । किं.ते संवच्छरेणाई ११, कइ संवच्छराइ य १२..॥ ७ ॥ कहं चंदमसो वुड्डी १३, कया ते दोसिणा बहू १४ । केइ सिग्धगई वुत्ते १५, कह. दोसिणलक्खणं १६ ॥ ८ ॥ चयगोववाय १७ उच्चत्ते १८ सूरिया कह आहिया १९ । अणुभावे के व संवृत्ते २०, एवमेयाई वीसई ।। ९॥ वड्डोवही मुहुत्ताणं १, अद्धमंडलसंठिई २ । के ते चिण्णं परियरइ ३, अंतरं किं चरंति य ४ ॥१०॥ उग्गाहइ केवइयं ५, केवइयं च विकंपइ ६ । मंडलाण य संठाणे ७, विखंभो ८ अट्ट पाहुडा ॥ ११ ॥ छप्पंच य सत्तेव य अट्ठ तिण्णि य हवंति पडिवत्ती । पढमस्स पाहुडस्स हवंति एयाउ पडिवत्ती ॥१२॥ पडिवत्तीओ उदए, तहा अस्थमणेसु य । भियवाए कण्णकला, मुहुत्ताण गईइ य ॥ १३ ॥ णिक्खममाणे सिग्धगई, पविसंते मंदगईइ य । चुलसीइसयं पुरिसाणं, तेसिं च पडिवत्तीओ ॥ १४ ॥ उदयम्मि अट्ठ भणिया मेयघाए दुवे य पडिवत्ती। चत्तारि मुहुत्तगईए हुंति तइयम्मि पडिवत्ती ॥१५॥ आवलिय १ मुहुत्तन्गे २, एवंभागा य ३ जोगस्सा ४ । कुलाई ५ पुण्णमासी ६ य, सण्णिवाए ७ य संठिई ८ ॥ १६ ॥ तार(य)ग्गं च ९ णेया य १० चंदमग्गत्ति ११ यावरे । देवयाण य अज्झयणे १२, मुहुत्ताणं णामया इय १३ ॥ १७॥ दिवसा राइ वुत्ता य १४, तिहि १५ गोत्ता १६ भोयणाणि १७ य । आइञ्चवार १८ मासा.१९ य, पंच संवच्छरा इय २० ॥१८॥ जोइसस्स य दाराई २१, णक्खत्तविजए विय २२ । दसमे पाहुडे एए, बावीसं पाहुडपाहुडा ॥ १९ ॥ For Personal & Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला णाम णयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा पमुइयजणजाणवया'पासादीया ४ ॥१॥ तीसे णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए माणिभद्दे णामं चेइए होत्था वण्णओ ॥२॥ तीसे णं मिहिलाए णयरीए जियसत्तू णामं राया होत्था वण्णओ ॥ ३ ॥ तस्स णं जियसत्तुस्स रण्णो धारिणी णामं देवी होत्था वण्णओ ॥४॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं तम्मि चेइए सामी समोसढे, परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया जाव राया जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए ॥ ५ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे समच उरंससंठाणसंठिए वजरिसहणारायसंघयणे जाव एवं वयासी-ता कहं ते वट्टोवही मुहुत्ताणं आहितेति वएजा ? ता अट्ठएगूणवीसे मुहुत्तसए सत्तावीसं च सहिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वएजा ॥६॥ ता जया णं सूरिए सव्वभंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ. सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ एस णं अद्धा केवइयं राइंदियग्गेणं आहितेति वएजा ? ता तिण्णि छावढे राइंदियसए राइंदियग्गेणं आहितेति वएजा ॥ ७॥ ता एयाए अद्धाए सूरिए कइ मंडलाइं चरइ, कइ मंडलाई दुक्खुत्तो चरइ, कइ मंडलाइं एगक्खुत्तो चरइ ? ता चुलसीयं मंडलसयं चरइ, बासीइ मंडलसयं दुक्खुत्तो चरइ, तंजहा-णिक्खममाणे चेव पविसमाणे चेव, दुवे य खलु मंडलाई सई चरइ, तंजहा—सव्वन्भंतरं चेव मंडलं सव्वबाहिरं चेव मंडलं ॥८॥ जइ खलु तस्सेव आइच्चस्स संवच्छरस्स सयं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ सई अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ सयं दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ सई दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई, णत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, अस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, णत्थि दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, दोच्चे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई, अस्थि दुवालसमुहुत्ता राई, पत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णस्थि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, णत्थि पण्णरसमुहुत्ता राई. भवइ, तत्थ णं कं हेउं वएजा ? ता अयण्णं जंबूदीवे २ सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वन्भंतराए जाव विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्त, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया For Personal & Private Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र दुवालसमुहुचा राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पदमंसि -अहोरत्तसि अमितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरह, ता नया णं सूरिए अमितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवद .. दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि आभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए आभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खमाणे सूरिए तयाणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ दो २ एगट्ठिभागमुहत्ते एगमेगे मंडले दिवसखेत्तस्स णिवुहेमाणे २. रयणिक्खेत्तस्स अभिबुद्देमाणे २ सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं जरइ, ता जयाणं सूरिए सव्वभंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वव्भंतरमंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं तिणिछावट्ठएगट्ठिभागमुहुत्ते सए 'दिवसखेत्तस्स णिवुट्टित्ता रयणिक्खेत्तस्स अभिवुट्टित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकढपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, एस गं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे। से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरागंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं.चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिराणतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहत्ता राई भवह दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चसि अहोरसि बाहिरं तच्च मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए । एवं खलु एएणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ दो दो एगट्ठिभागमुहत्ते एगमेगे मंडले रयणिखेत्तस्स णिबुट्टेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अमिवढेमाणे २ सव्वळतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वमंतर मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया ण सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेण तेसीएणं राइंदियसएणं तिण्णिछावढे एगट्ठिभागमुहुत्तसए रयणिखेत्तस्स णिवुट्टित्ता दिवसखेत्तस्स अमिवहित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते For Personal & Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहूत्ता राई भवइ, एस.णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दुच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, इइ खलु तस्सेवं आइच्चस्स संवच्छरस्स सई अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सई अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, सयं दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सयं दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई भवह, णस्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, अस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, णस्थि दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, दोच्चे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई, अस्थि दुवालसमुहुत्ता राई, णस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णन्थि पण्णरसमुहत्ते दिवसे भवइ, णत्थि पण्णरसमुहत्ता राई भवइ, णण्णत्थ राइंदियाणं वडोवहीए मुहुत्ताण वा चओवचएणं, णण्णत्थ वा अणुवायगईए० गाहाओ भाणियवाओ ॥९॥ पढमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥ - ता कहं ते अद्धमंडलसंठिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमा दुविहा अद्धमंडलसंठिई पण्णत्ता, तंजहा-दाहिणा चेव अद्धमलसंठिई उत्तरा चेव अद्धमंडलसंठिई । ता कहं ते दाहिणअद्धमंडलसंठिई आहिताति वएजा १ ता अयण्णं जंबूदीवे दीवे सब्बदीवसमुद्दाणे जाव परिक्खेवेणं०, ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतर दाहिणं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाए तस्साइंपएसाए अम्भितराणंतरं उत्तरद्धमंडलं संठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं सूरिए अभितराणंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते(हि) दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि उत्तराए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए अभितरं तच्चं दाहिणं अद्धमंडलं संठिइं उवसंकमित्ता चारं चरइ । ता जया णं सूरिए आभितरं तन्वं दाहिणं अद्धमंडलं संठिइं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओऽणंतरंसि तंसि २ देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठिई संकममाणे २ दाहिणाए २ अंतराए भागाए तस्साइपएसाए सव्वबाहिरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्व For Personal & Private Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र बाहिरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्को- .. सिया अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ । एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमछम्मासस्स पजवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं . छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरतसि उत्तराए अंतरभागाए तस्साइपएसाए बाहिराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिइं उवसंकमित्ता चारं चरह, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं दाहिणअद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरसि दाहिणाए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए बाहिरंतरं तच्चं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया सूरिए बाहिरं तच्चं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ तयाणंतरं०तंसि २ देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठिई संकममाणे २ उत्तराए अंतराभागाए तस्साइपएसाए सव्वभतरं दाहिणं अद्धमंडलसठिई उवसंकमित्ता चारं चरह, ता जया णं सूरिए सबमतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोबस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस.णं आइञ्चसंवच्छरस्स पजवसाणे ॥ १० ॥ ता कहं ते उत्तरा अद्धमंडलसंठिइं आहिताति वएजा. १ ता अयं णं जंबूदीवे दीवे सव्वदीव जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्व तरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उक्संकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, जहा दाहिणा तहा चेव णवरं उत्तरहिओ अभितराणंतरं दाहिणं उवसंकमइ, दाहिणाओ अभितरं तच्चं उत्तरं उवसंकमद, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव सव्वबाहिर दाहिणं उवसंकमइ सव्वबाहिरं दाहिणं उवसंकमित्ता दाहिणाओ बाहिराणंतरं उत्तरं उवसंकमइ, उत्तराओ बाहिरं तच्चं दाहिणं तच्चाओ दाहिणाओ संकममाणे २ जाव सव्वभंतरं उवसंकमइ, तहेव । एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइश्चस्स संवच्छरस्स पजवसाणे, गाहाओ ॥११॥ पढमस्स पाहुडस्स बीयं पाहुड. पाहु समत्तं ॥१.२॥ . . .. . For Personal & Private Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र . ता के ते चिण्णं पडिचरइ आहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पण्णत्ता, तंजहा-भारहे चेव सूरिए एरवए चेव सूरिए, ता एए णं दुवे सूरिया पत्तेयं २ तीसाए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं अद्धमंडलं चरंति, सट्ठीए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघायंति, ता णिक्खममाणा खलु एए दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं सयमेगं चोयालं, तत्थ के हेऊ०ति वएजा ? ता अयण्णं जंबूदीवे २ जाव परिक्खेवेणं०, तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबूदीवस्स २ पाईणपडीणाययउदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउइं सूरियमयाइं जाइं अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरह, उत्तरपच्चस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एकाणउइं सूरियमयाइं जाइं सूरिए अप्पणो चेव चिण्णं पडिचरई, तत्थ णं अयं भारहे सूरिए एरवयस्स सूरियस्स जंबूदीवस्स २ पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता उत्तरपुरस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउई सूरियमयाइं जाई सूरिए परस्स चिण्णं पडिचरइ, दाहिणपञ्चस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एगूणणउई सूरियमयाइं जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णं पडिचरइ, तत्थ णं अयं एरवए सूरिए जंबूदीवस्स २ पाईपमेणायपाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिल्लसि चउभागमंडलसि बाणउइं सूरियमयाइं जाव सूरिए अप्पणो चेव चिणं पडिचरइ,दाहिणपुरथिमिलंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउई सूरियमयाइं जाई सरिए अप्पणो चेव चिण्णं पडिचरइ, तत्थ णं अयं एरवइए सूरिए भारहस्स सूरियस्स जंबूदीवस्स २ पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडल चउवीसएणं सएणं छेत्ता दाहिणपञ्चस्थिमिलंसि चउभागमंडलंसि बाणउई सूरियमयाई सूरिए परस्स चिण्णं पडिचरइ, उत्तरपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउई सूरियमयाई जाइं सूरिए परस्स चेव चिण्णं पडिचरइ, ता शिक्खममाणा खलु एए दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एए दुवे सूरिया. अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, सयमेगं चोयालं । गाहाओ ॥ १२ ॥ · पढमस्स पाहुडस्स तइयं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥ १-३ ।। ता केवइयं एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति आहिताति For Personal & Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र वएज्जा ? तत्थ खलु इमाओ छ पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-तत्थ एगे एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं अण्णमण्णम्स अंतरं कट्ट सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च चउर्त.सं जोयणसयं अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणत.सं जोयणसयं अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट सरिया चारं चरंति आहिताति वएजा एगे एवमाहंसु ३, एवं एगं दीवं एगं समुदं अण्णमण्णस्स अंतरं कट ४, एगे 'दो दीवे दो समुद्दे अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट सूरिया चारं चरंति, आहिताति वएन्जा एगे एवमाइंसु ५, एगे "तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे अण्णमंण्णस्स .. अंतरं कट्ट सूरिया चारं चरंति आहिताति वएजा एगे एवमाहंसु ६, वयं पुण एवं वयामो-ता पंच पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवड्माणा वा णिवड्डेमाणा वा सूरिया चारं चरंति० । तत्थ णं को हेऊ आहिएति वएजा १ ता अयण्णं जंबूदीवे २ जाव परिस्खेवेणं. पण्णत्ते, ता जया णं एए दुवे सूरिया सव्वब्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणउहजोयणसहस्साई छच्चचत्ताले जोयणसए अण्णमण्णस्स, अंतरं कट्ट चारं चरंति आहिताति वएजा, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ते णिक्खममाणा सूरिया णवं संवच्छरं अयमाणा पढमंसि अहोरसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एए दुवे सूरिया अन्भितराणंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणवई जोयणसहस्साई छच्च पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चार चरंति आहिताति वएजा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगडिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, ते णिक्खममाणा सूरिया दोच्चसि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जयाणं एए दुवे सूरिया अम्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणवई जोयणसहस्साई छच्चडकावण्णे जोयणसए णव य एगढिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति आहिताति वएज्जा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिँ एगहिभागमुहुत्तेहिं अणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगहिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणु For Personal & Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र वाएणं णिक्खममाणा एए दुवे सूरिया तओऽणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणा २ पंच २ जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवड्ढमाणा २ सव्ववाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एए दुवे सूरिया सञ्चबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सट्टे जोयणसए अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति, तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पदमस्स छम्मासस्स पजवसाणे, ते पविसमाणा सूरिया दोच्चं छम्मासं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवमंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एए दुवे सूरिया बाहिराणंतरं मंडलं उवमंकमित्ता चारं चरंति तया णं एग जोयणसयसहस्सं छच्च चउप्पणे जोयणसए छत्तीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति आहिताति वएजा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिँ एगढिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुंहुत्त दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, ते पविसमाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एए दुवे सूरिया बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसए वावण्णं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिँ एगट्ठिभागमुहुत्तेहि ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। एवं खलु एएणुवाएणं पविसमाणा एए दुवे सूरिया तओऽणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणा २ पंच २ जोयणाई पणतीसे एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्संतरं णिबुड्ढेमाणा २ सव्वभंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ताजया णं एए दुवे सूरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणउइजोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसए अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस गं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चसंवच्छरस्स पजवसाणे ॥१३॥ पढमस्स पाहुडस्स चउत्थं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥१.४॥ For Personal & Private Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ____ता केवइयं ते दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरइ आहिताति वएजा? तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थ एगे एवमाहंसुता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणमयं दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरइ...१, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगंजोयणसहस्सं एगं च चउत्तीसं जोयणसयं दीवं वा समुई वा ओगाहित्ता सूरिए चार चरइ०एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चार चरइ०एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाहंसु-ताअवढं दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरइ० एगे एवमाहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता णो किंचि दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरइ.."५, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता एग जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं जंबूदीवं २ एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं ओगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं सूरिए सवबाहिरं मंडलं उसंकमित्ता चार चरइ तया णं लवणसमुदं एगं जायणसहस्सं एगं च तेत्तीस जोयणसयं ओगाहित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ । एवं चोत्तीमं जोयणसयं । एवं पणतीसं जोयणसयं । तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अवझे दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता मूरिए चार चरइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उपसंकनित्ता चारं चरइ तयाणं अवढं जंबूदीवं २ ओगाहित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एवं सव्वबाहिरएवि, णवरं अवढे लवणसमुदं, तया णं राइंदियं तहेव, तत्थ ज ते एवमाहंसु-ता णो किंचि दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं णो किंचि दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चार चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तहेव एवं सव्वबाहिरए मंडले णवरं णो किंचि लवणसमुदं ओगाहित्ता चारं चरइ, राइंदियं तहेव, एगे एवमाहंसु ५॥ १४॥ वयं पुण एवं वयामो-ता जया णं सूरिए सब्वमंतरं मंडलं उवसंकमिता चारं चरइ तयाणं जंबूदीवं २ असीयं जोयण For Personal & Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सयं ओगाहित्ता चार चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उबकोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एवं सञ्चबाहिरेवि, णवरं लवणसमुदं तिणि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, गाहाओ भाणियव्वाओ ॥१५॥ पढमस्स पाहुडस्स पंचमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।१-५॥ ___ता केवइयं(ते)एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरइ आहितेति वाजा ? तत्थ खल इमाओ सत्त पडिक्त्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसुता दो जोयणाई अद्धदुचत्तालीसं तेसीयसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरइ०एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता अड्डाइजाई जोयणाई एंगमेमेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरइ०एगे एवमाहंसु २,एगे पुण एवमाहंसु-ता तिभागूणाई तिण्णि जोयणाई एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता २ सरिए चारं चरइ० एगे एवमासु ३, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिण्णि जोयणाई अद्धसीयालीसं च तेसीइसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चार चरइ० एगे एवमाहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता अछुट्ठाई जोयणाई एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं घरह० एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु-ता बरुभागूणाई चत्तारि जोयणाई एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरइ०एगे एवमाहंसु ६, एगे पुण एवमाहंसु-ता चत्तारि जोयणाई अद्धबावण्णं च तेसीइसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरइ० एगे एवमाहंसु ७ । वयं पुण एवं वयामो-ता दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगंमंडलं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरइ०, तत्थ णं को हेऊति वएजा ? ता अयण्णं जंबूदीवे २ जाव परिक्खेवेणं पण्णत्ते, ता जया णं सूरिए सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ. तयाणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवद, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि आभितराणंतरं मंडलं उवसंकभित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए आभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहे एगट्ठिभागमुहत्तर्हि ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि आअिंतरं तच्चं मंडलं For Personal & Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र T उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं मूरिए आभंतरं तच्चं मंडलं उवर्मकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच जोयणाई पणतसं च एगट्ठिभागे जोयणम्स दोहिं राइंदिएहिं विकंपइत्ता २ चारं चरइ, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवह चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ दो २ जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वभंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उक्संकमित्ता चार चरइ तया णं सव्वभंतरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं पंचदंसुत्तरजोयणसए विकंपइत्तार चारं चरइ,तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, एस णं पढमछम्मासे, एस णं पढमछम्मासस्स पनवसाणे,से य पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पदमसि अहोरत्तसि बाहिराणंतरं मंडलं उवमंकमित्ता चार चरई, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दो दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्सं एगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ चारं चरइ, तया | अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ दोहिं एगढिभागमुहत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चंसि मंडलंसि उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइंदिएहिं विकंपइत्ता २ चारं चरइ, राइंदिए तहेव, एवं खल एएणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तओऽणंतराओ तयाणंतरं च णं मंडलं संकममाणे २ दो २ जोयणाई अडयालीसं ज एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपमाणे २ सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्यबाहिराओ मंडलाओ सम्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरह तया णं सव्वबाहिरं मडलं पणिहाय एगेण तेसीएणं राइंदियसरणं पंचदसुत्तरे जोयणसए विकंपइत्ता २ चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोश्चरस छम्मासस्स प.व For Personal & Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ - चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र साणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्म मंवच्छरस्स पजवसाणे ।।१६।। पढमस्स पाहुडस्स छठें पाहुडपाहुडं समत्तं ॥१.६।। ता कहं ते मंडलसंठिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलक्या समचउरंससंठाणसंठिया पण्णत्ता एगे एवमासु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता सदावि गं मंडलवया विसमचउरंससठाणसंटिया पण्णत्ता एगे एवमासु २, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया समचउक्कोणसंठिया पण्णत्ता एगे एवमासु ३, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया विसमचउक्कोणमंठिया पण्णत्ता एगे एवमाहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया समचकवालसंटिया पण्णत्ता एगे एवमाहेसु ५, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया विसमचकवालसंठिया पाणता एगे एवमाहंसु ६, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलंवया चकचकवालसंठिया पण्णत्ता एगे एवमाइंसु ७, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया छत्तागारसंठिया पण्णत्ता एगे एवमाहंसु ८, तत्थ जे ते एवमाइंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया छत्तागारसंठिया पण्णत्ता एएणं गएणं णायचं, णो चेव णं इयरेहि, पाहुडगाहाओ भाणियव्वाओ ॥१७॥ पढमस्स पाहुडस्स सत्तमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।।१-७॥ ___ता सव्वावि णं मंडलवया केवइयं बाहल्लेणं केवइयं आयामविस्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया जोयणं बाहल्लेणं एगे जोयण• सहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं आयामविक्खम्भेणं तिण्णि जोयणसहस्साइं तिण्णि य णवणउए जोयणसए परिक्खेवेणं पण्णत्ता एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि गं मंडलवा जोयणं बाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एगं च चउतीसं जोयणसयं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसहस्साई चत्तारि बिउत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं पण्णत्ता एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाहंसु-ता० जोयणं बाहलेणं एग जोयणसहस्सं एमं च पणतीसं जोयणसयं आयामविक्खंभेणं तिणि जोयणसहस्साई चत्तारि य पंचुत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं पण्णत्ता एने एवमाहंसु ३, वयं पुण एवं वयामो-ता सव्वावि णं मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स For Personal & Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३ . चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र . . . वाहल्लेणं अणियया आयामविखंभेणं परिक्खेवेणं आहिताति वएजा, तत्थ णं को हेऊ० त्ति वएजा ? ता अयण्णं जम्बूदीवे २ जाव परिक्खेवेणं०, ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयार्ल.सं च एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउई जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं पण्णरसजोयणसहस्साइं एगूणणउई जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं०, तयाणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, से णिक्खममाणे मूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तसि अभितराणंतरं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ. तया णं सा मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउइ. जोयणसहस्साइं छच पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं पण्णरस य सहस्साई एगं चउत्तरं जोयणसयं किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं०, तया णं दिवसराहप्पमाणं तहेक । से मिक्खा - .. माणे सूरिए दोच्चंपि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउइजोयणसहस्साई छच्च एकावण्णे जोयणसए णव य एगट्ठिभागा जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साई पण्णरस य सहस्साइं एगं च पणर्वसं जोयणसयं परिक्खेवेणं पण्णत्ता, तया णं दिवसराई तहेव, एवं खलु एएणं णएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं उवसंकममाणे २ पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुहि अभिवड्डेमाणे २. अट्ठारस २ जोयणाई परिरयवुढि अभिवढेमाणे २ सव्ववाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्ववाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सट्टे जोयणसए आयामविखंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साई तिण्णि य पण्णरसुत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं०, तया णं उनकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ, एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तसि बाहिराणंतरं. मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं For Personal & Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र मूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अड्यालीसं च एगढिभागे, जोयणस्स बाहल्लेणं एग जोयणसयसहस्सं उच्च चउप्पण्णे जोयणसए छब्बीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साई अट्ठारससहस्साई दोणि य सत्ताणउए जोयणसए परिक्खेवेणं पणत्ता, तया णं राइंदियं तहेव, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ,ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहरूलेणं एगं जायणसयसहस्मं छच्च अडयाले जोयणसए बावणं च एगट्ठिभागे जोयणम्स आयामविखंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारससहस्साई दोण्णि य अध्यणासीए जोयणसए परिक्खेवेणं पण्णत्ता, दिवसराई तहेव, एवं खलु एएणुवाए से पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं मंकममाणे २ पंच २ जोर्यणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुहि णिबुड्डेमाणे २ अट्ठारस जोयणाई परिरयवृद्धि णिबुड्ढेमाणे २ सब्वमंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ,.ता जया णं सूरिए सव्वमंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउई जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं पण्णरस य सहस्साइं अउणाउइंच जोयणाइं किंचिविसेसाहियाई परिक्खेवेणं .पण्णत्ता,तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, ता सव्वावि णं मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहरूलेणं, सव्वावि णं मंडलंतरिया दो जोयणाई विक्खंभेणं, एस णं अद्धा तेसीयसयपडुप्पण्णो पंचदसुत्तरे जोयणसाए आहिताति वएजा, ता अभितराओ मंडलवयाओ बाहिरं मंडलवयं वाहिराओ वा० आअंतरं मंडलवयं एस णं अद्धा केवइयं आहिताति वएजा ? ता पंचदसुत्तरजोयणसए आहिताति वएजा, ता आभिंतराए मंडलवयाए बाहिरा मंडलवया बाहिराओं मंडलवयाओ आभितरा मंडलवया एस णं अद्धा केवइयं आहिताति वएज्जा ? ता पंचदसुत्तरे जोयणसए अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आहिताति वएजा, ता अभितराओ मंडलवयाओ बाहिरमंडलवया बाहिराओ० अब्भंतरमंडलवया एस णं For Personal & Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र अद्धा केवइयं आहिताति वएजा ? ता पंचणबुत्तरे जोयणसए तेरस य एगट्ठिभागे जोयणम्स आहिताति वएजा, ता अभिंतराए मंडलवयाए बाहिरा मंडलवया बाहिराए मंडलवयाए अम्भितरमंडलवया एस णं अद्धा केवयं आहिताति वएजा ? ता पंचदसुत्तरे जोयणसाए आहिताति वएजा ॥१८॥ पढमस्स पाहुडस्स अट्टमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।।१८।। पढमं पाहुडं समत्तं ॥१॥ बिइयं पाहुडं ता कहं ते तेरिच्छगई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ मरीई आगामंसि उत्तिट्ठइ,सेणं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेइ तिरियं करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतसि सायंमि रायं आगासंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिष्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करित्ता पच्चस्थिमंसि लोयंतंसि सूरिए आगासंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाइंसु-ता पुरथिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करित्ता पच्चत्थिमंसि लोयंसि सायं सूरिए आगाम अणुपविसइ २ त्ता अहे पडियागच्छइ अहे पडियागच्छेत्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ एगे एवमाहंसु ३, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओलोगंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पच्चस्थिमिल्लंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमाओ लोयंताओ पाओ मूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि अणुपविसइ अणुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ २ त्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिइ एगे एवमाहंसु ५, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमिलाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि पाओ सूरिए आउकायंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु ६, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरस्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेइ करित्ता पचत्थिमं लोयतंसि सायं सूरिए आउकायंसि अणुपविसइ २ त्ता अहे For Personal & Private Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र १६ पडियागच्छइ.२ त्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकार्यसि उत्तिहइ एगे एवमाइंसु ७, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरन्थिमाओ लोयंताओ बहूई जोयणाई बहूई जोयणसयाइं बहूई जोयणसहस्साई उड्ढे दूर उप्पइत्ता एन्थ णं पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं दाहिणढू लोयं तिरियं करेइ करेत्ता उत्तरडलोयं तमेव राओ, से णं इमं उत्तरडलोयं तिरियं करेइ २ त्ता दाहिणडलोयं तमेव राओ, से णं इमाई दाहिणुत्तरडलोयाइं तिरिय करेइ करेत्ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ बहूई जोयणाई बहूई जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साई उड्डे दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिइ एगे एवमाहंसु ८ । वयं पुण एवं वयामो-ता जम्बूदीवस्स २ पाईणपडीणाययउदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरस्थिमंसि उत्तरपच्चत्थिमंसि य चउब्भागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहसमरमणिजाओ भूमिभागाओ अट्ट जोयणसयाई उई उप्पइत्ता एत्थ णं पाओ दुवे सूरिया० उत्तिटुंति, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई जम्बूदीवभागाइं तिरियं करेंति २त्ता पुरस्थिमपचत्थिमाइं जम्बूदीवभागाई तमेव राओ, ते णं इमाई पुरस्थिमपञ्चस्थिमाइं जम्बूदीवभागाइं तिरियं करेंति २त्ता दाहिणुत्तराई जम्बूदीवभागाइं तमेव राओ, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई पुरथिमपञ्चस्थिमाई च जम्बूदीवभागाइं तिरियं करेंति २ त्ता जम्बूदीवस्स २ पाईणपडीणाययउदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरथिमिल्लंसि उत्तरपञ्चथिमिल्लंसि य चउभागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ अट्ठ जोयणसयाइं उड्डे उप्पइत्ता एत्थ णं पाओ दुवे सूरिया आगासंसि उत्तिटुंति ।१९। बिइयस्स पाहुडस्स पढम पाहुडपाहुड समत्त । ता कहं ते मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए चारं चरइ आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ दुवे पडिवत्तीओपण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयघाएणं मंकमइ० एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए कण्णकलं णिन्वेढेइ...२, तत्थ (णं) जे ते एवमाहंसु-ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए मेयघाएणं संकमइ, तेसि णं अयं दोसे, ता जेणंतरेणं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयघाएणं संकमइ एवइयं च णं अद्धं पुरओ ण गच्छइ, पुरओ अगच्छमाणे मंडलकालं परिहवेइ, तेसि णं अयं दोसे, तत्थ जे ते एवमाइंसु-ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए कण्णकल णिव्वेढेइ, तेसि णं अयं विसेसे, ता जेणंतरेणंमंडलाओ मंडलं संकममाणे २ For Personal & Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सृरिए कण्णकलं णिवेढेइ एवइयं च णं अद्धं पुरओ गच्छइ, पुरओ गच्छमाणे मंडलकालं ण परिहवेइ, तेसि णं अयं विसेसे, तत्थ जे ते एवमासु-ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए कण्णकलं णिवेढेइ, एएणं णएणं णेयव्वं, णो चेव णं इयरेणं ॥ २० ॥ बिइयस्स पाहुडस्स बिइयं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥ २.२ ॥ ____ता केवइयं ते खेत्तं सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छद्द आहिताति वएडा ? तत्थ खल इमाओ चत्तारि पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं-तत्थ एगे एक्माहंसु-ता छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्इ० एगे एवमाहंसु १ एगे पुणे एवमाहं-ता पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ० एगे । एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाहंसु-ता चत्तारि २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ० एगे एवमाइंसु ३, एगे पुण एवमाहंसु-ता छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ० एगे एवमाहंसु ४, तत्थ खलु जे ते एवमाइंसु-ताछ छ जोयणसहस्साई सूरिए एर.मेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उक्संकमित्ता चार चरह. तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमहत्ता राई भवइ, तंसि च णं दिवसंसि एगंजोयणसयसहस्सं अट्ठ य जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पण्णत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उक्संकमित्ता चार चरइ त्या णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पण्णत्ते, तया णं छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता पंच पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वन्भतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तहेव दिवसराइप्पमाणं, तंसि च णं दिवसंसि तावक्खेत्तं णउइजोयणसहस्साई, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तयाणं तं चेव राइंदियापमाणं, तंसि च णं दिवसंसि सढि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पण्णत्ते, तया णं पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता चत्तारि २ जोयणसहस्साई गरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वमंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दिवसराई तहेव, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पण्णत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंक For Personal & Private Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ . चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र मित्ता चारं चरइ तया णं राइंदियं तहेक तंसि च णं दिवसंसि अडयालीसं जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पण्णत्ते, तया णं चत्तारि २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, ते एवमाहंसु-ता सूरिए णं उग्गमणमुहुत्तंसि य अस्थमणमुहुत्तंसि य सिग्धगई भवइ, तया णं छ छ जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, मज्झिमतावक्खेत्तं समासाएमाणे २ सूरिए मज्झिमगई भवइ, तया णं पंच पंच जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छइ, मज्झिम २ तावक्खेत्तं संपत्ते सूरिए मंदगई भवइ, तया णं चत्तारि जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहत्तणं गच्छइ, तत्थ को हेऊ ति वए जा ? ता अयण्णं जंबुद्दीवे २ जाव परिक्खेवेणं०, ता जया णं सुरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दिवसराई तहेव, तंसि च णं दिवससि एक्काणउइं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पण्णत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंदलं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं राइंदियं तहेव, तस्सिं च णं दिवसंसि एगट्ठिजोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पण्णत्ते, तया णं छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेंणं मुहत्तणं गच्छइ एगे एवमाइंसु । वयं पुण एवं वयामोता साइरेगाई पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छइ०, तत्थ को हेऊ०ति वएजा ? ता अयण्णं जंबुद्दीवे २. परिक्खेवेणं०, ता जया णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तयां णं पंच २ जोयणसहस्साई दोण्णि य एकावण्णे जोयणसए एगूणतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणुस्सस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसएहि एकवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, तया णं दिवसे राई तहेव, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच पंच जोयणसहस्साई दोण्णि य एक्कावण्णे जोयणसए सीयालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसम्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं अउणासीए य जोयणसए सत्तावण्णाए सहिभागेहिं जोयणस्सं सद्विभागं च एगट्ठिहा छेत्ता अउणावीसाए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, तया णं दिवसराई तहेव, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभितरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं For Personal & Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र चरइ, ता जया णं सूरिए अम्भितरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच २ जोयणसहस्साई दोण्णि य बावण्णे जोयणसए पंच य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयरस मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्से हिं छण्णउईए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्टिहा छेत्ता दोहिं चुणियाभागेहि सूरिए चक्खुप्फासं हव्दमागच्छइ, तयाणं दिवसराई तहेव, एवं खलु एएणं उवाएणं णिकग्वममाणे सूरिए तयाणतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहत्तगई अभिवुड्डेमाणे २ चुलसीइं साइरेगाई जोयणाई पुरिसच्छायं णिवुट्टेमाणे २. सव्वबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सवबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच २ जोयणसहस्साई तिण्णि य पंचुत्तरे जोयणसए पण्णरस य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहिं एक सेहिं जोयणसएहिं तसाए य साट्टभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुम्फास हव्वमागच्छइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, एस णं पढमे छम्मासे, एसणं पदमस्स छम्मासम्स पजवसाणे । से पविसमाणे सूरिए. दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच २ जोयणसहस्साई तिण्णि य चउरुत्तरे जोयणसए सत्तावण्णं च सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहिं णवहि य सोलेहिं जोयणसएहिं एगूणयालीसाए सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सहि च एगट्टिहा छेत्ता सट्टिए चुणियामागे सूरिए चरखुप्पासं हव्दमागच्छ इ, तया णं राइंदियं तहेव, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरतसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच पंच जोयणसहस्साई तिण्णि य चउत्तरे जोयणसए ऊयाल सं च सहिमागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगाहिगेहि बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एक्कावण्णाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगढिहा छत्ता तेवीमाए चुणियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छद, राइंदियं तहेव, एवं खलु एएणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ For Personal & Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र २० अट्ठारस २ सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिबुट्टेमाणे २ साइरेगाई पंचासीइं २ जोयणाई पुरिसच्छायं अभिबुट्टेमाणे २ सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सम्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ त्या णं पंच २ जोयणसहस्साई दोषिण य एकावण्णे जोयणसए अट्ठतसं च सट्ठिभागे जोय. णस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छद तयाणं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य दोवढेहिं जोयणसएहिं एकवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुम्फासं हव्यमागच्छइ,तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उनकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवद, जहणिया दुवालममुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पजवमाणे ॥२९॥ विझ्यस्स पाहुडस्स तइयं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥२-३।। बिइयं पाहुडं समत्तं ॥ २ ॥ ... तइयं पाहुडं.. ता केवइयं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तर्वेति पगासंति आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पण्णताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसुता एगं दीवं एगं समुई चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति"१, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु-ता अद्धचउत्थे दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति" एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाइंसु-ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति'"एगे एक्माहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता दस दीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु-ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"६ एगे पुण एवमासु-ता बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ७ एगे पुण एवमाहंसुता बावत्तरि दीवे बावत्तरि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ८, एगे पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवसयं बायालीसं समुद्दसयं चंदिमसूरिया ओभासंति .."एगे एवमाहंसु ९, एगे पुण एवमाइंसु-ता बावत्तर दीवसयं बावत्तरि समुद्दसयं चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाइंसु १०, एगे पुण एवमाइंसु-ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ११, एगे पुण एवमाहंसु-ता बावत्तरि दीवसहस्सं बावत्तरि समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभा For Personal & Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र संति' 'एगे एवमाइंसु १२,वयं पुण एवं वयामो-ता अयण्णं जंबुद्दीवे २ सवदीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं पण्णत्ते, से णं एगाए जगईए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगई तहेव जहा जंबूदीवपण्णत्तीए जाव एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे २ चोद्दससलिलासयसहस्सा छप्पण्णं च सलिलासहस्सा भवंत ति मक्खाया जंबुद्दीवे णं दीवे पंचचक्कभागसंठिए.आहिएति वएजा, ता कहं जंबुद्दीवे २ पंचचक्क भागसंठिए आहिएति वएजा ? ता नया णं एए दुवे सूरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स २ तिण्णि पंचचक्कभागे ओभासंति... तंजा-एगेवि एगं दिवढे पंचचकभागं ओभासइ"", एगेवि एगं दिवढे पंचचकभागं. ओभासेइ", तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं एए दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स २ दोण्णि चक्कभागे ओभासंति"ता एगेवि सूरिए एगं पंचचक्वालभार्गओभासइ उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ, एगेवि एगं पंचचक्कवालभागं ओभासइ", तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उवकोसिया अट्ठारसमुहुता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ।। २२ ॥ तइयं पाहुडं समत्तं ॥३॥ चउत्थं पाहुडं ता कहं ते सेयाए संठिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमा दुविहा संठिई पण्णत्ता, तंजहा-चंदिमसूरियसंठिई य तावक्खेत्तसंठिई य,ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिया णं चंदिमसूरियसंठिई०एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता विसमचउरंससंटिया णं चंदिमसूरियसंटिई पण्णत्ता०२, एवं एएणं अभिलावेणं समचउक्कोणसंठिया ३,विसमचउक्कोणसंटिया ४,समचक्कवालसंठिया ५, विसमचक्कवालसंठिया ६, "ता चक्कद्धचक्कवालसंटिया'"पण्णत्ता एगे एवमाहंसु ७, एगे पुण एवमाहंसु–ता छत्तागारसंटिया णं चंदिमसूरियसंटिई पण्णत्ता० ८, एवं गेहसंठिया ९, गेहावणसंटिया १०, पासायसंटिया ११, गोपुरसंठिया १२, पेच्छाघरसंटिया १३, वलभीसंठिया १४, हम्मियतलसंटिया १५, एगे पुण एवमाहंसु-ता वालग्गपोइयासंटिया णं चंदिमसूरियसंटिई पण्णत्ता० १६, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिया णं चंदिमसूरियसंठिई पण्णत्ता०, एवं For Personal & Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र एएणं णएणं णेयव्वं णो चेव णं इयरेहिं । ता कहं ते तावक्खेत्तसंटिई आहिताति वएंजा ? तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं ० - तत्थ णं एगे एवमाहंसु-ता गेहसंठिया णं तावक्खेत्तसंठिई पण्णत्ता एवं जाव वालग्गपोइयासंठिया णं तावक्खेत्तसंईि०, एगे पुण एवमाहंसु - ता जस्संटिए गं जंबुद्दीचे २तस्मंटिया णं तावक्खेत्तसंटिई पण्णत्ता एंगे एवमाहंसु ९, एगे पुण एवमाहंसु - ता जस्संठिए णं भारहे वासे तस्संडिया • पण्णत्ता० १०, एवं उज्जाणसंटिया णिज्जाणसंठिया एगओ णिसहसंठिया दुहओ णिसहसंठिया सेयणगसंडिया ० एगे एवमाहंसु १५, एगे पुण एवमाहंसु-ता सेणगपट्टसंठिया णं तावक्खेत्तसंलिई पण्णत्ता एगे एवमाहंसु १६, वयं पुण एवं वयामोउड्डीमुहकलंबुयापुप्फसंठिया णं तावक्खेत्तसंटिई पण्णत्ता, अंतो संकुडा चाहिं वित्थडा अंतो वा वाहिँ पिहुला अंतो अंकमुहसंठिया बाहिं सत्थिमुहसंटिया, उभओ पासेणं तसे दुवे बाहाओ अवट्टियाओ भवंति पणयालीसं २ जोयणसहस्साइं आयामेणं, तीसे दुवे बाहाओ अणवट्ठियाओ भवंति, तंजहा - सव्वभंतरिया चेव वाहा सव्वबाहिरिया चैव बाहा, तत्थ को हेऊ०ति वएजा ? ता अयष्णं नम्बुद्दीचे २ जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उड्डीमुहकलंत्र्यापुप्फसंठिया णं तावक्खेत्तसंठिई आहिताति वएजा, अंतो संकुडा -ता वित्थडा अंत वा बाहिं पिहुला अंतो अंकमुहसंठिया बाहिं सत्थिमुहसंठिया, दुहओ पासेणं तीसे तहेव जाव सव्याहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वभंत रिया चाहा मंदरपव्वयंते णं णव जोयणसहस्साइं चत्तारि य छलसीए जोयणसए णव य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिताति वएजा, तासे णं परिक्खेव विसेसे कओ आहिंएति वएज्जा ? ता जेणं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणित्ता सहिँ छेत्ता दसहिँ भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहिएति वएजा, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दतेगं चउणउहूं जोयणसहस्सा अट्ठ य अट्ठसट्टे जोयणसए चत्तारि य दसभागे जोयणम्स परिक्खेवेणं आहिताति वएजा, तासे णं परिक्खेवविसेसे कओ आहिएति वएजा ? ता जे गं जम्बुद्दीवस्स २ परिक्खेवे.. . तिहिं गुणित्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहिएति बएजा, तीसे णं तावक्खेत्ते केवइयं आयामेणं आहिएति वएज्जा ? ता अट्ठत्तरिं जो सहस्सा तिणिय तेत्तीसे जोयणसए जोयणतिभागे यं आयामेणं आहिएति वएज्जा, तया णं किंसंठिया अंधयारसंठिई आहिताति वएना ? ता उडीमुहकलंबुया For Personal & Private Use Only २२ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र पुष्प.मंठिया तहेव जाव बाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वभंतरिया बाहा मंदरपञ्चयंतेणं छज्जोयणसहस्साई तिष्णि य चवीसे जोयणसए उच्च दसभागे जोयणम्स परिक्खेवेणं आहिताति वएजा, तीसे णं परिक्खेवविसेसे कओ आहिएति वएजा ? ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खवे तं परिक्खेव दोहिं गुणेत्ता सेसं तहेव, तसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुदंतेणं तेवट्ठिजोयणसहस्साई दोणि य पणयाले जोयणसए छच्च दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिताति वएजा, तास णं परिक्खेवविसेसे कओ आहिएति वएजा ? ता जे णं जम्बुद्दीवस्स २ परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणित्ता दसहि छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविससे आहिएति वएजा, ता से णं अंधयारे केवइयं आयामेणं आहिएति वएजा ? ता . . अत्तरि जोयणसहस्साई तिगि य तेत्तीसे जोयणसए जोयणतिभागं च आयामेणं आहिएति वएजा, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं किंसंठिया तावक्खेत्तसंठिई आहिताति वएजा ? ता उड्डीमुहकलंबुयापुप्पसंठिया तावक्खेत्तसंठिई आहिताति वएजा, एवं जं अभिंतरमंडले अंधयारसंठिईए पमाणं तं बाहिरमंडले तावक्खेत्तसंठिईए जं तहिं तावक्खेत्तसंटिईए तं बाहिरमंडले अंधयारसंटिईए भाणियव्वं जाव तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ, ता जंबुद्दीवे २ सूरिया केवइयं खेत्तं उर्दू तवंति केवइयं खेत्तं अहे तवंति केवइयं खेत्तं तिरियं तवंति ? ता जम्बुद्दीवे णं दीवे सूरिया एगं जोयणसय रहुं तवंति अट्ठारस जोयणसयाई अहे तवंति सीयालीसं जोयणसहस्साई दुण्णि य तेवढे जोयणसए एगवीसं च सट्ठिभागे जायणस्स तिरियं तवंति ॥२३॥ चउत्थं पाहुडं समत्तं ॥४॥ पंचमं पाहुडं ____ता कम्सि णं सूरियस्स लेस्सा पडिहया आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ वीस पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाइंसु-ता मंदरंसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहया आहिताति वएज्जा एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता मेरंसि पव्वयंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहया आहिताति वएजा एगे एवमाहेसु २, एवं एएणं अभिलावेणं भाणियव्वं-ता मणोरमंसि णं पव्ययंसि, ता सुदंसणंसिणं पवयंसि, ता सयंपभंसि णं पव्वयंसि, ता गिरिरायसि णं पव्वयंसि, ता रयणुच्चयंसि For Personal & Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र २४ णं पव्वयंसि, ता सिलुच्चयंसि णं पव्वयंसि, ता लोयमज्झसि णं पव्वयंसि, ता लोयणाभिंसि णं पव्वयंसि, ता अच्छंसि णं पव्वयंसि, ता सूरियावत्तंसि णं पव्वयंसि, ता सूरियावरणंसि णं पव्वयंसि, ता उत्तमंसि णं पव्वयंसि, ता दिसाइंसि णं पव्वयंसि, ता अवयंसंसि णं पव्वयंसि, ता धरणिखी ंसि णं पव्वयंसि, ता धरणिसिंगंसि णं पव्वयंसि, ता पव्वइंदंसि णं पव्वयंसि, ता पव्वयरायंसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेस्सा पडिया आहिताति वजा, एगे एवमाहंसु २० । वयं पुण एवं वयामो-ता मंदरेवि त्रुच्चइ जाव पव्वयराया० पत्रुच्चइ, ता जे णं पुग्गला सूरियम्स लेस्सं फुसंति ते णं पुग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति, अदिट्ठावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पsिहणति, चरिमलेस्संतरगयावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति० ||२४|| पंचमं पाहुडं समत्तं ॥५॥ छट्ठ पाहुडं ता कहं ते ओयसंटिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं० - तत्थेगे एवमाहंसु-ता अणुसमयमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जइ अण्णा अवेइ एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता अणुमुहुत्तमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पजइ अण्णा अवेइ० २, एवं एएणं अमिलावेणं णेयव्वाता अणुराइंदियमेव, ता अणुपक्खमेव, ता अणुमासमेव, ता अणुउडुमेव, ता अणुअयणमेव, ता अणुसंवच्छरमेव, ता अणुजुगमेव, ता अणुवा ससयमेव, ता अणुवाससहस्समेव, ता अणुवाससयसहस्समेव, ता. अणुपुव्वमेव, ता अणुपुव्वसयमेव, ता अणुपुव्वसहस्समेव, ता अणुपुव्वसयसहस्समेव, ता अणुपलिओ ममेव, ता अणुपलि ओवमसयमेव, ता अणुपलिओवमसहस्समेव, ता अणुपलि ओवमपयसहस्संमेब, ता अणुसागरोवममेव, ता अणुसागरोवमसयमेव, ता अणुसागरोवमसहस्तमेव, ता अणुसागरोवमसयसहस्समेव, एगे पुण एवमाहंसु-ता अणुउस्सप्पिणिओसप्पिणिमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जइ अण्णा अवेइ, एमे एवमाहंसु २५ । वयं पुन एवं वयामो-ता तीसं २ मुहुत्ते सूरियस्स ओया अवट्टिया भवइ, तेण परं सूरियस्स ओया अवलिया भवइ, छम्मासे सूरिए ओयं णिवुड्ढेइ छम्मासे सूरिए ओवं अभिवद्वेद, णिक्खममाणे सूरिए देसंणिबुड्ढेइ पविसमाणे सूरिए देतं अभियुदेश, तत्थ को हेऊ ति वजा ? ता अयण्णं जम्बुद्दीवे २ सव्वदीवसमु० जाब परिक्खेवेणं०, ता जया णं For Personal & Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र २५ सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवर, से क्खिममा सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अभिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया गं एगेणं राईदिएणं एगं भागं ओयाए दिवसखेत्तस्स णित्रुट्ठित्ता रयणिखेत्तस्स अभिवाढत्ता चारं चरइ मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्टि - भागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अस्मितरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरई, ता जया णं सूरिए अभितरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चर तया णं दोहिं राईदिएहिं दो भागे ओयाए दिवसखेत्तस्स णिबुकित्ता रयणिखेत्तस्स अभिवेत्ता चारं चरद्द मंडलं अट्ठारसती सहि सएहि केला, तया णं अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगट्टिभागमुहुत्ता ऊणे, दुबालसमुहुत्ता राई भवद्द चडाईं एगकिभागमुहु तेहिं अहिंया, एवं खलु एष्णुवारणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ तयाणंतरं मंडलाओ मंडल संकममाणे २ एगमेगे मंडले एगमेगे राईदिएण एगमेग भाग ओमार दिवसखेत्तस्स णिमाणे २ रयणिले तस्स अमिबडेमाणे २ सम्म बाहिर मंडल उबसंकमित्ता चारं चरद्द, ता जया णं सूरिए सम्मभतराओ मंडलाओ सम्बंबाहिर मंडळ उबसंकमिता भारं चरह तथा र्ण सम्पतरं मंडल पणिहाय एगेणं तेसीयर्ण राईदिपसरणं एवं तेलीय भागसर्य भयार दिवसतस्स णिउता रमणिकेतस्स भभिसा चार चर मंडल अङ्गारलाई तीसहिο छेता, तया उत्तमक पत्ता उक्कोसिया अङ्गारसमुहुत्ता राई भवर, जहणणार सुबास दिवसे भवर, एस र्ण पठमछम्मासे, एस पढमस्त छम्मासभ्स पजबसाणे, से पतिमाणे सुरिए दो छम्मास भयमाणे पदमति अहोरससि बाहिराणतरं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरद, ता जया ने सूरिए बाहिरात मंडल उवसंकमित्ता चारं चरर तथा णं एगेर्ण राईदिएण एग भाग भोपाए रमणिक्सक्स णिवुङ्गेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवेत्ता चारं चरह मंडलं अट्ठारसहिं तीसा • ऐसा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवद्द दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहन्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दो चंसि अहो - रत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरतच्चं For Personal & Private Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सू २६ मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दोहिं राईदिएहिं दो भाए ओयाए रयणिखेत्तस्स णित्रुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवृत्ता चारं चरइ मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं० छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्ते हिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एएणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगं भागं ओयाए स्यणिखेत्तस्स गिद्देमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवडेमाणे २ सव्वभंतर मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्व - वाहिराओ मंडलाओ सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं एवं तेसीयं भागसयं ओयाए रयणिखेत्तस्स णिवत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवेत्ता चारं चरह मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सत्ता तथा उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवद्द, जहण्णिया दुबालसमुहुत्ता राई भवर, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजबसाणे, एस णं आइच्चे संबच्छरे, एस णं आइचस्स संबंच्छरस्स पज्जब साणे । २५ । छट्ठे पाहुडं समतं ॥ ६॥ सत्तमं पाहू ता किं ते सूरियं परति आहितांति वएजा १ तस्थ ललु इमाओ बीस पडिबत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्येगे एवमातु-ता मंदरे णं पव्बर सूरियं बरह आहितेति बजा एगे एबमाईस, एगे पुण एषमाहंतु ता मेरू पब्षए सूरियं बरह आहितेति बजा० २, एवं एए अभिलाषेण णेयम् जाब पब्ययराए पम्पर सूरिये बरबर आहितेति षएजा एगे एवमाहेतु २० वर्ष पुण एवं वयामो-ता मंदरेषि पम्चा तहेब जाब पम्बबरारषि पशुचद्द, ता जे पोग्गला सूरियस लेस पुर्सति ते में पोग्गला सूरियं परति, भविडाबि र्ण पोग्गला सूरिमं वरयेति, चरमले संतरगयाबि र्ण पोम्गला सूरियं परर्षति • ||२६|| सत्तमं पाहु सम ।। ७ ।। अट्टमं पाहुडं ता कहं ते उदयसंटिई आहितेति वएजा १ तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं० – तत्थेगे एवमाहंसु – ता जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणडे For Personal & Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवद तया णं उत्तरडेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसें भवह, जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणले सत्तरसमुहत्ते दिवसे भवद तया णं उत्तरवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं उत्तरले सत्तरसनुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डेवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवह, एवं (एएणं अभिलावेणं)परिहावेयध्वं, सोलममुहुत्ते दिवसे पण्णरसमुहुत्ते दिवसे चउद्दसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ते दिवसे जाव जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणले बारसमुहुत्ते दिवसे० तया णं उत्तरदेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं उत्तरखे बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणढेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवद्द, जया णं दाहिणड्ढे ारसमुहुत्ते दिवसे भवद तया णं जंबुद्दीवे.२ मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमपञ्चस्थिमेणं सया पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सया पण्णरसमुहुत्ता राई भवइ, अवट्ठिया णं तत्थ राइंदिया पण्णत्ता समणाउसो ! एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तर वि. अट्ठारसमुहत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरट्टे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिग्से भवइ तथा णं दाहिणडेवि अहारसमसामने दिवसे भवइ, एवं परिहावेयव्यं, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवद सोलसमुहुत्ताणंतरे०, पण्णरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवद चोद्दममुहुत्ताणंतरे०, तेरसमुहत्ता. णंतरे०, ता जया गं जंबुद्दीवे २ दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरडेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे०, जया णं उत्तरहे बारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणडेवि बारसमुहत्ताणतरे दिवसे भवइ, तया पंजंदुहीये २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमपञ्चत्थिमेणं णो सया पण्णरसमुहुत्ते दिवसे मवइ, जो सया पण्णरसमुहुत्ता राई भवइ, अणवडिया णं तत्थ राईदिया प० समणाउसो ! एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एक्माईसु-ता जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणद्दे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरहे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ,जया णं उत्तरले अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तयाणं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं दाहि. गड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरढे वारसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डे बारसमुहुत्ता राई भवइ, एवं णेयव्वं सगलेहि य अयंतरेहि य एक्केके दो दो आलावगा सव्वेहि दुवालसमुहत्ता राई भवइ जाव तो जया बुहीवे २ दाहिण बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवद तया णं उत्तरले दुवालसमुहुत्ता राई भवई, जया णं उत्तरले दुवालस For Personal & Private Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ० मुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डे दुवालसमुहुत्ता राई भवद्द, तया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णेवत्थि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवइ णेवत्थि पण्णरसमुहुत्ता राई भवइ, वोच्छिण्णा णं तत्थ राइंदिया प० समणाउसो ! एगे एवमाहंसु ३ । वयं पुण एवं बयामो-ता जंबुद्दीवे २ सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छंति पाईणदाहिणमागच्छति पाईणदाहिणमुम्माच्छंति दाहिणपडीणमागच्छंति दाहिणपडीणमुग्गच्छंति पडीणउदीणमागच्छंति पडीणउदीणमुग्गच्छंति उदीणपाईणमागच्छंति, ता जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणढे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे ० दिवसे भवइ, जया णं उत्तर० तया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं राई भवइ, ता जया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं दिवसे भवइ तया णं पच्चस्थिमेणावि दिवसे भवर, अया णं पचत्थिमेणं दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं राई भवइ, ता जया णं० दाहिणड्डे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तथा णं उत्तरङ्गेवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया उत्तर तथा णं जंबुद्दीषे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं उपफोसर भारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं पञ्चत्थिमेणवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवर, जया में पचत्विमे उक्कोस अड्डारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीने २ मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवर, एवं गमेण णेयव्वं अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, साइरेगदुवालसमुहुत्ता राई भवर, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ता राई, सत्तरसमुहुत्तीणंतरे दिवसे भवइ, साइरेगतेरसमुहुत्ता राई भवइ, सोलसमुहुत्ते दिवसे भवइ, चोद्दसमुहुत्ता राई भवर, सोलसमुत्ताणंतरे दिवसे भवई, साइरेगन्चोद्दसमुहुत्ता राई भवइ, पण्णरसमुहुत्ते दिवसे तराई, पण्णरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे० साइरेगपण्णरसमुहुत्ता राई भवइ, सहते दिवसे सोलसमुहुत्ता राई, चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगसोलसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगतरमुत्ता राई, ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणढे जहण्णए दुवालसमुहुत्तए दिवसे भवइ तया णं उत्तरडे • जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तर महणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स • पुरत्थमपचत्थिमेणं उक्कोसिया अङ्कारसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं जम्बुद्दीवे २ 2 For Personal & Private Use Only २८ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्यिमेणं जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं पञ्चस्थिमेणवि जण दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं पञ्चत्थिमेणं जहणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स० उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठासमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणढे वासाणं पटमे समए पडिवजइ तया णं उत्तरदेवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, जया णं उत्तरढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तया णं जम्बुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपञ्च्चत्थिमेणं अणंतरपुक्खडकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, ता जया णं जग्बुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरन्धिमेणं वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं पञ्च्चत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पडिवजह, जया णं पञ्चत्थिमेणं वासाणं पटमे समए पडिवज्जइ. तया णं जम्बुद्दीवे २ मंदरउत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकडकालसयं सि वासाणं पढ़ मे समए पडिवण्णे भवइ, जहा समओ एवं आवलिया आणापाणू थोवे वे मुहुत्ते अहोरते पक्खे मासे ऊऊ, एवं दस आलावगा जहा वासाणं एवं हेमंताणं गिम्हाणं च भाणियव्वा, ता जया णं जम्बुद्दीवे २ दाहिणडे पढमे अयणे पडिवजइ तया णं उत्तरढेवि पढमे अयणे पडिवजइ, नया णं उत्तरडे पटमे अयणे पडिवज्जइ तया णं दाहिणेवि पढमे अयणे पडिवजइ, जया णं उत्तरढे पढमे अयणे पडिवज्जइ तथा णं जम्बुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं अणंतरपुरखखडकालसमयं सि पढमे अयणे पडिबजइ, ता जया णं जम्बुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पढमे अयणे पडिवजह, तया णं पञ्चत्थिमेणवि पढमे अयणे पडिवजह, जया णं पच्चत्थिमेणं पढमे अयणे पडिवजइ तया णं जम्बुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाह्रिणेणं अणंतरपच्छाकडकालसमयंसि पहमे अयणे पडिवण्णे भवइ, जहां अयणे तहा संवच्छरे जुगे वाससए, एवं वाससहस्से वाससय सहस्से पुव्यंगे पुव्वे एवं जाव सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे, ता जया णं जम्बुद्दीवे २ दाहिणड्ढे उस्सप्पिणी पडिवज्जइ तया णं उत्तरदेवि उस्सप्पिणी पडिवजह, जया णं उत्तरढे उस्सप्पिणी पडिवज्जइ तया णं जम्बुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरन्थिमपच्चत्थिमेणं णेवत्थि उस्सप्पिणी णेव अस्थि ओसप्पिणी अर्वाट्ठिए णं तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो !• एवं ओस्सप्पिणीवि । ता जया णं लवणे समुद्दे दाहिणढे दिवसे भवइ तया णं लवणसमुद्दे उत्तरढे॰ दिवसे भवइ, जया णं उत्तरढे दिवसे भवइ तया णं लवणसमुद्दे पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं राई भवइ, जहा जम्बूद्दीवे २ तहेव जाव उस्सप्पिणी०, तहा धायइसंडे णं दीवे सूरिया उदीण० तहेव, ता जया णं धायइसंडे द.वे दाहिणढे २६ For Personal & Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ३० दिवसे भवइ तया णं उत्तरडेवि दिवसे भवइ, जया णं उत्तरडे दिवसे भवइ तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरथिमपञ्चस्थिमेणं राई भवइ, एवं जम्बुद्दीवे २ जहा तहेव जाव उस्सप्पिणी०, कालोए णं जहा लवणे समुद्दे तहेव, ता अभंतरपुक्खरद्धे णं सूरिया उदीणपाईणमुम्गच्छ तहेव, ता जया णं अब्भतरपुक्खरद्धे णं दाहिणड्डे दिवसे भवइ तया णं उत्तरडेवि दिवसे भवइ, जया णं उत्तरडे दिवसे भवद तया णं अभितरपुक्खरद्धे मंदराणं पव्वयाणं पुरथिमपञ्चस्थिमेणं राई भवइ, सेसं जहा जम्बुद्दीवे २ तहेब जाव उम्सांप्पणीओसप्पिणीओ ॥२७॥ अट्टमं पाहुडं समत्तं ।।।। गवमं पाहुडं ता कइकट्ठे ते सूरिए पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेइ आहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाइंसु-ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेस फुसति ते णं पोग्गला संतप्पंति, ते णं पोग्गला संतप्पमाणा तयणंतराई बाहिराइं पोग्गलाई संतावेतीति एस णं से समिए तावक्खेत्ते एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवंमाइंसु-ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं पुसति ते गं पोग्गला णो संतप्यंति, ते णं पोम्गला असंतप्पमाणा तयणंतराई बाहिराई पोग्गलाई णो संतावेतीति एस णं से समिए तावक्खेत्ते एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाहंसु-ता जे से पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला अत्थेगइया संतप्पंति अत्येगइया णो संतप्पंति, तत्थ अत्थेगइया संतप्पमाणा तयणंतराई बाहिराई पोग्गलाई संताति अत्येगइया असंतप्पमाणा तयणंतराई बाहिराइं पोग्गलाई णो संतावेंति, एस णं से समिए तावक्खेत्ते एगे एवमासु ३ । वयं पुण एवं वयामो-ता जाओ इमाओ चंदिमसूरियाणं देवाणं विमाणेहिंतो लेसाओ बहिया [उच्छूढा] अभिणिसट्ठाओ पतावेति, एयासि णं लेसाणं अंतरेसु अण्णयरीओ छिण्णलेसाओ संमुच्छंति, तए णं ताओ छिण्णलेसाओ संनुच्छियाओ समाणीओ तयणंतराइं बाहिराइं पोग्गलाई संतावेति इइ एस णं से समिए तावक्खेत्ते ॥२८॥ ता कइकडे ते सूरिए पोरिसि अये णिवत्तेइ आहितेति वएजा. १ तत्थ खलु इमाओ प्रणवीसं पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता अणुसमयमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिवत्तेइ आहितेति वएबा एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता अणुमुहुत्तमेव सूरिए For Personal & Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र पोरिसिच्छायं णिवत्तेइ आहितेति वएजा०, एवं एएणं अभिलावेणं णेयत्वं, ता जाओ चेव ओयसंठिईए पणवीस पडिवत्तीओ ताओ चेव णेयवाओ जाव अणुउस्सप्पिणी०मेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिव्यत्तेइ आहिताति वएजा, एगे एवमाहंसु २५ । वयं पुण एवं वयामो-ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेसं च पडुच्च छाउद्देसे उच्चत्तं च छायं च पडुच्च लेसुद्देसे लेसं च छायं च पडुच्च उच्चत्तुद्देसे, तत्थ खलु इमाओ दुा पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ,तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता अन्थि णं से दिवसे जंसि चणं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसिच्छायं णिव्यत्तेइ,अस्थि णं से दिवसे जंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं णिव्वत्तेइ० एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमासु-ता अस्थि णं से दिवसे जंसि चणं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं णिवत्तेइ, अस्थि णं से दिवसे जंसि० दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसिच्छायं णिवत्तेइ०२, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अस्थि णं से दिवसे जसि च णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, अत्थि णं से दिवसे जंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वमंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ, तं०-उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य, लेसं अभिवठेमाणे णो चेव णं णिबुड्डेमाणे, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, तं०उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य, लेसं अभिबुट्टेमाणे णो चेव णं णित्रुट्टेमाणे० १, तत्थ णं. जे ते एवमाहंसु-ता अत्थि णं से दिवसे जंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, अस्थि णं से दिवसे जंसि च णं दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसियं छायं णिवत्तेइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वअंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ, तं०-उग्गमणमुहुत्तंसि य अस्थमणमुहुत्तंसि य, लेसं अभिवडेमाणे णो चेव णं णिबुड्डमाणे०,ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तयाणं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, For Personal & Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसिच्छायं णिचत्तेइ, तं०-उग्गमणमुहत्तंसि य अस्थमणमुहत्तंसि य, णो चेव णं लेसं अभिबुड्डेमाणे वा णिबुद्देमाणे वा०२, ता कइकडं ते सूरिए पोरिसिच्छायं णिवत्तेइ आहिताति बएजा ? तत्थ खलु इमाओ छण्णउई पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ,तं०-तत्थेगे एवमाइंसु-ता अस्थि णं से देसे जसि च णं देसंसि सूरिए एगपोरिसियं छायं णिवतेइ० एगे एवमाहंसु, एगे पुण एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि च णं देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेइ०, एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्वं जाव छण्णउइं पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेइ, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि च णं देसंसि सूरिए एगपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सब्वहेट्ठिमाओ सूरप्पडिहीओ बहिया अभिणि सट्ठाहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ जावइयं सूरिए उड्डे उच्चत्तेणं एवइयाए एगाएं अद्धाए एगेणं छायाणुमाणप्पमाणेणं उमाए तत्थ से सूरिए एगपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि च णं देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ, ते एवमाइंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमाओ सूरियप्पडिहीओ बहिया अभिणिसट्ठियाहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ जावइयं सूरिए उड्डे उच्चत्तेणं एवइयाहिं दोहिं अद्धाहिं दोहिं छायाणुमाणप्पमाणेहिं उमाए एत्थणं से सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, एवं णेयव्वं जाव तत्थ जे ते एवमाइंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि च णं देसंसि सूरिए छण्णउइं पोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ, ते एवमाइंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहिडिमाओ सूरप्पडिहीओ बहिया अभिणिसट्टाहि लेसाहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ जावइयं सूरिए उ8 उच्चत्तेणं एवइयाहिं छण्णवईए छायाणुमाणप्पमाणाहिं उमाए एत्थ णं से सूरिए छण्णउइं . पोरिसियं छायं णिवत्तेइ एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं वयामो-ता साइरेगअउणट्ठिपोरिसीणं सूरिए पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेइ०, ता अवडपोरिसी गं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता तिभागे गए वा सेसे वा, ता पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता चउभागे गए वा सेसे वा, ता दिवड्डपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा १ ता पंचमभागे गए वा सेसे वा, एवं अद्धपोरिसिं छोढुं पुच्छा दिवसस्स भागं जेढुं वागरणं जाव ता अद्धअउणासहिपोरिसीछाया For Personal & Private Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता एगूणवीससयभागे गए वा सेसे वा, ता अउणासट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसम्स किं गए वा सेसे वा ? ता बावीससहस्सभागे गए वा सेसे वा,ता साइरेगअउणासहिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता णस्थि किंचि गए वा सेसे वा, तत्थ खलु इमा पणवीसणिविट्ठा छाया प०,तं०खंभच्छाया रज्जुच्छाया पागारच्छाया पासायच्छाया उवग्गच्छाया उच्चत्तच्छाया अणुलोमच्छाया आरुभिया समा पडिहया खालच्छाया पक्खच्छाया पुरओउदया पुरिमकंठभाउवगया पच्छिमकंठभाउवगया छायाणुवाइणी किट्ठाणुवाइणीछाया छायछाया १७गोलछाया,तत्थ णंगोलच्छाया अट्टविहा पण्णत्ता,तंजहा-गोलछाया अवडगोलच्छाया गाढलगोलच्छाया अवडगाढलगोलच्छाया गोलावलिच्छाया अवहगोलावलिच्छाया गोलपुंजच्छाया अवगोलपुंजच्छाया २५ ॥ २९ ॥ एवमं पाहुडं समत्तं ।। ६॥ - दसमं पाहुडं ता जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाए आहितेति वएजा, ता कहं ते जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाए आहितेति वए जा १ तत्थ खलु इमाओ पंच पडिक्त्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वेविणं णखत्ता कत्तियाइया भरणिपनवसाणा प० एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता महाइया अस्सेसपजवसाणा पण्णत्ता एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमासु-ता सव्वेवि णं णक्खत्ताधणिट्ठाइया सवणपजवसाणा पण्णत्ताएगे एवमाहंसु ३, एगे पुण एवमाइंसुता सव्वेवि णं णक्खत्ता अस्सिणीआइया रेवइपजसाणा प० एगे एक्माहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वेषि णं णक्खत्ता भरणीआइया अस्सिणीपजवसाणा० एगे एवमाहंसु ५, वयं पुण एवं वयामो-ता सव्वेवि णं णखत्ता अभिईआइया उत्तरासादापजवसाणा पण्णत्ता, तंजहा-अभिई सवणो जाव उत्तरासादा ॥ ३० ॥ दसमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।। १०-१॥ ता कहं ते मुहुत्ता आहितेति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्ते जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तहिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, अस्थि णक्खत्ता जे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णखत्ता जे For Personal & Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ता एएसि णं अट्ठावीमाए णवस्त्रत्ताणं कयरे णक्खत्ते जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तविभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, कयरे णक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णवत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोय जोएंति, कयरे णवखत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णखत्ते जे णं णव मुत्ते सत्तावीसं च सत्तविभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ से णं एगे अभीई, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जाएंति ते णं छ, तं०-सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साई जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तसं मुहत्तं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पण्णरस, तं०-सवणे धणिट्ठा पुब्वाभद्दवया रेवई अस्सिणी कत्तिया मिगसिरपुस्सा महा पुवाफग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णवत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-उत्तरामद्दवया रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा ॥ ३१ ॥ ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णवत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं मोयं जोएइ, अस्थि णक्खता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरते बारस य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णखत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं .. जोएंति, ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ, कयरे णक्खत्ता जे णं छं अहोरत्ते एकवीसमुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णवत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति,ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते उच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ सेणं एगे अभीई, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साई जेट्ठा, तत्थ जे ते"तेरस अहोरत्ते दुवालस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पण्णरस, तंजहासवणो धणिट्ठा पुवामद्दवया रेवई अस्सिणी कत्तिया मिगसिरं पूसो महा पुन्याफरगुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुब्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं For Personal & Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-उत्तराभवया रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासादा ॥ ३२ ॥ दसमस्स पाहुउस्स बिइयं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥ १०-२ ।। ___ता कहं ते एवंभागा आहिताति वएजा १ ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णवत्ता पुब्वंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता प०, अस्थि णवखत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता प०, अस्थि णखत्ता णत्तंभागा अवदुक्खेत्ता पण्णरसमुहुत्ता ५०,अस्थि णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डक्खेत्ता पणयालीसं मुहुत्ता प०,ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता० पुव्वंभागा समक्खेत्ता त.समुहुत्ता प० जाव कयरे णक्खत्ता० उभयंभागा दिवढक्खेत्ता पणयालीसइमुहुत्ता प०१ ता एएसि णं भट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता पुव्वंभागा समक्खेत्ता सहमहुत्ता प० ते णं छ, तंजहा-पुन्वापोट्टवया कत्तिया महा पुव्वाफग्गुणी मूलो पुव्वासादा, तत्थ जे ते णक्खत्ता० पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता प० ते णं दस, तंजहाअभिई सवणो धणिवा रेवई अस्सिणी मिगसिरं पूसो हत्थो चित्ता अणुराहा, तत्थ जे ते णखत्ता० णत्तंभागा अवक्खेत्ता पण्णरसमुहुत्ता प० ते णं छ, तंजहासयमिसया भरणी अदा अस्सेसा साई जेट्टा, तत्थ जे ते णक्खत्ता०. उभयंभागा दिवाक्खेत्ता पणयालीसं मुहुत्ता प० ते णं छ, तंजहा-उत्तरापोट्टवया रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा ॥ ३३ ॥दसमरस पाहडस्स तइयं पाहुडपाहुडं समतं ।।१०.३॥ .. ... . ता कहं ते जोगस्स आई आहिताति वएजा ! ता अभीईसवणा खलु दुवे मक्खत्ता पन्छाभागा समक्खेत्ता साइरेगऊयालीसइमुहत्ता तप्पटमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, तओ पच्छा अवरं साइरेयं दिवसं, एवं खलु अमिईसवणा दुवे गखत्ता एगराई एगं च साइरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियटृति जोयं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं धणिडाणं समप्पेंति, ता धणिट्ठा खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं बोएड २ ता तओ पच्छा राई अवरं च दिवसं, एवं खलु धणिट्ठा णक्खत्ते एगंच राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टह जोयं अणुपरियहित्ता सायं:चंदं सयभिसयाणं समप्पेह, ता सयभिसया खलु णखत्ते गत्तंभागे अवाक्खेते अण्णरसमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ णो लभइ For Personal & Private Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र अवरं दिवसं, एवं खलु सयभिसया णक्खत्ते एग राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोय जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टइ जोयं अणुपरियट्टित्ता पाओ चंदं पुव्वाणं पोट्ठवयापं समप्पेइ, ता पुव्वापोहवया खलु णक्खत्ते पुत्वंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पटमयाए पाओ चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, तओ पच्छा अवरराइं, एवं खलु पुव्वापोट्टवया णक्खेत्ते एगं च दिवसं एगं च राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ २ त्ता जोयं अणुपरियह २ त्ता पाओ चंदं उत्तरापोट्टवयाणं समप्पेइ, ता उत्तरापोट्टवया रूलु णक्खत्ते उभयंभागे दिवडक्खेत्ते पणयालीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए पाओ चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ अवरं च राई तओ पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु उत्तरापोट्टवया णक्खत्ते . दो दिवसे एगं च राई चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोएत्ता जोयं अणुपरियट्ट २त्ता सायं चंदं रेवेईणं समप्पेइ, ता रेवई खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, तओ पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु रेवई णखत्ते एगं राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ २ त्ता जोयं अणुपरियट्टइ २ त्ता सायं चंदं अस्सिणीणं समप्पेइ, ता अस्सिणी खलु मक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसहमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, तओ पच्छा अवरं दिवस, एवं खलु अस्सिणी णक्खत्ते एगं च राई एगं च दिवसं चंदेण सर्दि जोयं जोएइ २ ता जोयं अणुपरियट्टह २ त्ता सायं चंदं भरणीणं समप्पेइ, ता भरणी खलु णक्खते णतंभागे अवहक्खेत्ते पण्णरसमुहुत्ते तप्पदंमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, णो लभइ अवरं दिवसं, एवं खलु भरणी णक्खत्ते एगं राई चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ २ त्ता जोयं अणुपरियट्टइ २ त्ता पाओ चंद कत्ति.याणं समप्पेइ, ता कत्तिया खलु णव खत्ते पुष्वंभागे समक्खेत्ते तीसइहुत्ते तप्पढमयाए पाओ चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, तओ. पच्छा राई, एवं खलु कत्तिया. णक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ २ ता जोयं अणुपरिया २ त्ता पाओ चंदं रोहिणीणं समप्पेइ, रोहिणी जहा उत्तरभद्दवया मिगसिरं जहा धणिहा अद्दा जहा सयभिसया पुणव्वसू जहा उत्तराभद्दवया पुस्सो जहा धणिट्ठा अस्सेसा जहा सयभिसया महा जहा पुव्वाफग्गुणी पुव्वाफाल्गुणी जहा पुव्वाभवया उत्तराफ्गुणी जहा उत्तरांभद्दवया हत्थो चित्ता य नहा धणिट्ठा साई जहा सथमिसया विसाहा कहा उत्तरामरक्या अणुसहा वहा परिक्षा मिल्या मूला पुव्वासादा य बहा पुवामहवया उत्तरासादा जहा उवासमक्या ॥ ३४ ॥ दसमस्स पाहुडस्स चउत्थं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥१०.४॥ For Personal & Private Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ता कहं ते कुला उवकुला कुलोवकुला आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमे बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला प०, बारस कुला०, तंजा - धणिट्ठाकलं उत्तराभद्दवयाकुलं अस्सिणीकुलं कत्तियाकुलं संठाणाकुलं पुस्साकुलं महाकुलं उत्तराफग्गुणीकुलं चित्ताकुलं विसाहाकुलं मूलाकुलं उत्तरासादाकुलं, बारस उवकुला०, तंजा-सवणो उवकुलं पुब्वापुट्ठवयाउवकुलं रेवई उवकुलं भरणी उवकुलं रोहिणीउवकुलं पुणञ्चसू उवकुलं अस्सेसाउवकुलं पुव्वाफग्गुणीउवकुलं हत्थाउवकुलं साईउवकुलं जेट्ठा उबकुलं पुव्यासादाउवकुलं, चत्तारि कुलोवकुला०, तंजहा - अभीईकुलोव कुलं सयभिसयावुपेवकुलं अद्दाकुलोवकुलं अणुराहाकुलोवकुलं || ३५ || दसमस्स पाहुडस्स पंचमं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥ १०५ ॥ ३७ ता कहं ते पुण्णमासिणी आहितेति वएजा १ तत्थ खलु इमाओ बारस पुण्णिमासिणीओ बारस अमावासाओ पण्णत्ताओ, तंजहा - साविट्ठी पोडवई आसोया कत्तिया मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती बेसाही जेट्ठामूली आसाढी, ता सावर्णि पुण्णिमार्ति कर णक्खत्ता जोऐति १ ता तिण्णि णक्खता जोपंति, जहा - अभिई सषणो धणिट्ठा, पुडुबइण्णं पुण्णर्म कर णक्खता जोएति १ ता तिणिण णक्खत्ता जोपंति, तंजहा - सयभितया पुब्बापोडषया उत्तरापोडषया, ता आसोइर्ण पुणिर्म कर णक्खत्ता जोएति १ ता दोणि णवत्ता जोति, तजहांरेवई व अस्सिणी य, ता कन्तियण्ण पुष्णिमं कह णक्खता जोएति १ ता दोण्णि णक्खत्ता जोएति, तंजद्दा-भरणी कलिया य, ता मग्गसिरी पुणिर्म कर नमकता जोति ? ता दोणि क्त्ता जोएति, तजहा- रोहिणी मिगसिरोप, ता पोसि‍ पुणिर्म कर णक्खन्ता जोएति १ ता तिष्णि णक्खत्ता जोति, महा-भद्दा पुणम्बसू पुस्सी, ता माहिष्ण पुणिर्म कर णबखस्ता जोऐति । ता दोणि नवलता जोति, सं०- भरलेला महा प, ता फग्गुणिष्ण पुष्णिमं कर णक्खत्ता जोएति १ ता हुणि णवत्ता जोऐति, सं० पुषापणी उत्तरातगुणी प, ता चेति पुण्णम कर णक्खन्ता जोऐति १ ता दोणि, ते हाथो चित्ताप, ता बेलाहिष्ण पुणिर्म कर णक्खता जोऐति ? ता द्रोणि नक्कता जोएति, तं० - साई बिसाहा प, ता जेट्ठामूलिणं पुष्णिमासिणिं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता तिष्णि णवत्ता जोएंति, तं० - अणुराहा जेट्ठा मूलो, ता आसादिण्णं पुष्णिमं कह णवत्ता जोएंति ? ता दो णक्खत्ता जोएंति, तंजहा - पुव्वासादा उत्तरासादा ||३६|| [णाउमिह अमावासं जह For Personal & Private Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र इच्छसि कम्मि होइ रिक्खम्मि । अवहारं ठाविजा तत्तियरूवेहि संगुणए ॥ १॥ छावट्ठी य मुहुत्ता बिसट्ठिभागा य पंच पडिपुण्णा । वासद्विभागसत्तद्विगो य इवको इवह भागो ॥२॥ एयमवहाररासिं इच्छअमावाससंगुणं कुजा । णक्खत्ताणं एत्तो सोहणगविहिं णिसामेह ॥३॥ बावीसं च मुहुत्ता छायालीसं बिसट्ठिभागा य । एयं पुणव्वसुस्स य सोहयव्वं हवइ बुच्छं ॥४॥ बावत्तरं सयं फग्गुणीणं वाणउइय बे विसाहासु । चत्तारि य बायाला सोज्झा उ उत्तरासाढा ॥५॥ एयं पुणव्वसुम्स य विसट्ठिभागसहियं तु सोहणगं । इत्तो अभिईआई बिइयं बुच्छामि सोहणगं ॥ ६॥ अमिइस्स णव मुहुत्ता बिसट्टिभागा य हुंति चउवीसं । छावट्ठी असमत्ता भागा सत्तछेयकया ॥७॥ उगुणटुं पोट्टवयाइसु चेव णवोत्तरं च रोहिणिया । तिसु णवणवएसु भवे पुणब्बसू फुगुणीओ य ॥८॥ पंचेव उगुणपण्णं सयाइ उगुणुत्तराई छन्चेव । सोज्माणि विसाहातुं मूले सत्तेव चोयाला ॥ ९॥ अट्ठसय उगुणवीसा सोहणगं उत्तराण सादाण । चउवीस खलु भागा छायड्डी पुणियाओ य ॥ १० ॥ एयर सोहरत्ता सेस तं हवेर णवत्तं । इत्थं करेइ उबइ. सूरेण समं अमापास ॥११॥ इच्छापुण्णिमगुणिओ अवहारो सोस्थं होह काययो । तं चेष य सोहणर्ग अमिईआई तु कायब्धं ॥ १२ ॥ सुद्धमि य सोहणगे जे सेस ते. भविज णवत्त । तस्प य को उबरपरिपुण्णो पुणिम विउल॥१३॥] ता. साविरिण पुणिमासिणि किं फुल गोपा उपकुल जोएर कुलोषकुल बोपर ता कुल या जोएर उपकुल पा गोएर फुओषकुल बा जोपर, फुल जोएमाणे पाणिवा जलतेउपकुल जोएमाणे सवणे णत्यले गोएर, फुलोषकुल जोएमाणे भामिणसते जोएड, ता साविति पुणिम इस पा जोपा उपकुल या गोएर फुलोषकुल मा बोएर, फुलेण पा जुत्ता उपकुलेण पा मुसा फुलोषकुलेग पा जुत्ता साविकी पुणिमा जुत्ताति पत्तच लिया, ता पोखरण पुष्णिम कि कुल गोएर उपकुल जोपर कुलोषकुल पा बोएर । ता कुल वा जोपा उपकुल या गोएर कुलोषकुल पा गोपाकुर नोएमाणे उत्सरापोषषा गवसते जोपर, उबकुल गोएमाणे पुण्यापाषषा गलत गोपा, फुलोष. कुल नोएमाणे सपमितता गवसते जोपर, पोषण पुण्णमासिणि कुल वा मोटर उपकुलं वा जोएइ कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलेज का जुत्ता ३ पुढक्या पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, ता आसोई णं पुणिमासिणिं किं कुलं जोएइ उवकुलं जोएइ कुलोवकुलं जोएइ ? ता कुलंपि जोएइ उवकुलंपि जोएइ णो लभइ कुलोवकुलं, For Personal & Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र कुलं जोएमाणे अस्सिणी णक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे रेवई णक्खत्ते जोएइ, आसोई णं पुण्णिमं कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता अस्सोई णं पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, एवं णेयव्वाउ, पोसं पुणिमं जेट्ठामूलं पुण्णिमं च कुलोवकुलंपि जोएइ, अवसेसासु णत्थिं कुलोवकुलं जाव आसाढी पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया । ता साविट्टिणं अमावासं कई णक्खत्ता जोएंति ? ता दुण्णि णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-अस्सेसा य महा य, एवं एएणं अभिलावणं णेयव्वं, पोट्ठवयं दो णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-पुन्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, अस्सोई दो० हत्थो चित्ता य कत्तियं० साई विसाहा य, मग्गसिरं० अणुराहा जेट्टा मूलो, पोसिं० पुव्वासादा उत्तरासादा, माहि० अभीई सघणो धणिट्ठा, फगुणिं० सयभिसया पुव्वापोडक्या उत्तरापोट्टवया, चेति रेवई अस्सिणी य, विसाहि० भरणी कत्तिया य, जेट्ठामूलं० रोहिणी मिगसिरे च ता आसाढिं णं अमावासिं कइ गवखत्ता जोएंति ? ता तिण्णि णक्खत्ता जीएंति, तं०-अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, ता साविहिँ णं अमावासं किं कुलं जोएइ उवकुलं बोएइ कुलोवकुलं जोएइ १ ता कुलं वा चोएइ उपकुलं वा जोएइ णो लभइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे महा णक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे असिलेसा० जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी अमावासा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, एवं णेयव्वं, णवरं मग्गसिराए माहीए फग्गुणीए आसाढीए य अमागसाए कुलोवकुलंपि जोएइ, सेसेसु णत्थि जाव आसाढी अमावासा जुत्ताति वत्तव्वं सिया ॥३७॥ दसमस्स पाहुडस्स छठे पाहुड. पाहुडं समत्तं ॥१०-६।। ता कहं ते सण्णिवाए आहिएति वएजा ? ता जया णं साविट्ठी पुण्णिमा भवइ तया णं माही अमावासा भवइ, जया णं माही पुण्णिमा भवइ तया णं साविट्ठी अमावासा भवइ, जया णं पुट्ठवई पुण्णिमा भवइ तया णं फगुणी अमावासा भवइ, जया णं फरगुणी पुण्णिमा भवइ तया णं पुट्ठवई अमावासा भवइ, जया णं आसोई पुण्णिमा भवइ तया णं चेत्ती अमावासा भवइ, जया णं चेत्ती पुण्णिमा भवइ तयाणं आसोई अमावासा भवइ, जया णं कत्तिई पुण्णिमा भवइ तयाणं वेसाही अमावासा भबइ, जया णं वेसाही पुण्णिमा भवइ तया णं कत्तिया अमावासा भवह, जया णं मांगसिरी पुण्णिमा भवह तया णं जेट्टामूली अमावासा भवइ, जया णं जेट्ठामूली पुणिमा भवइ तया णं मग्गसिरी अमावासा भवइ, जया णं पोसी पुण्णिमा भवइ For Personal & Private Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र तया णं आसाढी अमावासा भवइ, जया णं आसानी पुणिमा भवइ तया णं पोसी । अमावासा भवइ ॥ ३८ ॥ बसमस्स पाहुउस्स सत्तमं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥१०-७॥ ता कहं ते णवत्तसंठिई आहितेति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीईणक्खत्ते किंसंठिए पण्णत्ते ? ता गोसीसावंलिसंठिए पण्णत्ते, ता सवणे णक्खत्ते किंसंठिए पण्णत्ते ? ता काहारसंठिए प०, धणिट्ठाणक्वत्ते सांगणेपलीणगसंठिए, सयभिसयाणक्खत्ते पुष्फोवयारसंठिए, पुव्वापोडक्याणवरूत्ते अवट्ठवाविसंठिए, एवं उत्तरावि, रेवईणखत्ते णावासंठिए, अस्सिणीणक्खत्ते आसक्खंधसंदिप भरणीणक्खत्त भगठिए, कत्तियाणक्खत्ते छुरघरगसंठिए, रोहिणीणक्खत्ते सगड्डुद्धिसंठिए, मिगसिराणक्खत्ते मिगसीसावलिसटिए, अद्दाशरखत्ते हिरबिंदुसंठिए, पुणव्वसूणक्खत्ते तुलासंठिए, पुप्फे णक्खत्ते वदमाणसंठिप, अस्सेसाणक्खत्ते पडागठिए, माणस्खले मायारसंहिए, पुवाफगुणीणक्खत्ते अद्धपलियंकसंठिए, एवं उत्तरावि, हत्थे णक्खत्ते हत्थसंठिए, चित्ताणक्खत्ते मुहफुलसंठिए, साईणक्खत्ते खोलासंटिए, विसाहाणखत्ते दामणिसंदिए, अणुराहाणक्खते. एगावलिसंठिए, बेदाणाबले महासमिसले पाखचे विच्छुयलंगोलसंठिय, पुष्वासाढाणक्खत्ते गयविक्रमसंठिए, उत्तरासादाणक्खत्ते साइकोठिए प० ॥३९॥ दसमस्स पाहुउसलाचलुन पाहुपाहु समतं ॥१०॥ ता कहं ते तारग्गे आहिएति वएजा १ ता एएसि गं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीईणखत्ते करतारे ५० १ ता तितारे पण्णत्ते, सवणे गक्खत्ते तितारे घणिट्ठागखते पणतारे, सयमिसयाणखत्ते सयतारे पुब्बापोडक्याणक्खत्ते दुतारे, एवं उत्तरापि, रेवई. बत्तीसरतारे, अस्सिणीणक्खते तितारे, भरणी तितारे, कत्तिया छत्तारे, रोहिणी पंचतारे, मिगसिरे तितारे, अद्दा एगतारे, पुणव्यसू पंचतारे, पुस्से तितारे, अस्सेसा छत्तारे, महा सत्ततारे, पुवाफगुणी दुतारे, एवं उत्तरावि, हत्थे पंचतारे, चित्ता एगतारे, साई एगतीरे विसाहा पचतारे, अनुराहो चउतारे, जेट्ठा तितारे, मूले एगतारे, पुव्वासादा चडता उत्तरासादा उतारे ॥ ४० ॥ दसमस्स पाहुडस्स गवमं पाहुडपाहुरं समत्तं ॥१०-६॥ For Personal & Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१. . चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र .- ता कहं ते णेया आहितेति वएजा ? ता वासाणं पदमं मासं कइ णक्खत्तो गति ? ता चत्तारि णक्खत्ता ऐति, तंजहा-उत्तरासादा अभिई सवणो धणिट्ठा, उत्तरासादा चोद्दस अहोरते णेइ, अभिई सत्त अहोरत्ते णेइ, सवणे अट्ठ अहोरत्ते णेइ, धणिट्ठा एगं अहोरत्तं णेह, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासम्स चरिमे दिवसे दो पयाई चत्तारि य अंगुलाई पोरिसी भवइ, ता वासाणं दोच्चं मासं कह णवखत्ता णेति ? ता चत्तारि णक्खत्ता ति, तंजहा-धणिट्ठा सयभिसया पुव्वापोट्टवया उत्तरापोट्टवया धणिट्ठा चोद्दस अहोरत्ते णंइ, सयभिसया सत्त अहोरत्ते णेइ, पुव्वापोट्टवया अट्ठ अहोरत्ते णेइ, उत्तरापोट्टवया एग अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि अटुंगुलपोरिसाए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णे मासस्स चरिमे दिवसे दो पयाई अट्ट य अंगुलाई पोरिसी भवइ, ता वासार्णं तइयं मासं कह णखत्ता ऎति ? ता तिण्णि णक्खत्ता गेति, तं०-उत्तरापोटुवया रेवई अस्सिणी, उत्तरापोढवया चोद्दस अहोरत्ते णेइ, रेवई पण्णरस अहोरत्ते णेइ, अस्सिणी एग अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिया, तस्स से मांसस्स चरिमदिवसे लेहट्ठाई तिणि पयाई पोरिसी भयइ, ता वासाणं चउत्थं मासं कइ णक्खत्ता णति ? ता तिण्णि णक्खत्ता णेंति, तं०-अस्मिणी भरणी कत्तिया, अस्सिणी चउद्दस अहोरत्ते णेइ, भरणी पण्णरस अहोरत्ते णेइ, कत्तिया एमं अहोरतं णेइ, तंसि च गं मासंसि सोलसंगुलाए पोरिसिच्छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासम्स चरिम दिवसे तिण्णि पयाई चत्तारि य अंगुलाई पोरिसी-भवइ । ता हेमंताणं पदमं मांसं कह णखत्ता गति ? ता तिण्णि णक्खत्ता ऐति, तं०-कत्तिया रोहिणी संटाणा, कत्तिया चोद्दस अहोरत्ते णेइ, रोहिणी पण्णरस अहोरत्ते णेइ, संटाणा एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स गं मासस्स चरिमे दिवसे तिण्णि पयाई अट्ट, ये अंगुलाई पोरिसी भवद, ता हेमंताणं दोच्चं मासं कह णखत्ता ऐति ? ता चत्तारि णक्खत्ता ऐति, तं०-सटाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, संटाणा चोद्दस अहोरत्ते णेइ, अद्दा सत्त अहोरत्ते णेइ, पुणव्वसू अह अहोरत्ते णेद, पुस्से एग अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि चउवीसंगुलमोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियहर, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहडाई चत्तारि पयाई पोरिसी भवइ, ता हेमंताणं तइयं मासं कइणक्खत्ता ऐति ? ता तिण्णि णक्खत्ता ऐति, तं०-पुस्से अस्सेसा मेहा, पुस्से चोद्दस अहोरत गैई, अत्सेसा पंचदस अहोरत्ते णेह, महा एगं For Personal & Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिण्णि पयाई अटुंगुलाई पोरिसी भवइ, ता हेमंताणं . चउत्थं मासं कह गक्खत्ता ऎति ? ता तिण्णि णक्खत्ता ऐति, तं०-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, महा चोद्दस अहोरत्ते णेद, पुव्वाफगुणी पण्णरस अहोरत्ते णेइ, उत्तराफरगुणी एग अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि सोलसअंगुलाए पोरिसीए. छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स र्णमासस्स चरिमे दिवसे तिणि पयाई चत्तारि य अंगुलाई पोरिसी भवइ । ता गिम्हाणं पढमं मासं कइ णवत्ता णेति ? ता तिषिण णक्खत्ता ऐति,तं०-उत्तराफागुणी हत्यो चित्ता, उत्तरांफग्गुणी चोद्दस अहोरत्ते णेइ, हत्यो पण्णरस अहोरत्ते णेइ, चित्ता एग अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलपोरिसाए छायाए सूरिए अणुपरिया,तस्स णंमासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाई तिण्णि पयाइं पोरिसी भवइ, ता गिम्हाणं बिइयं मासं कर णखत्ता ऐति ? ता तिणि णखत्ता ऐति, तं०-चित्ता साई विसाहा,चित्ताचोइस अहोरते णेइ, साई पण्णरस अहोरते णेइ, विसाहा एग अहोरत्तं णेद, तंसि च णं मासंसि अटुंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पयाई हय अंगुलाई पोरिसी भवइ, ता गिम्हाणं तइयं मासं कइ णक्खत्ता मेंति ? तो ति जस्लत्ता ति, त-विंसाहा अणुराहा जेट्टामूलो, विसाहा चोद्दस अोरते णेइ, अणुराहा पण्णरस०, जेट्ठामूलों एग अहोरत्तं णेह, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ,तस्स णंमासस्स चारिमे दिवसे दो पयाणि य चत्तारि अंगुलाणि पोरिसी भवइ,ता गिम्हाणं चउत्थं मासे कइ णक्खत्ता ऐति ? ता तिण्णि णक्खता गैति,तं.-मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा, मूलो जोहस अहोरते णेइ, पुब्बासाढा पण्णरस अहोरत्ते णेइ, उत्तरासादा एगं अहोरतं णेइ,तसि च णं मासंसि बहाए समचउरंससंठियाए णग्गोहपरिमंडलाए सकायमणुरंगिणीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ,तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहडाइं दो पयाई पोरिसी भवा ॥४॥ वसमस्स पाहुडस्स वसमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।।१०.१०॥ ......ता कहं ते चंदमग्गा आहिति वएजा १ ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खताणं भत्थि शक्रवत्ता जेणं सपा चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति, अस्थि गक्वत्ता जेणं सया चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमहंपि जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमइंपि For Personal & Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र जोयं बोएंति, अस्थि णक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमदं जोयं जोएइ, ता एएसिणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जायं जोएंति तहेव जाव कयरे णक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमई जोयं जोएइ ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं जे णं णक्खत्ता सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति ते णं छ, तं०-मंटाणा अद्दा पुस्सो अस्सेसा हत्यों मूलो, तत्थ जे ते णरूत्ता जेणं सया चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति ते गं बारस, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा सयमिसया पुवामद्दवया उत्तरापोट्टवया रेवई अस्सिणी भरणी पुत्वाप.गुणी उत्तराफगुणी साई १२, तस्थ जे ते णखत्ता जे णं चंदस्स दाहिणं.वि उत्तरेणवि पमइंपि जोयं जोएंति ते णं सत्त, तंजा-कत्तिया रोहिणी पुणन्वसू महा चित्ता विसाहा अणुराहा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेपावि अमाप लोक जोएंति ताओ गंदो आसादाओ सव्वबाहिरे मंडले जोयं जोएंसु काजोएंतिबाजोएस्संति वा, तत्थ जे से णखत्ते जे णं सया चंदस्स पमई जोयं जोएइ सा णं एगा जेट्ठा ॥ ४२ ॥ ता कह ते चंदमंडला पण्णत्ता. वा अपारस बंदमंडला पण्णता, ता एएसि णं पण्णरसण्डं चंदमंडलाणं अन्थि. चंदमंडला जे णं सया णवसत्तेहि अविरहिया०, अस्थि चंदमंडला जे णं रविससिणखत्ताणं सामण्णा भवंति, अस्थि चंदमंडला जे णं सया आइच्चेहि विरहिया, ता एएसि णं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं कयरे चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहि अविरहिया जाव कयरे चंदमंडला जे णं सया आइश्चविरहिया ? ता एए सि णं पण्णरसण्डं चंदमंडलाणं तत्थ जे ते चंदमंडला जेणसया मक्खत्तहिं अविरहिया ते णं अट्ठ,तंजहा-पढमे चंदमंडले तइए चंदमंडले छढे चंदमंडले सत्तमे चंदमंडले अट्ठमे चंदमंडले दसमे चंदमंडले एघारसमे चंदमंडले पण्णरसमे चंदमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सया णदखत्तहिं विरहिया ते णं सत्त, तंजहा-बिदए चंदमले चउत्थे चंदमंडले पंचमे चंदमंडले णवमे चंदमंडले बारसमे चंदमंडले तेरसमे चंदमडले चउद्दसमे दमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडला जे ण ारमिलानमालामाझमचाएमति ते णं चत्तारि, तंजहा-पढमे चंदमंडले बीए अंदमावेशसमें समबिलेखोग्यासिमिणत्वदामेउले, तत्थे जे ते चंदमंडला जे संवा गोस्लाविलीया जिम्मा पचरिक्समा पढेका कमंडले सत्तमे चंदमंडले अहमें चदमडले मामाबदडल दसमे चदमंडले ||४||दसमस्स पाहुस्स एक्कारसमं पाहुडपाहु समत्त ।। १०-११ ॥ For Personal & Private Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ता कहं ते देवयाणं अज्झयणा आहिताति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णखत्ताणं अभिईणक्वत्त किंदेवयाए पण्णत्ते १ ता भदेवयाए पण्णत्ते,सवणे०विण्हु० धणिहाणखत्ते बसुञवयाए०, सयभिसयाणक्खत्ते वरुण., पुवापोट्ट• अयदे०, उत्तरापोट्टवयाणक्खत्ते अमिवहि, एवं सब्वेवि पुच्छिज्जति, रेवई पुस्सदेवया०, अस्सिणी अस्सदेवया०, भरणी जमदेवया०, कत्तिया अग्गिदेवया० रोहिणी पयावइदेवया०,संठाणा सोमदेवयाए०,अद्दा रुद्ददेवयाए०,पुणव्वसू अदिति०,पुस्सो बहस्सइ०,अस्सेसा सप्प०, महा पिइ०, पुवाफग्गुणी भग०, उत्तराफग्गुणी अजम०, हत्थे सविया०, चित्ता तट्ट०, साई वाउ०, विसाहा इंदग्गी०, अणुराहा मित्त०,जेट्ठा इंद०, मूले णिरइ०, पुच्चासादा आउ०,उत्तरासादा० विस्सदेवयाए पप्णत्ते ॥४४॥ दसमस्स पाहडस्स बारसमं पाहडपाहडं समत्तं ।।१०.१२॥ . ता कहं ते मुहुत्ताणं णामधेजा आहिताति वएजा ?ता एगमेगस्स णं अहोरत्तस्स तीसं मुहुत्ता प०,तंजहा-रद्दे सेए मित्ते वाउ सुगी(पी)ए तहेव अमिचंदे।माहिद बलव वंभे बहुसच्चे चेव ईसाणे ॥ १॥ तढे य भावियप्पा वेसमणे वारणे य आणंदे । विर के पासणे पावई चेव उवसामे ॥ २ ॥ गंधव्व अगिवेसे सपरिसहे आयवं च अममे य। अणवं भोमे रिसहे सव्वढे रक्खसे चेव ॥३॥ ४५ ॥ वसमस्स पाहुउस्स तेरस पाउपाहु समतं ।। १०.१३॥ . ता कहं ते दिक्सा आहिताति वएजा ? ता एगमेगस्स जे पक्खस्स पण्णरस दिवसा पण्णत्ता, तं०-पडिवादिघसे बिइमादिकसे जाव पण्णरसीदिवसे, ता एएसिणं पण्णरसण दिवसाणं पण्णरस णामधेजा प०, तं०-पुव्ववंगे सिद्धमणोरमे य तत्तो .मणोरहे(हरे)चेव । जसभद्दे य जसोधर य सत्वकामसमिद्धे ॥ १॥ इंदमुदामिसित्ते य सोमणस धणंजए य बोद्धब्वे । अत्थसिद्धे अभिजाए अचसणे सयंजए चेव ॥२॥ अग्गिवेसे उवसमे दिवसाणं णामधेजाई । ता कहं ते राईओ आहिताति वाजा १ ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राईओ पण्णत्ताओ, तंजहा-पडिवाराई विइयाराई जाव पण्णरसीराई, ता एयासि णं पण्णरसण्हं राईणं पण्णरस णामधेजा पण्णत्ता, तं०-उत्तमा य सुणक्खत्ता, एलावच्चा जसोधरा । सोमणसा चेव तहा सिरिसंभूया य बोद्धव्वा ॥ १ ॥ विजया य वेजयंति जयंति अपराजिया य इच्छा य। समाहारा चेव तहा तेया य तहा य आइतेया ॥१॥ देवाणंदा णिरई रयणोणं गामवेजाइं ॥ ४६ ॥ दसमस्स पाहुडस्स चउद्दसमं पाहुम्पाहुई समत्तं ॥ १०.१४ ॥ For Personal & Private Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति ता कहूं ते तिही आहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमा दुविहा तिही पण्णत्ता, तंजदा-दिवसतिही य, राईतिही य, ता कहं ते दिवसतिही आहितेति वएजा ? ता एगमेगस णं पक्खस्स पण्णरस २ दिवसातही पण्णत्ता, तं०-णंदे भद्दे जए तुच्छे पुणे पक्वस्स पंचमी पुणरवि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स दसमी पुणरवि भद्दे तुच्छे पुणे पक्खस्स पण्णरसी, एवं ते तिगुणा तिहीओ सव्वे सिं दिवसाणं, ता कहं ते राईतिही आहितेति वएजा ? ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राईतही प०, तं० - उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सब्द सिद्धा सुहणामा, एए तिगुणा तिहीओ सव्वासिं राईणं ॥ ४७ ॥ दसमस्स पाहुउस्स पण्णरसमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।। १०-१५ ॥ O ता कहं ते गोत्ता आहिताति वरजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णवत्ताणं अभिईणक्खत्ते किंगोत्ते प० १ ता मोग्गल्लायणसगोत्ते. पण्णत्ते, सवणे० संखायण०, धणिट्ठा० अग्गितावस ०, सयभिसया० कण्णिलायणसगोन्ते, पुम्बापोट्ठवया• जोउकण्णियसगोत्ते,उत्तरापोट्ठवया० घणंजयस गोत्ते, रेवईणव खत्ते पुस्सायणसगोत्ते, अस्सिणीणक्खत्ते अस्सायणसगोत्ते, भरणीणक्खत्ते भग्गवेससगोत्ते, कत्तियानक्खते अग्गिवेससगोत्ते, रोहिणीणक्खत्ते गोयम०, संठाणाणक्खत्ते भारद्दा यसगोते, अद्दाणक्खत्ते लोहिच्चायणसगोते, पुणव्वसूणक्खत्ते बासिहसगोत्ते, पुस्से० उमजायणसगोत्ते, अस्सेसाणक्खत्ते मंडब्वायणसगोत्ते, महाणक्खत्ते पिंगायणसगोत्ते, पुव्वाफग्गुणीणव खत्ते गोवल्लायणसगोत्ते, उत्तराफभ्गुणीणक्खत्ते कासव, हत्थे ० कोसिय०, चित्ताणखत्ते दमियाणस्स गोत्ते, साईणक्खत्ते चामरच्छायणसगोत्ते, विसाहाणक्खन्ते सुगायणसगोत्ते अणुराहाणखत्ते गोलव्वायणसंगोत्ते, जेट्ठाणक्खत्ते तिमिच्छायणसगोत्ते, मूले णक्खत्ते कच्चायणसगोत्ते, पुव्वासादाणक्खन्ते वज्झियायणसगोत्ते, उत्तरासादाणक्खत्ते वग्धावश्वसंगोत्ते || ४८ ॥ दसमस्त पाहुडस्स सोलसमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।। १०-१६ ॥ ४५ ता कहं ते भोयणा आहिताति बएला ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कन्तियाहिं दधिणा भौंचा कज्जं साधेति, रोहिणीहिं वसभमंसं + भोच्चा कज्जं सार्धेति, संठाणादिँ मिगमंसं भोच्चा कज्नं साधेंति, अद्दाहिं णवणीएणं भोखा कज्जं सार्धेति, पुणव्वसुणा घएणं भोच्चा कज्जं साधेंति, पुस्सेणं खीरेणं भोच्चा कज्जं साधेंति, अस्से. Jain Education Internationa+. स्पष्टीकरण के लिये सम्पादकीय देखें 1. only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र साए दीगवमंसं भोच्चा कज्जं साधेति, महाहिं कसोति भोच्चा कज्जं साधेति, पुवाहिं फग्गुणीहिं मेदगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति, उत्तराहि फग्गुणीहिं णक्खीमंसं भोच्चा कज्ज साधेति, हत्येणं वत्थाणीयपणेणं भोच्चा कज्ज साधेति, चित्ताहिं मुग्गसूवेणं भोच्चा कज साधेति, साइशा फलाई भोच्चा कज्ज साधेति, विसाहाहि आसित्तियाओ भोच्चा कजं साति, अणुराहाहिं मिस्साकरं भोच्चा कज्जं साधेति, जेट्ठाहिं कोलट्ठि एणं भोचा कज्ज साधेति, मूलेणं मूलगसागेणं भोच्चा कज्ज साधेति, पुन्याहिं आसा. ढाहिं आमलगसरीरेणं भोच्चा कज्जं साधेति, उत्तराहिं आसाटाहिं बिलकेहि भोच्चा कजं साधेति, अभीइणा पुप्फेहिं भोच्चा कज्ज साधेति, सव्रणेणं खीरेणं मोच्चा फज़्जं साधेति, धणिवाहिं जूसेणं भोच्चा कज्जं साति, सयभिसयाए तुवरीओ भोच्चा कज्नं साधेति, पुवाहिं पुट्ठववाहि कारिल्लएहिं भोचा कज्ज. साधेति, उत्तयदि पुट्टण्याहिं वराहमंस भोच्चा कज्ज साधेति, रेवईहिं नव्यरमंसं भोचाकनं सार्धति, अस्सिणीहि तित्तिरमा मोचा फज्ज साधेति, भरणी िविक्तहलयं भोच्चा कज्ज मा ति ॥४९॥ दसमस्स पाहुउस्स सत्तरसमं पाहुडपाहुरंसमसं ॥१०-१७॥ ता कहं ते चारा आहिताति वएजा १ तत्थ खलु इमे दुविहा चारा पणेत्ता, तं.-आइञ्चचारा य चंदचारा य, ता कहं ते चंदचारा आहिताति वएज्जा ! ता पंच संवच्छरिए णं जुगे अभीइणक्खत्ते सत्तसहिचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएड, सवणे गस्ते सत्तसहिचारे चंदेण सर्दि जोयं जोएइ, एवं जाव उत्तरासादामक्खते सत्तसहिचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ । ता कहं ते आइच्चचारा आहितेति वएजा? वा पंच संवछरिए णं जुगे अमीईणक्खत्ते पंचचारे सूरेण सद्धिं जोयें जोएइ, एवं बाब उत्तरासादाणखत्ते पंचचारे सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ ॥५०॥दसमस्स .. पारस अद्रारसमं पाहडपाहडं समत्तं ॥१०-१८॥ ता कहं ते मासा आहिताति वएजा १ ता एगमेगस्स णं संवच्छरस्स बारस मासा पण्णत्ता, तेसिं च दुविहाणामधेबा पण्णत्ता, तं:-लोइया य लोउत्तरिया य, तस्थ लोइया णामा०, तं-सावणे भद्दवए आसोए जाव आसाढे, लोउत्तरिया णामा०, तं. अमिणंदे पहढे य, विजए पीइवद्धणे । सेज्जसे य सिवे यावि, सिसिरेवि य हेमवं ॥१॥ गवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे । एक्कारसमें णिदाहो, वणविरोही य बारसे ॥२॥५१॥ दसमस्स पाहुस्स एगूणवीसइमं पाहुडपाहुडं समतं ॥१०.१६॥ For Personal & Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ता कहं ते संवच्छरा आहिताति वएजा ? ता पंच संवच्छरा आहिताति वएजा, तं०- गक्खत्तसंबच्छरे जुगसंवच्छरे पमाणसंवच्छरे लक्खणसंवच्छरे सणिच्छरसंवच्छरे ॥ ५२ ॥ ता णक्खत्तसंवच्छरे ण कइविहे प० १ ता णक्खत्तसंवच्छ रे णं दुदारुविहे पण्णत्ते, त० - सावणे भद्दवए जाव आसाढे, जं वा बहस्सइमहग्गहे दुवालसहि संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेइ ॥ ५३ ॥ ता जुगसंवच्छ रे णं पंचविहे पण ते, तं जहा - चंदे चंदे अभिवढिए चंदे अभिवट्टिए चेव, ता पढमस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा प०, दोच्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा प०, तच्चस्स णं अभिवडियसंवच्छरस्स छब्बीसं पव्वा प०, चउत्थम्स णं चंदसंवच्छ रस्स चउवीसं पवा प०, पंचमस्त णं अभिवद्दियसंवच्छरस्स छत्वीसं पव्वा पण्णत्ता, एवामेव सपुव्वावरेण पंचसवच्छरिए जुगे एगे चडवीसे पव्वसए भवतीति मक्खायं ॥५४॥३ ता श्रमाणसंयच्छरे में पंचविह प०; तंजहा—णक्खत्ते चंदे उडू आइन्चे अभिवडिए || ६५ ॥० ता लक्खणसवच्छरे णं पंचविहे प०, तं०—समगं णक्खत्ता जोयं जोएति समग उऊ परिणमति । मन्दुष्ट णाइसीए बहुउदए होइ नक्खते ॥ १ ॥ . सति संग सिमासि जोरता विरामकारिणवखत्ता । कहुओ बहूदओ य तमाहु संवारं ॥२॥ वियमं पचाणि परिणमंति अणुऊसु दिति पुप्फफलं । वासं ण सम्म बासह तमाह संवच्छरं क्रम्मं ||३|| पुढविदगाणं च रसं पुप्पपलाणं च देइ आइच्चे । अप्पेणवि बासेणं सम्मं णिप्फनए सरसं || ४ || आइचतेयतविया खणलबदिवसा उऊ परिणमति । पूरेइ णिण्णथलए तमाहु अभिबढियं जाण ॥ ५ ॥० ता सणिच्छरसंवच्छरे णं अट्ठावीसइविहे प०, तं० - अभीई सवणे जाव उत्तरासाढा, जं वा सणिच्छरे महाहे तीसाए संदच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेइ ॥ ५६ ॥ दसमस्स पाहुडल्स वीसइमं पाहुडपाहुडं समतं ।। १०-२० ॥ ता कहं ते जोइसस्स दारा आहिताति वा कथा खल इमाओ मंच पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०- तत्येगे एवमाहंसु - ता कत्तियाइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता एमे एवमाहंतु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता महाझ्या णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमहिंसु-ता पिाहया णं सत्त णक्खत्ता पुब्ववारिया पण्णत्ता एगे एवमाहंसु ३, एगे पुष्प एवमाहंसु-ता अस्सिणीआइया गं सत्त मक्खत्ता पुव्यदारिया पण्णत्ता एंगे एवमाहंतु ४, एगे पुण एवमासु ता भरणी आइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता० ५ । तत्थ जे ते ४७ For Personal & Private Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सू . ४८ एवमाहंसुतु-ता कत्तियाइया णं सत्त गक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमाहंसु - तं०कतिया रोहिणी संटाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा, महाइया णं सत्त णक्खन्ता दाहिणदारिया पण्णत्ता, तंजहा - महा पुव्वाफम्गुणी उत्तरापभ्गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाइया णं सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजा— अराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासादा उत्तरासाठा अभिई सवणो, धणिट्ठाइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंज़हा धणिट्ठा सय भिसया पुव्यापोट्ठवया उत्तरापोट्ठवया रेवई अस्सिणी भरणी । तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता महाइया णं सन्त णवत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमाहंसु - तंजहा - महा पुव्वाप गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाइया गं सन्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पप्णन्ता, तं जहा - अणुराहा जेट्ठा मूले पुव्यासादा उत्तरासादा अभिई सवणे, घट्ठिाइया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजहा- धणिट्ठा सर्याभिसया पुव्वापोट्ठया उत्तरापोट्ठवया रेवई अस्सिणी भरणी, कत्तियाइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंजद्दा—कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसु पुस्सो अस्सेसा । तत्थ जे F ते एवमाहंसु - ता धणिट्ठाइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमाहंसुतंजा - धणिट्ठा सयभिसया पुव्वाभद्दवया उत्तराभद्दवया रेवई अस्सिणी भरणी, कन्तियाइया णं सत्त णक्खता दाहिणदारिया पण्णत्ता, तंजहा—कत्तिया रोहिणी ठाणा अद्दा पुणव्वसू पुरसो अस्सेसा, महाइया णं सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजहा -महा पुव्वाफभ्गुणी उत्तरापम्गुणी हुन्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंजहा - अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासादा अभीई सवणो । तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अस्सिणीआइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता ते एवमाहंसु - तंजहा - अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणबसू, पुस्साइया णं सत्त णवत्त दाहिणदारिया पण्णत्ता, तंजहा - पुस्सा अस्सेला महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफन्गुणी हत्थो चित्ता, साईआइया णं सत्त णक वत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजहा - साई विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासादा उत्तरासादा अभीईआइया णं सत्त मक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंजहा - अभिई सवणो घणिट्ठा सयभिसया पुव्वा'महवया उत्तराभद्दवया रेवई । तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता भरणीआइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमा सु-तंजहा भरणी कत्तिया रोहिणी सटाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, अस्सेसाइया णं सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पण्णत्ता, For Personal & Private Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ४६ तंजहा - अस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई, विसाहाइया णं सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तं०-विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासादा उत्तरासादा अभिई, सवणाइया णं सत्त णवखत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तं ० -सवणो धगिट्ठा सय भिसया पुव्वापोट्ठवया उत्तरापोट्ठवया रेवई अस्सिणी, एए एवमाहंसु, वयं पुण एवं वयामो- ता अभिईआइया णं सत्त णवखत्ता पुव्वदारिया प०, तंजहा - अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुव्वापोट्ठवया उत्तरापोट्ठवया रेवई, अस्सिणीआइया णं सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पण्णत्ता, तं०-अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसू, पुस्साइया णं सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तं० - पुस्सो अस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, साईआइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तं-साई विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूले पुव्वासाढा उत्तरासाढा || ५७ ॥ दसमस्स पाहुडस्स एकवीसइमं पाहुडपाहुड समत्तं ।। १०-२१ ॥ ता कहं ते णक्खत्तविजए आहिएति वएजा ? ता अयण्णं जंबुद्दीवे २ जाव परिक्खेत्रेणं०, ता जंबुद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा, दो सूरिया तविंसु वा तवेंति वा तविस्संति वा, छप्पणं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा ३, तंजहा - दो अभीई दो सवा दो धणिट्ठा दो सयभितया दो पुव्वापोट्ठवया दो उत्तरापोट्ठवया दो रेवई दो अस्सिणी दो भरणी दो कत्तिया दो रोहिणी दो संठाणा दो अद्दा दो पुणव्वसू दो पुस्सा दो अस्सेसाओ दो महा दो पुव्बाफग्गुणी दो उत्तराफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो साई दो' विसाहा दो अणुराहा दो जेट्ठा दो मूला दो पुव्वासाढा द्वो उत्तरासादा, ता एएसि पं छप्पण्णाए णक्खताणं अस्थि णक्खत्ता जे णं णव ते सत्तावीसं च सत्तट्टिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं 'जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं तीसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जायं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण संद्धिं जोयं जोएंति, ता एएसि णं छप्प-करे णक्खत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तासं च सत्तट्ठिभागे मुहुस्स चंदे सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जेणं पण्णरसमुहुते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं तीस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जाएंति १ ता एएसि णं For Personal & Private Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ५० छप्पण्णाए णखत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहत्तस्स चंदेण सद्धिं जायं जोएंति ते णं दो अभीई, तत्थ जे ते णवत्ता जे णं पण्णरस मुहत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-दो सयभिसया दो भरणी दो अद्दा दो अस्सैसा दो साई दो जेट्टा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा दो धणिट्ठा दो पुव्वाभवया दो रेवई दो अस्सिणी दो कत्तिया दो संठाणा दो पुस्सा दो महा दो पुव्वाफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो अणुराहा दो मूला दो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-दो उत्तरापोट्टवया दो रोहिणी दो पुणव्वसू दो उत्तराफग्गुणी दो विसाहा दो उत्तरासादा; ता एएसि णं छप्पण्णाए णखत्ताणं अत्थि णक्खत्ता जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णखत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारसमुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णवत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, ता एएसि णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कयरे णखत्ता जे णं तं चेव उच्चारेयव्वं, ता एएसि णं छप्पण्णाए णखत्ताणं तत्थ जे ते णखत्ता जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं दो अभीई, तत्थ जे ते णखत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहत्ते सूरेण सद्धिं जोय जेएंति ते णं बारस, तंजहा-दो सयमिसया दो अद्दा दो अस्सेसा दो साई दो विसाहा दो जेट्ठा, तत्थ जे ते णवत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते वारसमुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा जाव दो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्ख़त्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिणि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस, तंजहादो उत्तरापोट्टवया जाव दो उत्तरासाढा ॥५८॥ ता कहं ते सीमाविक्खंभे आहिएति वएजा ? ता एएसि णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्ता जेसि णं छ सयाजीसा सत्तट्ठिभागतीसहभागाणं सीमाविक्खंभो, अस्थि णक्खत्ता जेसि गं सहस्सं चोत्तरं सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो, अस्थि णक्खत्ता जेसि णं दो ससा दसुत्तरा सत्तद्विभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो, अस्थिणक्खत्ता जेसि गतिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तविभागतीसइभागाणे सीमाविक्खंभो, ता एएसि णं छप्पण्णाए णक्खताणं कयरे णखत्ता जेसि णं छ सया तीसा तं चेव उच्चारेयव्व-जाव कयरे णक्खत्ता For Personal & Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र जेसिणं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तविभागर्त सहभागाणं सीमाविवखंभो ? ता एएसि णं छापण्णाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णवत्ता जेसि णं छ सया तीसा सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं दो अभीई, तत्थ जे ते णखत्ता जसिणं सहस्सं पंचुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसहभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं बारस, तंजहा-दो सयभिसया जाव दो जेट्ठा, तस्थ जे ते णवत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं तीसं, तंजहा-दो सवंणा जाव दो पुवासादा, तत्थ जे ते णखत्ता जेसि णं तिण्णि सहस्सा पण्णरसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसहभागाणं सीमाविक्खंभो ते ण बारस, तं०-दो उत्तरापोट्टक्या जाव दो उत्तरासादा ॥५९॥ ता एएसि णं छप्पण्णाए णय खत्ताणं किं सया पाओ चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, किं सया सायं चंदेण सद्धिं जायं जाएंति, किं सया दुहओ पविसिय २ चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ? ता एएसि णं छापण्णाए णक्खत्ताणं ण किवि तं जं सया पाओ चंदेण सद्धिं जायं जोएंति, णो सया सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, णो सया दुहओ पविसित्ता २ चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, गस्थि राईदियाणं होहीए मुहुत्ताणं च चओवचएणं णण्णत्थ दोहिं अभीई हिं, ता एएणं दो अर्भाई पायंघिय पायंचिय चोत्तालीसं २ अमावासं जोएंति, णो चेव गं पुण्णिमासिणि || ६० ॥ तत्थ खलु इमाओ बावडिं पुणिमासिणीओ बावहि अमावासाओ पाओ, ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं पुणिमासिणि चंदे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावाई पुणिमासिणिं जोएइ ताओ पुणिमासिणिहाणाओ मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेत एन्थ णं से चंदे पढमं पुण्णिमासिणि जोएइ, ता एएसि गं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्च पुष्णिमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जसि णं देसंसि चंदे पदमं पुणिमासिणि जोएइ ताओ पुण्णिमासिणिट्टाणाओ मंडलं चउकीसेणं सएणं हेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से चंदे दोच्च पुण्णिमासिणिं जोएइ, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्च पुणिमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि चंदो दोच्च पुणिमासिणिं जोएइ ताओ पुणिमासिणिहाणाओ मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेचा एत्थ णं से चंदे तच्चं पुण्णिमासिणि जोएइ, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराण दुवालसमं पुणिमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएइ ? ताजंसिणं देसंसि चंदे तच्च पुण्णिमासिणि जोएइ ताओ पुण्णिमा For Personal & Private Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सिणिट्ठाणाओ मंडलं चउब्बीसेण सरणं छेत्ता दोणि अट्ठार्स. ए. भागसए उवाइणावेत्ता एत्थ णं से चंदे दुवालसमं पुष्णिमासिणि जोएद्द, एवं खलु एएए वाएणं ताओ २ पुण्णमा सिणिट्ठाणाओ मंडलं चउब्धी सेणं सरणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता तंसि २ देसंसि तं तं पुष्णिमासिणिं चंदे जोएइ, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावडिं पुष्णिमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंबुद्दीवस्स णं० पाईणपडीणा या उदीर्णदाहिणाययाए जवाए मंडलं चरव्वीसेणं सरणं हेत्ता दाहिणिलंसि चङभागमंडलंसि सत्तावीसं चउभागे उवाइणावेत्ता अट्ठावीसइभागे बीसहा छेत्ता अट्ठारभागे उवाइणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं पञ्चत्थि मिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं से चंदे चरिमं बावट्ठि पुणिमासिणि जोएः ॥ ६१ ॥ ता एएसि णं पंचहे संवच्छराणं पढमं पुण्णिमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएइ १ ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावट्ठि पुण्णिमासिणि जोएइ ताओ पुष्णिमासि गिट्ठाणाओ मंडलं चउल्वीसेणं सरणं छेत्ता चउणवई भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से सूरिए पटमं पुण्णिमासिणि जोएड, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुष्णिमासिणिं सूरे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरे पटमं पुष्णिमासिणि जोएइ ताओ पुण्णिमासिणिट्ठाणाओ मंडलं चउवीसेणं सरणं छेत्ता चरणवद्दभागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से सूरे दोच्चं पुष्णिमासिणिं जोएइ, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं पुणिमा सिणिं सूरे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जैसि णं देसंसि सूरे दोच्च पुण्णिमासिणि जोएर ताओ पुष्णिमासिणिट्ठाणाओ मंडलं चउव्वीसेणं सरणं छेत्ता चउणउइभागे. उवाइणावेत्ता एत्थ णं से सूरे तच्चं पुष्णिमासिणिं जोएइ, ता एएसि णं पंच संवच्छरण दुवालसमं पुण्णमा सिणि सूरे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरे तच्च पुष्णिमासिणि जोएह ताओ पुष्णिमासिणिट्ठाणाओ मंडलं चड, सेणं सएण छेत्ता भट्ट छत्ताले भागसए उवाहणावेत्ता एत्थ णं से सुरे दुवालसमं पुण्णमासिणि जोएड, एवं खलु एएणुबाएण ताओ २ पुण्णिमासिणिहाणाओ मंडल की सरणं छेत्ता चउणउइ २ भागे उबाइणावेत्ता तंसि २ देसंसि तं तं पुण्णमाक्षिणिं सूरे जोएइ, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं चरिमं बावट्ठि पुण्णिमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंबुद्दीवस्स णं० पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाय याए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सरणं छेत्ता पुरत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तार्व सं भागे उवाइणावेत्ता अट्ठावीसइमं भागं वीसहा छेत्ता अट्ठारसमागे उवाइणावेत्ता तिहि For Personal & Private Use Only ५२ Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहिणिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं सूरे चरिमं बावडिं पुण्णिमं जोएइ ॥ ६२ ।। ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं पढमं अमावासं चंदे कंसि देसंसि जोएइ १ ता जंसि णं देसंसिं चंदे चरिमबावडिं अमावासं जोएइ ताओ अमावासट्ठाणाओ मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से चंदे पढमं अमावासं जोएड्, एवं जेणेव अभिलावेणं चंदस्स पुण्णिमासिणीओ० तेणेव अमिलावेणं अमावासाओवि भाणियव्वाओ-बिइया तइया दुवालसमी, एवं खलु एएणुवाएणं ताओ २ अमावासट्टाणाओ मंडलं चउनीसेणं सएणं छेत्ता दुबत्तीसं २ भागे उवाइणावेत्ता तंसि २ देसंसि तं तं अमावासं० चंदे जोएइ, ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावहि अमावासं चंदे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि गं देसंसि चंदे चरिमं बावडिं पुण्णिमासिणि जोएइ ताओ पुण्णिमासिणिट्ठाणाओमंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता सोलसभागे उक्कोवइत्ता एत्थ णं से चंदे चरिमं बावाह अमावासं जोएइ ॥६३ ॥ ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं पढमं अमावासं सूरे कंसि देसंसि जोएइ १ ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावाई अमावासं जोएइ ताओ अमावासट्टाणाओ मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता चउणउइभागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से सूरे पढमं अमावासं जोएइ,एवं जेणेव अभिलावेणं सूरियस्स पुण्णिमासिणीओ० तेणेव अमिलावणं अमावासाओवि०, तंजहाबिइया तइया दुवालसमी,एवं खलु एएणुवाएणं ताओ अमावासट्टाणाओ मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता चउणउई २ भागे उवाइणावेत्ता तंसि २ देसंसितं २ अमावासं०सूरे जोएइ, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावडिं अमावासं पुच्छा, ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावाटुं पुण्णिमासिणि जोएइ ताओ पुण्णिमासिणिट्ठाणाओ मंडलं चउन्चासेणं सएणं छेत्ता सत्तालीसं भागे उक्कोवइत्ता एत्थ णं से सूरे चरिमं बावढि अमावासं जोएइ ॥६४॥ ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पदमं पुण्णमासिणिं चंदे केणं णवत्तेणं(जोय)जोएइ १ ता धणिट्ठाह,धणिट्ठाणं तिष्णि मुहुत्ता एगूणवीसं च बावविभागा मुहुत्तस्स बावविभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता पाणट्टि चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तण जोएइ ? ता पुत्वाफगुणीहि, पुवाफगुणीणं • अट्ठावीसं मुहुत्ता अद्वतीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावविभागं च सत्तहिहा छेत्ता दुबत्तीसं चुण्णियामागासेसा,ता एएसि थपंचण्हं संवच्छराणं दोच्च पुणिमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ १ ता उत्तराहिं पोट्टवयाहिं,उत्तराणं पोट्टवयाणं सत्तावीसं मुहुत्ता For Personal & Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र चोद्दस य बावद्विभागे मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता बावडिं चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं,उत्तराफग्गुणीणं सत्त मुहुत्ता तेत्तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता एकवीस चुण्णियाभागा सेसा, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्च पुण्णिमा सिणिं चंदे hणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता अस्सिणीहिं, अस्सिणीणं एकवीसंमुहुत्ता णव य एगट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सतट्ठिा छेत्ता तेवद्धिं चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं चणं सुरेकेणं णक्खत्तेणं जोएइ, ता चित्ताहिं, चित्ताणं एक्को मुहुत्तो अट्ठावीसं च भाग मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता तसं चुण्णियाभागा सेसा, ता एएसि णं पंचाणं संवच्छराणं दुवालसमं पुष्णिमासिणिं चंदे केणं क्रुणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसादाहिं, उत्तराणं आसाढाणं छदुवीसं मुहुत्ता छदुर्वासं च वाट्ठिभागा मुहुत्त बाट्टिभागं च सत्तष्ट्ठिहां छेत्ता चउप्पण्णं कुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेगं जोएइ ? ता पुणब्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलसमहत्ता अट्ट य बाषडिभागा मुहुर्त्तस्स् बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता वीसं चुणियाभागा सेसा, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं चरिमं बावट्ठि पुण्णिमासिणिं चंदे के णं क्खणं जोइ ? ता उत्तराहिं आसादाहिं, उत्तराणं आसादाणं चरमसमए, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुस्सेणं, पुस्सस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेयालीस च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता तेत्तीसं चुण्णियाभागा सेसा || ६५|| ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं पटमं अमावासं चंदे के क्खत्ते जोए ? ता अस्सेसाहिं, अस्सेसान एक्के मुहुत्ते चत्तालीमं च बावट्टि - भागा मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता छावट्ठि चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे णं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता अस्सेसाहिं चेव, अस्सेसाणं, एक्को मुहुत्तो चत्तालीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता छावा चुण्णियाभागा सेसा, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छरणं दोच्चं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणीणं चत्तालीसं मुहुप्ता पणती बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बाषट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता पण्णट्ठि कुण्णियाभागा सेसा, तं समयं चणं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ! ता. उत्तराहि चेव फग्गुणी हिं, उत्तराणं फग्गुणीणं जहेव चंदस्स । ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं तच्चं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता हत्येणं, हत्थस्स चत्तारि मुहुत्ता तसंच बावट्टि For Personal & Private Use Only ५४, Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ५५ तं भाया मुहुत्तस्स वावद्विभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता बावडिं चुण्णियाभागा सेसा, समयं च णं सूरे केणं क्वत्तेणं जोएइ ? ता हत्थेणं चेव, हत्थस्स जहा चंदस्स, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छरणं दुवालसमं अमावासं चंदे केणं णवत्तेणं जोएइ ! ता अद्दाहिं, अद्दाणं चत्तारि मुहुत्ता दस य बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्त द्विहाः छेत्ता चउप्पण्णं दुण्णियाभागा सेसा, तं समयं चणं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता अद्दाहिं चेव, अद्दाणं जहा चंदस्स । ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावट्ठि अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स बावीसं मुहुत्ता बायालीसं च बासट्टिभागा मुहुत्तस्स सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खते जोइ ? ता पुणव्वसुणा चैव, पुणव्वसुस्स णं जहा बंदस्स || ६६ ॥ ता जेणं अजणक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाई अडू. एबीई सयाई चउवीसं च बावट्टिभागे मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा हेत्ता बावहिं चुणियाभागे उवाइणावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं सरिसएणं चेव णवखत्तेणं जोयं जोएइ अण्णंसि देसंसि, ता जेणं अज्जणक्खत्तेणं चंदे जोय जोएइ असि देससि सेणं. इमाई सोल अट्ठत्तीसे मुहुत्तसयाई अउणापण्णं च बावद्विभागे मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिा छेत्ता पण चुण्णियाभागे उवाहणावेत्ता पुणरवि से णं चंदे तेण चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ अण्णंसि देसंसिं, ता जेणं अजणक्रुतेण चंदे जोये जोएइ जंसि देसंसि सेणं इमाई चउप्पण्णमुहुत्तसहस्साई णव य मुहुत्तसयाई उवाइणावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेण तारिसएणं चेव० जोयं जोएइ तंसि देसंसि, ता जेण अजणक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएइ जंसि देसंति से णं इमाई एगं लक्ख णव य सहस्से अट्ठ य मुहुत्त उवाहणावेत्ता पुणरवि से चंदे तेणं चेव णक्खतेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि, ता जेणं अजणक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएह जंसि देसंसि से णं इमाहं तिष्णि छाबट्टाई राईदियसयाई उबाइणावेत्ता पुणरवि से सूरिए अण्णं तारिसपूर्ण वेब णक्खन्तेण जोयं जोएड तसि देससि, ता जेणं अजय वत्तेः सूरे जोयं जोएर तसि देसंसि से णं इमाई सत्तदुवीसं राईदियसयाई उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे तेणं चेब णक्वतेषां जोयं लोएर तंसि देसंसि ता जेणं अजणक्खत्तेण सूरे जोयं जोएह जंसि देसंति से णं इमाई अङ्गरस तीन सदियसयाई उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे सस्ते बोयं जोर तंसि देसंसि, ता जेणं अजवान खरेण सूरे जोयं जोएइ जंसि देसंसि तेणं इमाई छत्तीसं सट्टाई राइदियसयाई उवाइणावेत्ता पुणरवि For Personal & Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र से सूरे तेणं चेव णक्खत्तण जोयं जोएइ तंसि देससि ॥ ६७ ॥ ता जया णं इम चंदे गइसमावण्णए भवइ तया णं इयरेवि चंदे गइसमावण्णए भवइ, जया णं इयरे चंदे गइसमावण्णए भवइ तया णं इमेवि चंदे गइसमावण्णए भवइ, ता जया णं इमे सूरिए गइसमावण्णे भवइ तया णं इयरेवि सूरिए गइसमावण्णे. भवह, जया णं इयरे सूरिए गइसमावण्णे भवइ तया णं इमेवि सूरिए गइसमावण्णे भवइ एवं गहेवि णक्खत्तेवि, ता जया णं इमे चंदे जुत्ते जोगेणं भवइ तया णं इयरेवि चंदे जुत्ते जोगेणं भवइ, जया णं इयरे चंदे जुत्ते जोगेणं भवइ तया णं इमेवि चंदे जुत्ते जोगेणं भवइ, एवं सूरेवि गहेवि णक्खत्तेवि, सयावि णं चंदा जुत्ता जोगेहि सयावि णं सूरा जुत्ता जोगेहि सयावि णं गहा जुत्ता जोगेहिं सयावि णं णवत्ता जुत्ता जोगेहिं दुहओवि णं चंदा जुत्ता जोगेहिं दुहओवि णं सूरा जुत्ता जोगेहि दुहओवि गं गहा जुत्ता जोगेहि दुहओवि णं णक्खत्ता जुत्ता जोगेहि, मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउयाए सएहिं छेत्ता । इच्चेस णक्खत्ते खेत्तपरिभागे णक्खत्तविजए पाहुड़ेति आहिएत्ति-बेमि ॥ ६८ ॥ दसमस्स पाहुडस्स बावीसइमं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥१०-२२।। दसमं पाहुडं समत्तं ॥१०॥ एक्कारसमं पाहुडं . - ता कहं ते संवच्छराणाई आहिएति वएजा ? तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पण्णत्ता, तंजहा-चंदे २ अभिवडिए चंदे अभिवहिए, ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स के आई आहिएति वएजा ? ता जे णं पंचमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स पजवसाणे से णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स आई अणंतरपुरक्खडे समए, ता से णं किं पजवसिए आहिएति वएना ? ता जे णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स आई से णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए, तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तण (जोगं) जोएइ ? ता उत्तराहिं आसादाहिं, उत्तराणं आसाढाणं छदुवीसं मुहुत्ता छदुवीसंच बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठि भागं च सत्तट्टिहा छेत्ता चउप्पण्णं चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ १ ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ट य यावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावविभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता वीसं चुणियाभागा सेसा। ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स के आई आहिएति वएजा ? ता जे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पजयसाणे से णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स आई अणंतर For Personal & Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र पुरक्खडे समए, ता से णं किं पजवसिए आहिएति वएजा १ ता जे णं तच्चस्स अभिवडियसंवच्छरस्स आई से णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए, तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुव्वाहिँ आसाढाहिं, पुवाणं आसाटाणं सत्त मुहुत्ता तेवण्णं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स वावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता इगतालीसं चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णवखत्तेणं [जोयं] जोएइ ? ता पुणव्वसुणा, पुणव्यसुस्स णं बायालीसं मुहुत्ता पणतीसं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता सत्त चुणियाभागा सेसा । ता एएसि णं पंचण्हें संवच्छराणं तच्चस्स अभिवडियसंवच्छरस्स के आई आहिएति वएजा ? ता जे णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाण से णं तच्चस्स अभिवड़िय- . संवच्छरस्स आई अणंतरपुरक्खडे समए, ता से णं किं पजव सिए आहिएति. वएजा ? ता जे णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स आई से णं तच्चस्स अभिववियसवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए, तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसादाणं तेरस मुहुत्ता तेरस य बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तहिहा छेत्ता सत्तावीसं च चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुणव्वसुणा, पुणव्यसुस्स दो मुहत्ता छप्पण्णं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता सट्ठी चुण्णियामागा सेसा । ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स के आई आहिएति वएना ? ता जे णं तच्चस्स अभिवडियसंवच्छरस्स पजवसाणे से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स आई अणंतरपुरक्खडे समए, ता से णं किं पजवसिए आहिएति वएजा ? ता जे ण चरिमस्स अभिवडियसंवच्छरम्स आई से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए, तं समयं च णं चंदे केणं णखत्तेणं जोएइ १ ता उत्तराहिं आसाढाहि, उत्तराणं आसाढाणं चत्तालीसं मुहत्ता चत्तालीसं च बासट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता चउसट्ठी चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स अउणतीसं मुहुत्ता एक्कवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता सीयालीसं चुणियाभागा सेसा । ता एएसि गंपंचण्हं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवड्डियसंवच्छरस्स के आई आहिएति वएजा ? ता जे णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाणे से णं पंचमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स आई अणंतरपुरवखडे समए, ता से णं किं पंजवसिए आहिएति वएजा ? ता जे णं पढमस्स चंदसंवच्छर For Personal & Private Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ US चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र स्स आई से णं पंचमस्स अभिवड्डियसंवच्छरस्स पजसाणे अणंतरपच्छाकडे समए, तं समयं च णं चंदे केणं णखत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं० चरमसमए, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुस्सेणं, पुस्सस्स णं एकवीसं मुहुत्ता तेयालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता तेत्तीसं चुणियाभागा सेसा ॥६९॥ एक्कारसमं पाहुडं समत्तं ॥११॥ बारसमं पाहुडं ता कहं णं संवच्छरा आहिताति वएज्जा ? तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पण्णत्ता, तंजहा-णखत्ते चंदे उडू आइच्चे अभिवहिए, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमस्स णक्खत्तसंवच्छरस्स णक्खत्तमासे तीसइमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता सत्तावीसं राइंदियाइं एकवीसं च सत्तट्ठिभागा राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएना ? ता अट्ठसए एगूणवीसे मुहुत्ताणं सत्तावीसं सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा, ता एस णं अद्धा दुवालसक्खुत्तकडा णखत्ते संवच्छरे, ता से णं केवइए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता तिण्णि सत्तावीसे राइंदियसए एकावण्णं च सत्तट्ठिभागे राइंदियस्स राइंदियन्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा १ ता णव मुहुत्तसहस्सा अट्ठ य बत्तीसे मुहत्तसए छप्पण्णं च सत्तट्ठिभागे मुहत्तस्स मुहत्तग्गेणं आहिएति वएजा । ता एएसि णं पंचण्हं संबच्छराणं दोच्चस्स चंदसंबच्छरस्स चंदे मासे तीसइमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता एगूणतीसं राइंदियाई बत्तीसं बावद्विभागा राइंदियस्स राइंदियन्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तम्गेणं आहिएति वएजा ? ता अट्ठपंचासए मुहत्ते तेत्तीसं च छावट्ठिभागे मुहत्तग्गेणं 'औहिएति वएजा,ता एस णं अद्धा दुवालसक्खुत्तकडा चंदे संवच्छरे,ता से णं केवइए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता तिणि चउप्पण्णे राइंदियसए दुवालस य बावट्ठिभागा राईदियन्गेणं आहिएति वएजा,ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति बएजा ? ता दस मुहुत्तसहस्साई छच्च पणवीसे मुहुत्तसए पण्णासं च बावट्ठिभागे मुटुसम्मेणं आहिएति वएजा । ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं तच्चस्स उडुसंवच्छरस्स उडमासे तीसइमुहुत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियन्गेणं आहिएति वएजा ? ता तीसं राइंदियाण राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा,ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहि For Personal & Private Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र एति वएजा ? ता णव मुदुत्तसयाई मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा, ता एस णं अद्धा दुवालसक्खुत्तकडा उडू संवच्छरे,ता से णं केवइए राइंदियन्गेणं आहिएति वएजा ? ता तिण्णि सटे राइंदियसए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा,ता से णं केवइए मुहुत्त गेणं आहिएति वएजा ? ता दस. मुहुत्तसहस्साइं अट्ठ य सयाई मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा । ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थस्स आइञ्चसंवच्छरस्स आइच्चे मासे तीसइमुहुत्तेण अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियन्गेणं आहिएति वएज्जा ? ता तीसं राइंदियाइं अवड्डभागं च राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा ? ता णव पण्णरस मुहुत्तसए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा, ता एस णं अद्धा दुवालसवखुत्तकडा आइच्चे संवच्टरे,ता से णं केवइए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता तिण्णि छावढे राइंदियसए राईदियग्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएना ? ता दस मुहत्तस्स सहस्साई णव असीए मुहुत्तसए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएज्जा । ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवहियसंवच्छरस्स अभिवहिए मासे तीसइमुहत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता एकत.सं राइंदियाई एगूणतीसं च मुहुत्ता सत्तरस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा ? ता णव एगूणसट्टे मुहत्तसए सत्तरस बावहिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा अभिवड्डियसंवच्छरे, ता से णं केवइए राइंदियग्गेणं आहिएति एजा ? ता तिणि तेसीए राइंदियसए एकवीसं च मुहुत्ता अट्ठारस बावट्ठिभागे मुहत्तस्स राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएज्जा ? ता एक्कारस मुहुत्तसहस्साइं पंच य एक्कारस मुहुत्तसए अट्ठारस बावडिभागे मुहुत्तरस मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा ॥७०॥ ता केवइयं ते णोजुगे राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता सत्तरस एक्काणउए राइंदियसए एगूणवीसं च मुहुत्तं सत्तावणे बावट्टिभागे मुहुत्तस्स वावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता पणपण्णं चुण्णियामागे राइंदियन्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएज्जा ? ता तेपण्णमुहुत्तसहस्साई सत्त य अउणापण्णे मुहुत्तसए सत्तावणं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बापट्टिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता पणपण्णं चुणियाभागा मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा, ता केवइए णं ते जुगप्पत्ते राईदियग्गेणं आहिएति वएजा १ ता अद्वतीसं राइंदियाई दस य For Personal & Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HTHHRA चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र मुहुत्ता चत्तारि य बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता दुवालस चुणियाभागे राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा ! ता एक्कारस पण्णासे मुहुत्तसए चत्तारि य वावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता दुवालस चुणियामागे मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा, ता केवइयं जुगे राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा ? ता अट्ठारसतीसे राइंदियसए राइंदियग्गेणं आहिएति वएजा, :. ता से णं केवइए मुहुत्तन्गेणं आहिएति वएजा ? ता चप्पण्णं मुहुत्तसहस्साई णव य मुहुत्तसयाई मुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा, ता से णं केवइए बावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा ? ता चउत्तीसं सयसहस्साई अहीसं च बावहिभागमुहुत्तसए वावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं आहिएति वएजा ॥ ७१ ॥ ता कया णं एए. आइच्चचंदमंवच्छर। समाइया समपजवसिया आहितेति वएजा ? ता सट्टि एए आइच्चमासा बावहि एए चंदमासा, एस णं अद्धा छक्खुत्तकडा दुवालसभइया तीसं एए आइञ्चसंवच्छरा एकतीसं एए चंदसंवच्छरा, तयाणं एए आइच्चचंदसंवच्छरा समाइया समपञ्जवसिया आहिताति एजा। ता- कया णं एए आइचउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समाइया समपजवसिया आहितेति वएजा ? ता सहि एए आइच्चमासा एगहिँ एए उडमासा बावडिं एए चंदमासा सत्तष्टिं एए णक्खत्तमासा, एस णं अद्धा दुवालसक्खुत्तकडा दुवालसभइया सर्व्हि एए आइच्चा संवच्छरा एगढ़िएए उडुसंवच्छरा बावहि एए चंदा संवच्छरा सत्तट्टि एए णक्खत्ता संवच्छरा, तया णं एए आइच्चउडुचंदणस्खत्ता संवच्छरा समाइया समपजवसिया आहितेति वएजा। ता कया णं. एए अभिवडियआइचउडुचंदणखत्ता संवच्छरा समाइया समपजवसिया आहितेति वएजा १ ता सत्तावण्णं मासा सत्त य अहोरत्ता एक्कारस य मुहुत्ता तेवीसं बावद्विभागा मुहुत्तस्स एए अभिवडिया मासा सर्टि एए आइच्चमासा एगहिँ एए उड्डुमासा बावट्ठी एए चंदमासा सत्तर्हि एए णक्खत्तमासा, एस णं अद्धा छप्पण्णसयक्खुत्तकडा दुवालसभइया सत्त सया चोत्ताला एए णं अभिवडिया संवच्छरा, सत्त सया असीया एए णं आइच्चा संवच्छरा, सत्तं सया तेणउया एए णं उडुसंवच्छरा अट्ठसया छलुत्तरा एए.णं चंदा संवच्छरा, एकसत्तरी अट्ठसया एए णं णक्खत्ता संवच्छरा तया णं एए अमिवड़िया आइञ्चउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समाइया समपन्जवसिया आहितेति वएजा, ता णयट्ठयाए णं चंदे संवच्छरे तिण्णि चउप्पण्णे राइंदियसए दुवालस य बावडिभागे राइंदियस्स आहिएति वएजा, ता अहातच्चेणं चंदे संवच्छरे तिण्णि For Personal & Private Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र चउप्पण्णे राइंदियसए पंच य मुहुत्ते पण्णासं च बावद्विभागे मुहुत्तस्स आहि एति वएज्जा ||७२|| तत्थ खलु इमे छ उड्डू पण्णत्ता, तंजहा - पाउसे वरिसारते सरए हेमंते वसंते गिम्हे, ता सव्वेवि णं एए चंदउडू दुवे २ मासाइ चउप्पणेणं २ आयाणेणं गणिजमाणा साइरेगाई एगूणसट्ठि २ राइंदियाई राईदियग्गेणं आहितेति वजा, तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पण्णत्ता, तंजहा - तइए पव्वे सत्तमे पव्वे एकारसमे पव्वे पण्णरसमे पव्वे एगूणवीस इमे पव्वे तेवीसइमे पव्वे, तत्थ खलु इमे छ अइरता प०, तं० - चउत्थे पव्वे अट्ठमे पव्वे बारसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीस इमे पत्रे चउवीसइमे पव्वे । छन्चेव य अइरत्ता आइचाओ हवंति माणाई । छच्चेव ओमरत्ता चंदाहि हवंति माणाहिं || १ ||७३|| तत्थ खलु इमाओ पंच वासिक्कीओ पंच हेमंताओ आउट्टीओ पण्णत्ताओ, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं वासिक्कि आउाईं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ १ ता अभीइणा, अभीइस्स पढमसमएणं, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं नोएइ १ ता पूसेणं, पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च स्तट्ठेहा छेत्ता तेत्तीसं चुणियाभागा सेसा, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं दोच्चं वासिक्कि आउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता संठाणाहिं, संठाणाणं एक्कारसमुहुत्ते ऊयाली संच बावट्ठिभागा सुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेप्ता तेपण्णं चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरेकेणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पूसेणं, पूसस्स णं तं चैव जं पढमाए, ता एए सि णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं वासिक्कि आउहिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ १ ता विसाहाहिं, विसाहाणं तेरस मुहुत्ता चउप्पण्णं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता चत्तालीसं चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खतणं जोएइ ? ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव, ता एएसि णं पंचण्डं संबच्छराणं चउत्थं वासिक्कि आउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता रेवई हिं, रेवईणं पणवीसं मुहुत्ता बांसट्टिभागा मुहुत्तस्स बाबट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता बत्तीसं चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं गक्खत्तेणं जोएइ ? ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं पंचमं वासिक्कि आउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ १ ता पुव्वाहिं फग्गुणीहिं, पुव्वाफग्गुणीणं बारस मुहुत्ता सत्तालीसं च बावविभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सप्तट्ठिहा छेत्ता तेरस कुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं नोएइ ? ता पूसेणं, पूसस्स तं चैव ॥ ७४ ॥ ता एएसि णं पंचहं संवच्छ For Personal & Private Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र राणं पढमं हेमंतिं आउटिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता हत्येणं, हत्थस्स णं पंच मुहुत्ता पण्णासं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता सटिं चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णखत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसानाहि, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं दोच्चं हेमंतिं आउटिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता सयभिसयाहिं, सयभिसयाणं दुण्णि मुहुत्ता अट्ठावीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स वावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता छत्ताल सं चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसादाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं हेमंतिं आउहि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पूसेणं, पूसरस एगूणवीसं मुहुत्ता तेयालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता तेत्तीसं चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिँ आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं चात्थं हेमंतिं आउहि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ १ ता मूलेणं, मूलस्स छ मुहुत्ता अट्ठावण्णं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तढिहा छेत्ता वीस चुण्णियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसाढाहि, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं पंचमं हेमंतिं आउटिं चंदे केणं णक्खत्तणं जोएइ ? ता कत्तियाहिं, कत्तियाणं अट्ठारस मुहुत्ता छत्तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता छ चुणियाभागा सेसा, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसादाहि, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए ॥७५॥ तत्थ खलु इमे दसविहे जोए पण्णत्ते, तंजहा-वसभाणुजोए वेणुयाणुजोए मंचे मंचाइमंचे छत्ते छत्ताइछत्ते जुयणद्धे घणसंमद्दे पीणिए मंडगप्पुत्त णाम दसमे, ता एएसिणं पंचण्हं सं बच्छराणं छत्ताइच्छत्तं जोयं चंदे कंसि देसंसि जोएइ १ ता जंबुद्दीवस्स २ पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउब्धीसेणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवाइणावेत्ता अट्ठावीसइभागं वीसहा छेत्ता अट्ठारसभागे उवाइणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहिं कलाहिं दाहिणपुरस्थिमिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं से चंदे छत्ताइच्छत्तं जोयं जोएइ, उप्पिं चंदो मज्झे णक्खत्ते हेट्ठा आइच्चे, तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता चित्ताहि०, चरमसमए ॥ ७६ ॥ बारसमं पाहुडं समत्तं ॥१२॥ For Personal & Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३ . चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ता कहं ते चंदमसो वडोवड्डी आहितेति वएजा ? ता अट्ठ पंचासीए मुहुत्तसए . तीसं च बावट्ठिभागे मुहत्तस्स, ता दोसिणापक्खाओ अंधयारपक्रूमयमाणे चंदे चत्तारि बायालसए छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे रज्जइ, तंजहापढमाए पदम भागं बिइयाए बिइयं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, चरिमसमए चंदे रत्ते भवइ, अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ, इयण्णं अमा. वासा, एत्थ णं पढमे पव्वे अमावासा, ता अंधयारपरखो, तो णं दोसिणापवखं अयमाणे चंदे चत्तारे बायाले मुहुत्तसए छायालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स जाई चंदे विरजइ, तं०-पढमाए पढमं भागं बिइयाए विइयं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, चरिमे समए चंदे विरत्ते भवइ, अवसेससमए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ, इयण्णं पुण्णिमासिणी, एत्थ णं दोच्चे पव्वे पुण्णिमारिणी ॥७७॥ तत्थ खलु इमाओ बावडिं पुणिमासिणीओ बावढि अमावासाओ पण्णत्ताओ, बावडिं एए कसिणा रागा, बावहिँ एए कसिणा विरागा, एए चउवीसे पव्वसए, एए चउव्वीसे कसिणरागविरागसए, जावइया णं पंचण्हं संवच्छराण समया एगेणं चउव्वीसेणं समयसएणूणगा एवइया परित्ता असंखेजा देसरागविरागसया भवतीति मक्खाया, ता अमावासाओ णं पुणिमासिणी चत्तारि बायाले मुहुत्तसए छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वएजा, ता पुण्णिमासिणीओ णं अमावासा चत्तारि बायाले मुहुत्तसए छत्तालीसं च बावहिभागे मुहुत्तस्स आहिंतेति वएजा, ता अमावासाओ णं अमावासा अट्ठपंचासीए मुहुत्तसए तिसं च बाट्ठिभागे मुहुत्तस्त आहितेति वएजा, ता पुणिमासिणीओ णं पुण्णिमासिणी अट्ठपंचासीए मुहुत्तसए तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वएजा, एस णं एवइए चंदे मासे एस णं एवइए सगले जुगे ॥ ७८ ॥ ता चंदेणं अद्धमासेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता चोद्दस चउन्भागमंडलाइं चरइ, एगं च चउव्वीससयभागं मंडलस्स, ता आइच्चेणं अद्धमासेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता १४ व मंडलाई चरइ, ता णवखतेणं अद्धमासेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता तेरस मंडलाइं चरइ, तेरस सत्तट्ठिभागं मंडलस्स, तया अवराई खलु दुवे अट्ठगाई जाइं चंदे केणइ असामग्णगाई सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरइ, कयराइं खलु ताई दुवे अट्ठगाई जाई चंदे केणइ असा. मण्णगाई सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरइ ? ता इमाई खलु ते बे अगाई जाई चंदे केणइ असमण्णगाइं सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरइ, तंजहा-णिक्खममाणे For Personal & Private Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र चेव अमावासंतेणं पविसमाणे चेव पुणिमासिंतेणं, एयाई खलु दुवे अट्ठगाई जाई चंदे केणइ असामण्णगाई सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरइ, ता पढमायणगए चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे सत्त अद्धमंडलाई जाई चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे चारं चरइ, कयराई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाई जाई चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे चारं चरइ ! इमाइं खलु ताई सत्त अद्धमंडलाइं जाई चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे चारं चरइ, तंजहा-विइए अद्धमंडले चउत्थे अद्धमंडले छठे अद्धमंडले अट्ठमे अद्धमंडले दसमे अद्धमंडले बारसमे अद्धमंडले चउदसमे अद्धमंडले, एयाई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाई जाइं चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे चारं चरइ, ता पढमायणगए चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे छ अद्धमंडलाइं तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाई चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे चारं चरइ, कयराइं खलु ताई छ अद्धमंडलाई तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाइं चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे चारं चरइ १ इमाइं खलु ताई छ अद्धमंडलाई तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स नाइं चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे चारं चरइ,तंजहा-तइए अद्धमंडले पंचमे अद्धमंडले सत्तमे अद्धमंडले णवमे अद्धमंडले एक्कारसमे अद्धमंडले तेरसमे अद्धमंडले पण्णरसमस्स अद्धमंडलस्स तेरस सत्तट्ठिभागाई, एयाइं खलु ताई छ अद्धमंडलाइं तेरस य सत्तविभागाइं अद्धमंडलस्स जाई चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे चारं चरइ, एतावता य पढमे चंदायणे समत्ते भवइ, ता णक्खत्ते अद्धमासे णो चंदे अद्धमासे णो चंदे अद्धमासे णखत्ते अद्धमासे, ता णक्खत्ताओ अद्धमासाओ से चंदे चंदेणं अद्धमासेणं किमहिय चरइ ? ता एगं अद्धमंडलं चरइ चत्तारि य सट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं एगतीसाए छेत्ता णव भागाई, ता दोच्चायणगए चंदे पुरस्थिमाए भागाए णिक्खममाणे सचउप्पण्णाई जाइं चंदे परस्स चिण्णं पडिचरइ, सत्त तेरसगाई जाइं चंदे अप्पणो चिण्णं पडिचरइ, ता दोच्चायणगए चंदे पच्चत्थिमाए भागाए णिस्खममाणे चउप्पण्णाई जाइं चंदे परस्स चिण्णं पडिचरइ, तेरसगछाइं० चंदे अप्पणो चिण्णं पडिचरइ, अवरगाइं खलु दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ असामण्णगाई सयमेव पविद्वित्ता २ चार चरइ, कयराई खलु ताई दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणइ असामण्णमाई सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरइ ? इमाई खलु ताई दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणइ असामण्णगाइं सयमेव पविद्वित्ता २ चारं चरइ तं०-सव्व For Personal & Private Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र भतरे चेव मंडले सव्वबाहिरे चेव मंडले, एयाइं खलु ताई दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ जाव चार चरइ, एतावता दोच्चे चंदायणे समत्ते भवइ, ता णक्खत्ते मासे णो चंदें मासे चंदे मासे णो णक्खत्ते मासे, ता णक्खत्ते मासे चंदेणं मासेणं कि अहियं चरइ ? ता दो अद्धमंडलाई चरइ अट्ठ य सत्तद्विभागाइं अद्धमंडलरस सत्तट्टिभागं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारस भागाई, ता तच्चायणगए चंदे पचत्थिमाए भागाए पविसमाणे बाहिराणंतरस्स पच्चथिम्लिस अद्धमंडलस्स ईयालसं सत्तट्टिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिणं पडिचरइ, तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे परस्स चिण्णं पडिचरइ, तेरस सत्तट्ठिभागाइं चंदे अप्पणो परस्स चिण्णं पाडचरह, एतावता बाहिराणंतरे पञ्चथिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवइ, ता तच्चायणगए चंदे पुरथिमाए भागाए पविसमाणे बाहिरतच रस पुरथिमिलस्स अद्धमंडलस्स ईयालीसं सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णं पडिचरह, तेरस सटिभागाइं जाइं चंदे परस्स चिण्णं पडिचरइ, तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अपणो परस्स चिण्णं पडिचरइ, एतावताव बाहिरतच्चे पुरथिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवइ, ता तच्चायणगए चंदे पच्चस्थिमाए भागाए पविसमाणे बाहिरचउत्थस्स पच्चस्थिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स अद्धसत्तट्ठिभागाइं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारस भागाई, जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णं पडिचरइ, एतावताव बाहिरच उत्पत्थिरिले अद्धमंडले समत्ते भवइ । एवं खलु चंदेणं मासेणं चंदे तेरस चउप्पण्णगाई दुवे तेरसगाई जाई चंदे परस्स चिण्णं पडिचरइ, तेरस तेरसगाई जाइं चंदे अप्पणो चिणं पडिचरइ, दुवे ईयालीसगाई अट्ठ सत्तट्ठिभागाइं सत्तट्ठिभागं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारसभागाई जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णं पडिचरइ, अवराई खल दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ असामण्णगाई सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरइ, इच्चेसो चंदमासोऽभिगमणणिक्खमणबुट्टिणित्रुट्टिअणवट्टियसंटाणसंठिईविउवणगिहिपत्ते रूवी चंदे देवे २ आहिएति वएजा ।। ७९ ॥ तेरसमं पाहुडं समत्तं ॥१३॥ चोद्दसमं पाहुडं ता कया ते दोसिणा बहू आहितेति वएजा ? ता दोसिणापक्खे णं दोसिणा बहू आहितेति वएजा, ता कहं ते दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहितेति वएजा ? ता अंधयारपक्खाओ णं० दोसिणा बहू आहिताति वएजा, ता कहं ते अंधयारपक्खाओ For Personal & Private Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहिताति वएजा ? ता अंधयारपक्खाओ णं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसए छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाई चंदे विरजइ, तं०-पदमाए पढमं भागं बिइयाए बिइयं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, एवं खलु अंधयारपक्खाओ दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहिताति वएजा, ता केवइया णं दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहिताति वएजा ? ता परित्ता असंखेजा भागा। ता कया ते अंधयारे बहू आहिएति वएजा ? ता अंधयारपक्खे णं अंधयारे बहू आहिएति वएजा, ता कहं ते अंधयारपक्खे० बहू आहिए ति वएज्जा ? तां दोसिणापक्खाओ णं अंधयारपक्खे अंधयारे बहू आहिए ति वएजा, ता कहं ते दोसिणापक्खाओ अंधयारपक्खे अंधयारे बहू आहिएति वएजा ? ता दोसिणापक्खाओणं अंधयारपक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसए बायालीसं च वावट्ठिभागे मुहत्तस्स जाई चंदे रजइ, तं०-पढमाए पदमं भागं बिइयाए बिइयं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, एवं खलु दोसिणापक्खाओ अंधयारपक्खे अंधयारे बहू आहिएति वएजा,ता केवइए णं अंधयारपक्खे अंधयारे बहू आहिएति वएजा ? ता परित्ता असंखेजा भागा ॥८०॥चोद्दसमं पाहुडं समत्त॥१४॥ पण्णरसमं पाहुडं ता कहं ते सिम्घगई वत्थू आहितेति वएजा ! ता एएसि णं चंदिमसूरियगहगणणखत्ततारारूवाणं चंदहिंतो सूरा सिग्धगई सूरेहिंतो गहा सिग्धगई गहहितो णक्खत्ता सिग्धगई णक्खत्तेहिंतो तारा० सिग्घगई, सव्वप्पगई चंदा सव्वसिन्धगई तारा०, ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं चंदे केवइयाई भागसयाइं गच्छइ ? ता जं जं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तस्स २ मंडलपरिक्खेवरस सत्तरस अडसट्टि भागसए . गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउईसएहिं छेत्ता, ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं सूरिए केवइयाई भागसयाई गच्छइ ? ताजं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस तीसे भागसए गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउईसएहिं छेत्ता, ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं णखत्ते केवइयाई भागसयाई गच्छइ ? ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसए गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउईसएहिं छेत्ता ॥८१॥ ता जया णं चंदं गइसमावणं सूरे गइसमावण्णे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेसेइ ? ता बावद्विभागे विसेसेइ,ता जया णं चंदं गइसमावणं णक्खत्ते गइसमावण्णे भवइ से गं गइमायाए केवड्यं For Personal & Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र विसेसे ? ता सत्तट्ठिभागे विसेसेद्द, ता जया णं सूरं गइसमावण्णं णवत्ते गइसमावण्णे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेसेइ ? ता पंचभागे विसेसेद्द, ता जया णं चंदं गइसमावण्णं अभी ईणक्खत्ते गइसमावण्णे पुरथिमाए भागाए समासादेद्द पुरत्थिमाए भागाए समासादित्ता णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियइ जोयं अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ २ त्ता विगयजोई यावि भवद्द, ता जया णं चंदं गइसमावण्णं सवणे णक्खत्ते गइसमावण्णे पुरत्थिमाए भागाए समासादेद्द पुरत्थिमाए भागाए समासादेत्ता तीसं मुहुत्ते चंदे सद्धिं जोयं जोएइ २ त्ता जोयं अणुपरियद्दइ जो० २ त्ता विप्पजह इ० विगयजोई यावि भवद्द,एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्वं, पण्णरसमुहुत्ताइं तीसइमुहुत्ताई पणयालीस मुहुत्ताई भाणियव्वाई जाव उत्तरासादा० । ता जया णं चंदं गइसमादण्णं गहे गइसमावण्णे पुरत्थिमाए भागाए समासादेइ पुर० २ त्ता चंदेणं सद्धिं जोगं जुंजइ २ त्ता जोगं अणुपरियदृइ २ त्ता विप्पजहइ० विगयजोई यावि भवइ । ता जया सूरं गइसमांवणं अभीईणक्खत्ते गइसमावण्णे पुरत्थिमाए भागाए समासादेइ पुर० २ त्ता चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ २ त्ता जोयं अणुपरियइ २ त्ता विप्पजहइ ० २ त्ता विगयजोई यावि भवइ, एवं अहोरत्ता छ एव.र्व. सं मुहुत्ताय तेरस अहोरत्ता बारस मुहुत्ता य वीसं अहोरता तिष्णि मुहुत्ता य सव्वे भाणियव्वा जाव जया णं सूरं गइसमावण्णं उत्तरासादाणक्खत्ते गइसमावण्णे पुरस्थि - माए भागाए समासादेइ पुर० २ त्तावीसं अहोरत्ते तिष्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियडइ जो० जोएइ रत्ता विप्पजहइ २त्ता विगयजोई यावि भवइ, ता जया णं सूरं गैइसमावण्णं णक्खत्ते गइसमावण्णे पुरन्थिमाए भागा ए समासादेइ पु०२ त्ता सूरेण सद्धिं जोयं जुंजइ २त्ता जोयं अणुपरियहइ २ ता जाव विगयजोई यावि भवइ ॥ ८२ ॥ ता णक्खत्तेणं मासेणं चंदे कइ मंडलाई चरद्द ? ता तेरस मंडलाई चरइ तेरस य सत्तट्ठिभागे मंडलम्स, ता णक्खत्तेणं मासेणं सूरे कइ मंडलाई चरइ ? तां तेरस मंडलाई चरइ चोत्तालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता णक्खत्तेणं मासेणं णक्खत्ते कह मंडलाई चरइ ? ता तेरस मंडलाई चरह अद्धसीयालीसं च सत्तद्विभागे मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता चोद्दस चउभागाइं मंडलाई चरइ एगं च चउव्वीससयभागं मंडलस्स, ता चंद्रेणं मासेणं सूरे कइ मंडलाई चरइ ? ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाई चरइ एगं च ६७ For Personal & Private Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सू ६८ चउवीससयभागं मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाई चरइ छच्च चउवीससयभागे मंडलस्स, ता उडणा मासेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ १ ता चोद्दस मंडलाई चरइ तीमं च एगट्टिभागे मंडलस्स, ता उड्डुणा मासेणं सुरे कइ मंडलाई चरइ ? ता पण्णरस मंडलाई चरइ, ता उडुणा मासेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता पण्णरस मंडलाई चरइ पंच य बावीससयभागे मंडलस्स, ता आइच्चेणं मासेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता चोद्दस मंडलाई चरइ एक्कारसभागे मंडलस्स, ता आइच्चेणं मासेणं सूरे कइ मंडलाई चरइ १ ता पण्णरस चउभागाहियाइं मंडलाई चरइ, ता आइच्चेणं मासेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता पण्णरस चउभागाहियाइं मंडलाई चरइ पंचर्त सं च चवीससयभागमंडलाई चरद्द, ता अभिवढिएणं मासेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता पण्णरस मंडलाइं० तेसीइं छलसीयसयभागे मंडलस्स, ता अभिवद्द्एिणं मासेणं सूरे कइ मंडलाई चरइ ? ता सोलस मंडलाई चरइ तिहिं भागेहिं ऊणगाई दोहिं अडयाले हिं सएहिं मंडलं छेत्ता, ता अभिवढिएणं मासेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता सोलस मंडलाई चरइ सीयालीसएहिं भागेहिं अहियाई चोद्दसहिं अट्ठासी एर्हि मंडलं छेत्ता ॥८३॥ ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं चंदे कह मंडलाई चरइ ? ता एवं अद्धमंडलं चरह एकतीसाए भागेहिं ऊणं णवहिं पण्णरसेहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं सूरिए कई मंडलाई चरइ ? ता एगं अद्धमंडलं चरइ, ता एगमेगेणं अहो - रत्तेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता एवं अद्धमंडलं चरइ दोहिं भागेहिं अहियं ... सत्तहिं बत्तीसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता एगमेगं मंडलं चंदे कइहिं अहोरतेहिं चरइ ? दोहिं अहोरतेहिं चरइ एकतीसाएं भागेहिं अहिएहिं चउहिं चोयाले हिं एहिं राइदिएहिं छेत्ता, ता एगमेगं मंडलं सूरे कहहिं अहोरतेहिं चरइ ? ता दोहिं अहोरतेहिं चरइ, ता एगमेगं मंडलं गक्खत्ते कइहिं अहोरताहं चरइ ? ता दोहिं अहोरतेहिं चरइ दोहिं ऊणेहिं तिहिं सत्तस ट्ठेहिं सएहिं राईदिएहिं छेत्ता, ता जुगेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता अट्ठ चुल्लसीए मंडलसए चरइ, ता जुगेणं सूरे कइ मंडलाई चरइ ? ता णवपण्णरसमंडलसए चरइ, ता जुगेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता अट्ठारस पणती से दुभागमंडलसए चरद्द । इच्चेसा मुहुत्तगई रिक्खाइमा - सराइंदियजुगमंडलपविभत्ता सिग्घगई वत्थू आहितेति (वएजा) बेमि ॥८४॥ पण्णरसमं पाहुडं समत्तं ॥ १५॥ For Personal & Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ता कहं ते दोसिणालखणे आहिएति वएज्जा ? ता चंदलेसाइ य दोसिणाइ य दोसिणाइ य चंदलेसाइ य के अटे किं लक्खणे ?, ता एगटे एगलक्खणे, ता कहं ते सूरलक्खणे आहिएति वएबा १ ता सूरलेस्साइ य आयवेइ य आयवेह य सूरलेस्साइ . य के अटे किं लक्खणे ? ता एगढे एगलक्खणे, ता कहं ते छायालक्खणे आहिएति वएजा ? ता अंधयारेइ य छायाइ य छायाह य अंधयारेइ य के अटे किं लक्खणे? ता एगढे एगलक्खणे ॥८५॥ सोलसमं पाहुडं समत्तं ।।१६॥ . सत्तरसमं पाहुडं ता कहं ते चयणोववाया आहितेति वएना ? तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडि- . वत्तीओपण्णत्ताओ, तं-तत्थ एगे एवमाहंसु-ता अणुसमयमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जति० एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता अणुमुहुत्तमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जति ...२, एवं जहेव हेट्ठा तहेव जाव ता एगे पुण एवमाइंसु-ता अणुउस्सप्पिणिओसप्पिणिमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जति एगे एवमाहंसु २५, वयं पुण एवं षयामो-ता चंदिमसूरियाणं बोइसिया देवा महिड्डिया महज्जुइया महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा जरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगंधधरा वराभरणधरा अवोच्छित्तिणयट्ठयाए काले अण्णे चयति अण्णे उववज्जति० ॥८६॥ सत्तरसमं पाहुडं समत्तं ॥१७॥ ____ अट्ठारसमं पाहुडं ता कहं ते उच्चत्ते आहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ प०, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं सूरे उहूं उच्चत्तेणं दिवढे चंदे एगे एवमाइंसु १, एगे पुण एवमाइंसु-ता दो जोयणसहस्साई सूरे उड्डे उच्चत्तेणं अहाइजाई चंदे एगे एवमाइंसु २, एगे पुण एवमाइंसु-ता तिण्णि जोयणसहस्साई सूरे उई उच्चत्तेणं अछुट्टाई चंदे एगे एवमाहंसु ३, एगे पुण एवमाहंसु-ता चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरे उडे उच्चत्तेणं अद्धपंचमाइं चंदे एगे एवमाइंसु४, एगे पुण एवमाइंसु-ता पंच जोयणसहस्साइं सूरे उड्डे उच्चत्तेणं अट्ठाई चंदे एगे एवमाहंसु ५,एगे पुण एवमाहंसु-ता छ जोयणसहस्साई सूरे उड्डे उच्चत्तेणं अद्धसत्तमाइं चंदे एगे एवमाइंसु ६,एगे पुण एवमाइंसु-ता सत्त जोयणसहस्साइं सूरे उडे उच्चत्तेणं अट्ठमाई For Personal & Private Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ७० चंदे एगे एवमाहंनु ७,एगे पुण एवमाहंसु-ता अट्ट जोयणसहस्साई सूरे उर्ल्ड उच्चत्तेणं अद्धणवमाइं चंदे एगे एवमाहंसु८,एगे पुण एवमाहंसु-ताणवजोयणसहस्साई सूरे उई उच्चत्तेणं अद्धदसमाइं चंदे एगे एवमाहंसु९,एगे पुण एवमाहंसु-ता दस जोयणसहस्साई सूरे उड्डे उच्चत्तेणं अद्धएक्कारस चंदे एगे एवमाहंसु१०,एगे पुण एवमाहंसु–ता एक्कारस जोयणमहस्साइं सूरे उड़े उच्चत्तेणं अद्धबारस चंदे"११, एएणं अभिलावेणं णेयव्वं वारस सूरे अद्धतेरस चंदे १२,तेरस सूरे अद्धचोद्दस चंदे १३,चोदस सूरे अद्धपण्णरस चंदे १४, पण्णरस सूरे अद्धसोलस चंदे १५, सोलस सूरे अद्धसत्तरस चंदे १६, सत्तरस सूरे अद्धअट्ठारस चंदे १७, अट्ठारस सूरे अद्धएगूणवीसं चंदे १८, एगूणवीसं सूरे अद्धवीसं चंदे १९, वीस सूरे अद्धएकवीसं चंदे २०, एकवीसं सूरे अद्धबावीसं चंदे. २१, बावीसं सूरे अद्धतेवीसं चंदे २२, तेवीसं सूरे अद्धचउवीसं चंदे २३, चउवीसं सूरे अद्धपणवीसं चंदे एगे एवमाहंसु २४, एगे पुण एवमाहंसु-ता पणवीसं जोयणसहस्साइं सूरे उड़द उच्चत्तेणं अव्वीसं चंदे एगे एवमाहंसु २५ । क्यं घुण एवं वयामो-ता इमीसे रयणप्यभाए पुटवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ सत्तणउइजोयणसए उड्डे उप्पइत्ता हेहिले ताराविमाणे चारं चरइ अट्ठजोयणसए उई उम्पइत्ता सूरविमाणे चारं चरइ अट्ठअसीए जोयणसए उहूं उप्पइत्ता चंदविमाणे चारं चरइ णव जोयणसयाई उई उप्पइत्ता उवार ताराविमाणे चार चरइ, हेटिलाओ ताराविमाणाओ दसजोयणाई उड्डूं उप्पइत्ता सूरविमाणे चारं चरइ णउइंजोयणाई उर्दू उम्पइत्ता चंदविमाणे चारं चरइ दसोत्तरं जोयणसयं उढे उप्पइत्ता उवरिल्ले तारारूचे चारं चरइ, सूरविमाणाओ असीइं जोयणाई उड्डे उप्पइत्ता चंदविमाणे चारं चरइ जोयणसयं उर्ल्ड उप्पइत्ता उवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ, चंदविमाणाओ णं वीसं जोयणाई उडे उप्पइत्ता उवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ,एवामेव सपुवावरेणं दसुत्तरजोयणसयं बाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोइसविसए जोइसं चार चरइ आहितेति वएजा ||८७|| ता अस्थि णं चंदिमसूरियाणं देवाणं हिटुंपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि समंपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि उप्पिंपि तारारुवा अणुंपि तुल्लावि ? ता अस्थि, ता कहं ते चंदिमसूरियाणं देवाणं हिटुंपि तारारूवा अणुंपि तुलावि समंपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि उप्पिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि ? ता जहा जहा णं तेसि णं देवाणं तवणियमबंभचेराई उस्सियाई भवंति तहा तहा णं तेसिं देवाणं एवं भवइ,तंजहा-अणुत्ते वा तुलत्ते वा, ता एवं खलु चंदिमसूरियाणं देवाणं For Personal & Private Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र हिटुंपि तारारूवा अणुंपि तुलावि तहेव जाव उप्पिंपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि||८८॥ ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स केवइया गहा परिवारो प०,केवइया णखत्ता परिवारो पण्णत्तो, केवइया तारा परिवारो पण्णत्तो ? ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स अट्ठासीइगहा परिवारो पण्णत्तो, अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो पण्णत्तो, छावटिसहस्साइं णव चेव सयाइं पंचुत्तराई (पंचसयराइं) एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं ॥१॥ परिवारो प० ॥८९॥ ता मंदरस्स णं पव्वयस्स केवयं अबाहाए जोइसे चारं चरइ ? ता एक्कारस एकवीसे जोयणसए अबाहाए जोइसे चारं चरह, ता लोयंताओ णं केवइयं अबाहाए जोइसे प० १ ता एक्कारस एक्कारे जोयणसए अबाहाए जोइसे प. ॥ ९० ।। ता जंबुद्दीवे णं दीवे कयरे णवत्ते. सव्वभंतरिल्लं चार चरइ, कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चार चरइ, कयरे णक्खत्ते सपरिखलं चारं चरइ, कयरे णक्खत्ते सव्वहिडिल्लं चार चरह ? ता अमीई णवखत्ते सव्वभितरिल्लं चार चरइ,मूले णक्खसे सव्वबाहिरिल्लं चार चरइ,साई णक्खत्ते सव्वुवरिल्लं चार चरइ, भरणी णक्खत्ते सबहेडिल्लं बारं चरा वा चंदबिमाणे णं किंसंठिए प० १ ता अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिए सव्वफालियामए अब्भुग्गयमूसियपहसिए विविहमणिरयणभत्तिचित्ते जाव पडिरूवे एवं सूरविमाणे गहविमाणे णवखत्तविमाणे ताराविमाणे । ता चंदविमाणे णं केवइयं आयामविकासमेणं केवइयं परिक्खेवणं केवइयं बाहल्ले प० । तापयां एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं अट्ठावीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पण्णत्ते, ला सूरविमाणे णं केवइयं आयामविक्खमेणं पुच्छा, ता अंडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं चउव्वीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं प०, ता णक्खतविमाणे णं केवइयं पुच्छा, ता कोसं आयामविवखंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं अद्धकोसं बाहल्लेणं प०,ता ताराविमाणे णं केवइयं पुच्छा, ता अद्धकोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं पंचधणुसयाई बाहलेणं प० । ता चंदविमाणं णं कइ. देवसाहस्सीओ परिवहंति ? ता सोलस देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरस्थिमेणं सीहरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति, दाहिणेणं गयरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति, पञ्चस्थिमेणं वसहरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति, उत्तरेणं तुरगरूवधार,णं चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति, एवं सूरविमाणंपि, ता गहविमाणे णं कइ देवसाहरसीओ परिवहति ? ता For Personal & Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र अट्ठ देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरस्थिमेणं सीहरूवधारीणं देवाणं दो देवसाहस्सीओ परिवहंति, एवं जाव उत्तरेणं तुरगरूवधारीणं०, ता णवत्तविमाणे णं कई देवसाहस्सीओ परिवहंति ? ता चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरस्थिमेणं सीहरूवधारीणं देवाणं एका देवसाहस्सी परिवहइ, एवं जाव उत्तरेणं तुरगरूवंधारणं देवाणं०, ता ताराविमाणे णं कह देवसाहस्सीओ परिवहंति ? ता दो देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरस्थिमेणं सीहरूवधारीणं देवाणं पंच देवसया परिवएंति, एवं जावुत्तरेणं तुरगस्वधारीणं० ॥९२॥ ता एए सि णं चंदिमसूरियगहगणणक्वत्ततारारूवाणं कयरे २ हिंतो सिग्घगई वा मंदगई वा ? ता चंदेहिंतो सूरा सिन्धगई, सूरेहिंतो गहा सिन्धगई, गहेहिंतो णक्खत्ता सिन्धगई, णवखत्तहितो तारा० सिन्धगई, सव्वप्पगई चंदा, सव्वसिग्धगई तारा० । ता एएसि णं चंदिमसूरियगहगणशंक्वत्ततारांरूवाणं कयरे २ हिंतो अप्पिड्डिया वा महिडिया वा ? ता तारा० हितो णवत्ता महिड्डिया, णक्खत्तहितो गहा महिड्डिया, गहेहिंतो सूरा महिड्डिया, सूरेहिंतो चंदा महिड्डिया, सब्बप्पट्टिया तारा०, सव्वमहिड्डिया चंदा ॥ ९३ ।। ता जंबुद्दीवे में दीवे तारारुवस्स य २ एस णं केवइए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? ता दुविहे अंतरे प०, तं०-वाघाइमे य णिवाघाइमे य, तत्थ णं जे से वाघाइमे से णं जहण्णेणं दोण्णि बावढे जोयणसए उक्कोसेणं बारस जोयणसहस्साई दोण्णि बायाले जोयणसए तारारुवस्स य २ अबाहाए अंतरे पण्णते, तत्थ णं जे से णिव्वाघाइमे से णं जहण्णेण पंच धणुसयाई उक्कोसेणं अद्धनोयणं तारास्वस्स प २ अबाहाए. अंतरे प० ॥९४॥ ता चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कह अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? ता चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं०-चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि देवीसाहस्सी परिवारो पण्णत्तो, पभू णं ताओ एगमेगा देवी अण्णाई चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवार विउवित्तए, एवामेव सुपुव्वावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए, ता पभू णं चंदे जोइसिंदे जोहसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाण विहरित्तए ? णो इणढे समढे, पभू णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवाडंमए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहरसीहिं चार अग्गमहिसीहिंसपरिवाराहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहि य बहूहिं जोइसिएहिं देवेहि देवीहि य सद्धिं महया हयणगीयवाइयतीतलतालतुडियषणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं For Personal & Private Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए केवलं परियारणिट्टीए णो चेव णं मेहुणवत्तियाए । ता सूरस्सणं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अग्गमहिसीओ प० ता चत्तारि अग्गमहिसीओ प०, तंजहा - सूरम्पभा आयवा अच्चिमाला करा, सेसं जहा चंदस्स गवरं सूरवडेंसर विमाणे जाव णो चेव णं मेहुणवन्तियाए ॥ ९५ ॥ ता जो सियाणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? ता जहणेणं अडभागपलि ओवमं उक्कोसेणं पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं, ता जोइसिणीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई प० १ ताजणेणं अट्ठभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, ता चंदविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? ता जहण्णेणं चउब्भागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओवमं वासराय सहस्समम्भहियं, ता चंदविमाणे.णं देवीणं केवइयं कालं ठिई प० १ ता जहणणेणं चागल उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए बाससहस्सेहिं अमहियं, ता सूरषिमाणे णं देवाणं वइयं कालं ठिई पण्णत्ता १ ता जहण्णेणं च उन्भाग पलिओवमं उनको सेणं पलिओवमं वाससहस्समन्भहियं, ता सूरविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिई प० १ ता जहणेणं चउब्भागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धंपलिओवमं पंचहिं बाससए हिं अग्भहियं, ता गहविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिई प० १ ता जहणणेणं च भागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओयमं, ता गहविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिई प० १ ता जहणेणं चउन्भागपलिओवमं उनकोसेणं अद्धपलिओचमं, ता णक्खत्तविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिई प० १ ता जहणेणं चउब्भागपलिओ - वमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं, ता णक्खत्तविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिई प० १ ता जहणणेणं अट्ठभागपलिओवमं उक्कोसेणं चउब्भागपलिओवमं, ता ताराविमाणे णं देवाणं पुच्छा, ता जहणणं अट्ठभागपलिओवमं उनकोसेणं चउब्भागपलिओवमं, ता ताराविमाणे णं देवीणं पुच्छा, ता जहणणेणं अट्ठभागपलिओषमं उक्कोसेणं साइरेगअट्ठभागपलिओदमं ॥ ९६ ॥ ता एएसि णं चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं कयरे २ हिंतो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? ता चंदा य सूराय एए णं दो वि तुला सव्वत्थोवा, णक्खत्ता संखिजगुणा, गहा संखिज्जगुणा, तारा० संखिज्जगुणा ॥ ९७|| अट्ठारसमं पाहुडं समत्तं ॥ १८ ॥ ७३ For Personal & Private Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ता कइ णं चंदिमसूरिया सव्वलोयं ओभासंति उज्जोएंति तवेंति पभाति आहितेति वएजा १ तत्थ खलु इमाओ दुवालस पडिवत्तीओ, पण्णत्ताओ, तं०-तत्येगे एवमाहंसु-ता एगे चंदे एगे सूरे सव्वलोयं ओभासइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ०एगे एवमाहंसु १,एगे पुणे एवमाहंसु-ता तिण्णि चंदा तिण्णि सूरा सव्वलोयं ओभासेंति ४."एगे एवमाहंसु २,एगे पुण एवमाहंसु-ता आउटिं चंदा आउहि सूरा सव्वलोयं ओमासेति ४."एगे एवमाहंसु ३, एगे पुष एवमाइंसु-एएणं अभिलावेणं णेयव्वं सत्त चंदा सत्त सूरा दस चंदा दस सूरा बारस चंदा बारस सूरा बायालीसं चंदा २ बावत्तरि चंदा २ बायालीसं चंदसयं २ बावत्तरं चंदसयं बावत्तरं सूरसयं बायालीसं चंदसहस्सं बायालीसं सूरसहस्सं बावत्तरं चंदसहस्सं बावत्तरं सूरसहस्सं सव्वलोयं ओभासेति ४."एगे एवमाहंसु१२, वयं पुण एवं वयामो-ता अयण्णं जंबुद्दीवे २ जाव परिक्खेवेणं०, ता जंबुद्दीवे २ केवइया चंदा पभासिंसु वा पभासिंति वा पभासिस्संति वा ? केवइया सूरा तर्विसु वा तवेति वा तविस्संति वा ? केवइया मिलता जोय बोइंतु या गोएंति वा जोइस्संति वा १ केवइया गहा चारं चरिंसु वा चरंति वा चरिस्संति वा ? केवइयाओ तारागणकोडिकोडीओ सोभं सोभेसु वा सोभेति वा सोभिस्संति वा १ ता जंबुद्दीवे २ दो चंदा पभासेसु वा ३, दो सूरिया तवइंसु वा ३, छप्पणं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा ३, छावत्तरि गहसयं चार चरिंसु वा ३, एग सयसहस्सं तेत्तीसं च सहस्सा णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोभेतु वा ३, "दो चंदा दो सूरा णक्खत्ता खलु हवंति छापण्णा! छावत्तरं गहसयं जंबुद्दीवे विचारीणं ॥१॥ एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई । णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकीडीणं ॥ २ ॥” ता जंबुद्दीवं णं दीवं लवणे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ, ता लपणे णं समुद्दे कि समचक्यालसंठिए विसमचकवालसंठिए ? ता लवणसमुद्दे "समचकवालसंठिए णो विसमचकवालसंठिए, ता लवणसमुद्दे केवइयं चकवालविक्खमेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिएति वएबा ? ता दो जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पण्णरस जोयणसयसहस्साई एकासीयं च सहस्साई सयं च "जपाले किंचिविसेसूर्ण परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता लवणसमुद्दे केवइयं चंदा पभासु वा ३ १ एवं पुच्छा जाव केवइयाउ तारागणकोडिकोडीओ सोभिंसु वा ३१, ता लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासेंसु वा ३, चत्तारि सूरिया तवइंसु वा ३, For Personal & Private Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र वारस णक्वत्तसयं जोयं जोएंसु वा ३, तिणि बावष्णा महग्गहसया चार चरिंसु वा ३, दो सयसहस्सा सत्तटिं च सहस्सा णव य सया तारागणकोडिकोणिक सोभिसु वा ३ । पण्णरस सयसहस्सा एक्कासीयं सयं च ऊयालं । किंचिविसेसेणूणो लवणोदहिणो परिक्खेवो ॥१॥ चत्तारि चेव चंदा चत्तारि य सूरिया लवणतोए । बारस णखत्तसय गहाण तिण्णेव बावण्णा ॥२॥दो चेव सयसहस्सा सत्तहिं खलु भवे सहस्साइं । णव य सया लवणजले तारागणकोडिकोडीणं ॥ ३ ॥ ता लवणसमुदं० धायईसंडे णामं दीवे वट्टे वलयागारसंटाणसंहिए तहेव जाव णो दिसमचकवालसंटिए, धायईसंडे णं दीवे केवइयं. चक्वालविवखंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहि-: एति वरजा ? ता चत्तारि जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खभेणं ईयालसं जोयण: सयसहस्साइं इस य सहस्साई णव य एगटे जोयणसए किंचिविसेसूणे परिवखेवेणं आहिएति वएज्जा, धायईसंडे०दीवे केवइया चंदा पभासेंसु वा ३ पुच्छा तहेव, ता धायईसंडे णं दीवे बारस चंदा पभासेंसु वा ३, बारस सूरिया तवेंसु वा ३, तिष्णि छत्तीसा णखत्तसया जोयं जोएंसु वा ३, एगं छप्पण्णं महमाइसहस्सं चारं चरिंसु वा ३,अट्टेव सयसहस्सा तिणि सहस्साई सत्त य सयाई । एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीओ ॥ १ ॥ सोभं सोभेसु वा ३-धायईसंडपरिरओ ईयाल दसुत्तर सय. सहस्सा । णव सया य एगट्ठा किंचिविसेसपरिहीणा ॥१॥ चउवीसं ससिरविणो णक्वत्तसया' य तिणि उत्तीसा । एगं च गहसहस्सं छप्प धायईसंडे ॥२॥ अटेव सयसहस्सा तिण्णि सहस्साई सत्त य सयाई । धार्थईसंडे दीवे तारागणकोडि. कोडीणं ॥ ३॥ ता धायईसंडं णं दीवं कालोए णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंटाणसंठिए जाव णों विसमचक्वालसंठाणसंटिए, ता कालोए णं समुद्दे केवइयं चक्कवालविखंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिएति वएजा ? ता कालोए पं समुद्दे अट्ठ जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पण्णत्ते एक्काणउइं जोयणसयसहस्साई सत्तार च सहस्साई छच्च पंचुत्तरे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता कालोए णं समुद्दे 'केवझ्या चंदा पभासेसु वा ३ पुच्छा, ता कालोए समुद्दे बायालीसं चंदा पभासेंसु वा ३, बायार्ल,सं सूरिया त्वेंमु वा ३, एकारस बावत्तरा णक्खत्तसया जोयं जोइंसु वा ३, तिणि सहस्सा उच्च छण्णउया महग्गहसया चारं चरिंसु वा ३, वारस सयसहस्साई अट्ठावीसं च सहस्साई णव य सयाई पण्णासा तारागणकोडिकोडीओ सोभं सोभेसु वा सोभंति वा सोभिरसंति वा, “ एक्काणउई For Personal & Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सयराई सहस्साई परिरओ तस्स । अहियाई उच्च पंचुत्तराई कालोयहिवरस्स ॥१॥ बायालीमं चंदा बायालीमं च दिणयरा दित्ता । कालोयहिंमि एए चरंति संबद्धलेसागा ॥२॥णक्खत्तसहस्सं एगमेव छावत्तरं च सयमण्णं । छच्च सया छण्णउया महगगहा तिण्णि य सहस्सा ॥३॥ अट्ठावीसं कालोयहिमि बारस य सहस्साई । णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥ ४ ॥" ता कालोयं णं समुदं पुक्खरवरे णाम दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ, ता पुक्खरवरे णं दीवे किं समचक्कवालसंठिए विसमचकवालमंठिए ? ता समचकवालसंठिए णो विसमचकवालसंठिए, ता पुक्खरवरे णं दीवे केवइयं समचक्वालविक्खभेणं केवइयं परिक्खेवेणं० १ ता सोलस जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं एगा जोयणकोड़ी बाणउई च सयसहस्साई अउणावण्णं च सहस्साइं अट्ठचउणउए जोयणसए परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता पुक्खरवरे णं दीवे केवइया चंदा पभासेंसु वा ३ पुच्छा तहेव, ता चोयालचंदसयं पभासेंसु वा ३, चोत्तालं सूरियाणं सर्य तवसु वा ३, चत्तारि सहस्साई बत्तीसं च णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा ३, बारस सहस्साई छच्च बावत्तरा महग्गहसया चारं चरिंसु वा ३, छण्णउइसयसहस्साई चोयालीसं सहस्साइं चत्तारि य सयाई तारागणकोडिकोडीणं सोमं सोभिंसु वा ३, "कोडी बाणउई खलु अउणाणउइं भवे सहस्साइं। अट्ठसया चउणउया य परिरओ पोक्खरवरस्स ॥१॥ चोत्तालं चंदसयं चत्तालंचेव सूरियाण सयं । पोक्खरवरदीवम्मि चरंति एए पभासंता ॥ २॥ चत्तारि सहस्साइं छत्तीसं चेव हुंति णवत्ता । छच्च सया बावत्तर महमाहा बारह सहस्सा ॥ ३ ॥ छण्णउइ सयसहस्सा चोत्तालीसं खलु भवे सहस्साई । चत्तारि य सया खलु तारागणकोडिकोडीणं ॥ ४ ॥" ता पुक्खरवरस्स णं दीवस्स० बहुमज्झदेसभाए माणुसुत्तरे णामं पव्वए वलयागारसंटाणसंठिए जे णं पुक्खरवरं दीवं दुहा विभयमाणे २ चिट्ठइ, तंजहा-अभितरपुम्खरद्धं च बाहिरपुक्खरद्धं च, ता अभितरपुक्खरद्धे णं किं समचकवालसंठिए विसमचकवालसंठिए ? ता समचक्वालसंठिए णो विसमचक्वालसंठिए, ता आभिंतरपुक्खरद्धे णं केवइयं चकवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिएति वएजा ? ता अट्ट जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं एक्का जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई तीसं च सहस्साइं दो अउणापण्णे जोयणसए परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता अभितरपुक्खरद्धे णं केवइया चंदा पभासेंसु वा ३ केवइया सूरा तविंसु वा ३ पुच्छा, ता बावत्तरि चंदा पभासिंसु वा ३, बावत्तरि सूरिया तवइंसु वा ३, दोण्णि For Personal & Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सोला णवखत्तसहस्सा जोयं जोएंसु वा ३, छ महग्गहसहस्सा तिष्णि य बत्तीसा चार चरेंसु वा ३, अडयालीससय सहस्सा बावीसं च सहस्सा दोष्णि य सया तारागणकोडिकोडीनं सोमं सोमंसु वा ३ । ता समयद खेत्ते णं केवद्दयं आयामविक्रूं भेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिएति वजा ? ता पणयाल. सं जोयणसय सहरसाई आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं दोण्णि य अउणापणे जोयणसए परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता समयवखेत्ते णं केवइया चंदा पभासेंसु वा ३ पुच्छा तहेब, ता बत्तीसं चंदसयं पभासेंसु वा ३, बत्तीसं सूरियाण सयं तवसु वा ३, तिण्णि सहस्सा छच्च छण्णउया णक्खत्तसया जोयं जोएंसु वा ३, एक्कारस सहस्सा छच्च सोलस महग्गहसया चारं चरिंसु वा ३, अट्ठासीइं सयसहरसाई चत्तालीसं च सहस्सा सत्त य सया तारागणकोडिकोडीनं सोमं सोमिंसु वा ३, अट्ठेब सय सहस्सा अभितरपुक्खरस्स विक्खंभो । पणयालसयसहस्सा माणुसखेत्तरस विक्खंभो ||१|| कोडी बायालीसं सहस्स दुसया य अउणपण्णासा | माणुसखेत्तपरिरओ एमेव य पुक्खरद्धस्स ||२|| बावन्तरिं च चंदा बाबतरिमेव दिणयरा दित्ता । पुक्खरखरदीवड्ढे चरंति एए पभासेंता ||३|| तिण्णि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । णक्खत्ताणं तु भवे सोलाई दुवे सहस्साइं ||४|| अडयालसय सहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई । दो य सय पुक्खरद्धे तारागणकोडिकोडीणं ||५|| बत्तीस चंदसयं बत्तीसं चेव सूरियाण सयं । सयलं माणुसलोयं चरंति एए पभाता ||६|| एक्कारस य सहस्सा छपि य सोला महग्गहाणं तु । छच्च सया छण्णउया णक्खत्ता तिष्णि य सहस्सा ||७|| अट्ठासीइ चत्ताई सयसहस्साइं मणुयलोगंमि । सत्त य सया अणूणा तारागणकोडिकोडीणं ||८|| एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोयंमि । बहिया पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखेजा ॥ ९ ॥ एवइयं तारग्गं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि । चारं कलंबुयापुष्पसंठियं जोइसं चरइ || १० || रविस सिगणवत्ता 1 एवइया आहिया मणुयलोए । जेसिं णामागोत्तं ण पागया पण्णवेर्हिति ॥ ११ ॥ छावट्ठि पिडगाई चंदाइच्चाण मणुयलोयग्मि । दो चंदा दो सूरा य हुंति एक्के.व.ए पिड ||१२|| छावट्ठि पिडगाईं णक्खत्ताणं तु मणुयलोयग्मि । छप्पणं णवत्ता हुंति एक्क्कए पिs ||१३|| छावट्ठि पिडगाई महग्गहाणं तु मणुयलोयंमि । छावत्तरं गहस होइ एक्bar पिडए ॥ १४ ॥ चत्तारि य पंतीओ चंदाइच्चाण मणुयलोम्मि । छावट्ठि २ च होइ एक्किक्किया पंती ॥१५ ॥ छप्पण्णं पंतीओ णवत्ताणं तु मलोयंमि । छावट्ठि २ हवंति एक्केक्किया पंती || १६ || छावन्तरं ग्रहाणं ७७ For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र 1 जोहो वा पंतिसयं हवइ मणुयलोयंमि । छावट्ठि २ हवइ य एक्केक्किया पंती ॥ १७ ॥ से मेरुमणुचरंता पयाहिणावत्तमंडला सव्वे । अणवट्ठियजोगेहिं चंदा सूरा गहगणा य ॥ १८ ॥ णक्खत्ततारगाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा । तेवि य पयाहिणावत्तमेव मेरुं अणुचरंति ॥ १९ ॥ स्यणियरदिणयराणं उड्डुं च अहे व संक्रमो त्थ | मंडलसंकमणं पुण समितरबाहिरं तिरिए || २० || स्यणियरदिणयरागं णवत्ताणं महग्गहाणं च । चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं ॥ २१ ॥ तेसिं पत्रिसंताणं तावक्खेत्तं तु वढए गिययं । तेणेव कमेण पुणो परिहायइ णिक्खमंताणं ॥ २२ ॥ तेसिं कलंबुया पुण्फसंठिया हुंति तावखेत्तपहा । अंतो य संकुडा बाहि वित्थडा चंदसूराणं ॥ २३ ॥ केणं बढइ चंदो ! परिहाणी केण होइ चंदस्स ? भात्रेण चंदस्स ||२४|| किण्हें राहुविमाणं णिच्चं चंदेण होइ अविरहियं । चउरंगुलमसंपत्तं हिच्चा चंदस्स तं चरइ ||२५|| बाट्ठि २ दिवसे २ उ सुकपक्खस्स । जं परिवड्ढइ चंदो खवेइ तं चेव कालेणं ||२६|| पण्णरसइभागेण य चंद पण्णरसमेव तं वरइ । पण्णरसइभागेण य पुणोवि तं चैव वक्कमइ ||२७|| एवं बढइ चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स । कालो वा जुण्हो वा एवऽणुभावेण चंदस्स ॥ २८ ॥ अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवंगा उ उववण्णा । पंचविहा जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य ॥ २९ ॥ तेण परं जे सेसा चंदाइच्चगहतारणवखत्ता । णत्थि गई णवि चारो अवट्टिया ते मुणेयब्वा ॥ ३० ॥ एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणाहुति । लावणगा य तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे ||३१|| दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सायरे लवणतोए । धायइसंडे दीवे वारस चंदा य सूराय ||३२|| धायइसंडप्पभिइसु उद्दिट्ठा तिगुणिया भवे चंदा | आइल्लचंदसहिया अणंतराणंतरे खेत्ते || ३३ || रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसी गाउं । तस्ससीहिं तग्गुणियं रिक्खग्गहतारगग्गं तु ॥ ३४ ॥ बहिया उ माणुसणगस्स चंदसूराणऽवट्ठिया जोहा | चंदा अभीइजुत्ता सूरा पुण हुंति पुस्सेहिं ॥ ३५ || चंदाओ सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ । पण्णाससहस्साइं तु जोयणाणं अणूणाई || ३६ || सूरम्स २ ससिणो २य अंतरं होइ । बाहिं तु माणुसणगस्स जोयणाणं सयसहस्सं ||३७|| सूरतरिया चंदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता । चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य ॥ ३८ ॥ अट्ठासीइं च गद्दा अट्ठावीसं चहुंति णक्खत्ता । एगससी परिवारो एत्ती ताराण वोच्छामि ॥ ३९ ॥ छावट्टिसहस्साइं णव चेव सयाई पंचसयराई । For Personal & Private Use Only ७८ www.jalnelibrary.org Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं ॥४०॥ता अंतो मणुस्सखेत्ते जे चंदिमसूरिया गहगणणक्खत्तताराख्वा ते णं देवा कि उड्डोववाणगा कम्पोववण्णगा विमाणोववण्णगा चारोववण्णगा चारद्विइया गइरइया गइसमावण्णगा ? ता ते णं देवा णो उड्डोववण्णगा णो कम्पोववण्णगा विमाणोववण्णगा चारोववण्णमा णो चार्गट्टइया गइरइया गइसमावण्णगा उड्डामुहकलंबुयापुप्पसंटाणसंठिएहिं जोयणसाहग्सिए हिं तावक्खेत्तेहिं साहस्सिएहिं बाहिराहि य वेउव्वियाहिं परिसाहिं महया हयणट्ट. गीयवाइयतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं महया उक्किटिसीहणार वलकलरवेणं अच्छं पव्वयरायं पयाहिणावत्तमंडलचारं मेरुं अणुपरियटृति, ता तेसि णं देवाणं जाहे इंदे चयइ से कहमियाणि पकरेंति ? ता चत्तारि पंच सामाणिय- . देवा तं ठाणं उपसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव अण्णे इत्थ इंदे उववण्णे भवद, ता. इंदट्ठाणे णं केवइएणं कालेणं विरहिए पण्णत्ते ? ता जहण्णेणं इवकं समयं उदकोसेणं छम्मासे, ता बहिया णं माणुस्सक्खेत्तस्स जे चंदिमसूरियगह जाव तारारूवा ते णं देवा किं उहोववण्णगा कप्पोववण्णगा विमाणोववष्णगा चारहिया गइरह्या गहसमावण्णगा ! ता ते णं देवा णो उट्टोववण्णगा णो कप्पोववष्णगा विमाणोववण्णगा णो चारोववण्णगा चारहिइया णो गइरड्या णो गइसमावण्णगा पक्किदृगसंठाणसंठिएहिं जोयणसयसाहस्सिएहिं तावरखेत्तेहिं सयसाहस्सियाहिं बाहिराहिं वेउवियाहिं परिसाहिं महया हयणट्टगीयवाइय जाव रवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति, सुहलेसा मंदलेसा मंदायक्लेसा चित्तंतरलेसा अण्णोण्णसमोगादाहिं लेसाहि कूडा इव ठाणठिया ते पएसे सव्वओ समंता ओभासंति उज्जोति तवेति पभासेंति, ता तेसि णं देवाणं जाहे इंदे चयइ से कह मियाणि पकरेंति ! ता चत्तारि पंच सामाणियदेवा तं ठाणं तहेव जाव छम्मासे ॥ ९८ ॥ ता पुक्खरखरं णं दीवं पुक्खरोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारमंटाणसंटिए सव जाव चिट्ठइ, ता पुस्खरोदे णं समुद्दे किं समचक्वालसंटिए जाव णो विसमचकवालसंठिए, ता पुक्खरोदे णं समुद्दे केवइयं चक्कवालविश्खंभेणं केवइयं परिवखेवेणं आहिएति वएजा ? ता संखेजाई जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं संखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता पुवखरवरोदे णं समुद्दे केवइया चंदा पभासेसु वा ३ पुच्छा तहेव, ता पुक्खरोदे णं समुद्दे संखेजा चंदा पभासेंसु वा ३ जाव संखेजाओ तारागणकोडिकोडीओ सोभं सोमेंसु वा ३ । एएणं अभिलावेणं For Personal & Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सू वरुणवरे दीवे वरुणोदे समुद्दे ४ खीरबरे दीवे खीरखरे समुद्दे ५ घयवरे दीवे पओदे समुद्दे ६ खोयवरे दीवे खोओदे समुद्दे ७ णंदिस्सरे दीवे णंदिस्सरवरे समुद्दे ८ अरुणोदे दीवे अरुणोदे समुद्दे ९ अरुणवरे दीवे अरुणवरे समुद्दे १० अरुणवरोभासे दीचे अरुणवरोभासे समुद्दे ११ कुंडले दीवे कुंडलोदे समुद्दे १२ कुंडलवरे दीवे कुंडलबरोदे समुद्दे १३ कुंडलवरोभासे दीवे कुंडलवरोभासे समुद्दे १४ सव्वेसिं विक्खंभपरिक्खेवो जोइसाई पुक्खरोदसागरसरिसाई । ता कुंडलवरोभासण्णं समुद्दं स्यए दीत्रे वडे वलयागारसंटाणसंटिए सव्वओ जाव चिट्ठह, ता रुयए णं दीवे किं समचक्कवाल जाव णो विसमचक्कवालसंटिए, ता रुयए णं दीवे केवइयं समचक्कवालविक्लंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिएति बएजा ! ता असंखेजाई जोयणसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं आहिए ति वएजा, ता रुयगे णं दीवे केवइया चंदा पभासेंसु वा ३ पुच्छा, ता रुयगे णं दीवे असंखेजा चंदा पभासेंसु वा ३ जाव असंखेजाओ तारागणकोडिकोडीओ सोमं सोमे॑सु वा ३, एवं रुयगे समुद्दे रुयगवरे दीवे रुयगवरोदे समुद्दे रुयगव रोभासे दीवे स्यगवरोभासे समुद्दे, एवं तिपडोयारा णेयव्वा जाव सूरे दीवे सूरोदे समुद्दे सूखरे दीवे सूरखरे समुद्दे सूरवरोभासे दीवे सूखरोभासे समुद्दे, सव्वेसिं विक्खंभपरिक्खेवजोइसाइं रुयगवरदीवसरिसाई, ता सूखरोमासोदण्णं समुद्दं देवे णामं दीवे वट्टे वलयागारसं ठाणसंठिए सव्वओ समता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ जाव णो विसमचक्कवाल. संठिए, ता देवे णं दीवे केवइयं चक्कवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिएति वएजा १ ता असंखेजाइं जोयणसहस्साइं चक्कवालविक्त्रमेणं असंखेजाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता देवे णं दीवे केवइया चंदा पभासेंसु वा ३ पुच्छा तहेव, ता देवे णं दीवे' असंखेजा चंदा पभासेंसु वा ३ जाव असंखेजाओ तारागणकोडिकोडीओ० सोमेंसु वा ३ । एवं देवोदे समुद्दे णागे दीवे गागोदे समुद्दे जक्खे दीवे जक्खोदे समुद्दे भूए दीवे भूओदे समुद्दे सयंभुरमणे दीवे सयंभुरमणे समुद्दे सब्वे देवदीवसरिसा ॥ ९९-१०० - १०१ ॥ एगूणवीसइमं पाहुडं समत्तं ॥ १६ ॥ वीसइमं पाहडं अणुभावे आहिएति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ दो पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं० - तत्थे एवमाहंसु-ता चंदिमसूरिया णं णो जीवा अजीवा णो घणा ८० For Personal & Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र झुसिरा णो बादरबोंदिधरा कलेवरा णत्थि णं तेसि उट्टाणेइ वा कम्मेइ वा बलेइ वा वीरिएइ वा पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा ते णो विज्जु लवंति णो असणि लवंति णो थणियं लवंति, अहे य गं बायरे वाउकाए संमुच्छइ अहे य णं बायरे बाउकाए संमुच्छित्ता विज्जुपि लवंति असणिपि लवंति थणियंपि लवंति एगे एवमासु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता चंदिमसूरिया णं जीवा णो अजीवा घणा णो मुसिरा बादरबुदिधरा कलेवरा अस्थि णं तेसिं उठाणेइ वा० ते विज्जुपि लवंति ३ एगे एवमासु २, वयं पुण एवं वयामो-ता चंदिमसूरिया णं देवा महिड्डिया जाय महागुभागा वरवत्थधरा वरमल्लधरा० वराभरणधारी अवोच्छित्तिणयट्ठयाए अण्णे चयंति अप्णे उववज्जति० ॥१०२॥ ता कहं ते राहुकम्मे आहिएति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ दो पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमासु-ता अस्थि णं से राहू देवे जे णं चंद वा सूरं वा गिण्हइ एगे एवमाइंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता पत्थि पं से राहू देवे जे णं चंदं वा सूरं वा गिण्हइ० २, तत्थ जे ते एवमासु-ता अस्थि गं से राहू देवे जे णं चंदं वा सूरं वा गिण्हइ, ते एवमाइंसु-ता राहू गं देवे चंदं. वा सूरं वा गेण्हमाणे बुद्धतेणं गिणिहत्ता बुद्धतेणं मुयइ बुद्धतेणं गिणिहत्ता मुद्धतेणं मुयह मुद्धतेणं गिण्हित्ता मुद्धतेणं मुयइ, वामभुयंतेणं गिण्हित्ता वामभुयंतेणं मुयइ वामभुयंतेणं गिण्हित्ता दाहिणभुयंतेणं मुयइ दाहिणभुयंतेणं गिण्डित्ता वामभुयंतेणं मुयइ दाहिणभुयंतेणं गिण्हित्ता दाहिणभुयंतेणं मुयइ, तत्थ जे ते एवमासु-ता णस्थि णं से राहू देवे जे णं चंदं वा सूरं वा गेण्हइ, ते एवमाहंसु-तत्थ णं इमे पण्णरस कसिणपोग्गला प०, तं०-सिंघाणए जडिलए खरए खयए अंजणे खंजणे सीयले हिमसीयले केलासे अरुणामे परिजए णमसूरए कविलए पिंगलए राहू , ता जया णं एए पण्णरस कसिणा पोग्गला सया चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति तया णं माणुसलोयंसि माणुसा एवं वयंति-एवं खलु राहू चंदं वा सूरं रा गेण्हइ २, ता जया णं एए पुण्णरस कसिणा पोग्गला णो सया चंदस्स या सूरन्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति तया णं माणुसलोयग्मि मणुस्सा एवं वयंति-एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गेण्हइ०, एए एवमाहंसु, वयं पुण एवं वयामो-ता राहू णं देवे महिड्डिए० महाणुभावे वरवत्थधरे जाव वराभरणधारी, राहुस्स णं देवरस भय णामधेजा प०, तं०-सिंघाडए नडिलए खरए खेत्तए दहरे मगरे मच्छे कच्छभे किण्हसप्पे, ता राहुस्स ण देवस्स विमाणा पंचवण्णा प०, तं०-किण्हा णीला लोहिया हालिद्दा सुस्किल्ला, अस्थि कालए राहुविमाणे खंजणवण्णाभे प०, अस्थि णीलए For Personal & Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र राहुविमाणे लाउयवण्णामे पण्णत्ते, अस्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठावण्णाभे पण्णत्ते, अस्थि हालिद्दए राहुविमाणे हालिद्दावण्णामे प०, अस्थि सुस्किलए राहुविमाणे भासरासिवण्णाभे प०, ता जया णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वेमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेस्सं पुरस्थिमेणं आवरित्ता पच्चस्थिमेणं वीईवयइ तया णं पुरथिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेइ पञ्चस्थिमेणं राहू, जया णं राहुदेवे आगच्छेमाणे वा गच्छेमाणे वा विउब्वेमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दादिणेणं आवरित्ता उत्तरेणं वीईवयइ तया णं दाहिंणेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेइ उत्तरेणं राहू, एएणं अभिलावेणं पञ्चत्थिमेणं आवरित्ता पुरस्थिमेणं वीईवयइ उत्तरेणं आवरित्ता दाहिणणं वीईवयइ जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउवेमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणपुरस्थिमेणं आवरित्ता उत्तरपञ्चस्थिमेणं वीईवयइ तया णं दाहिणपुरस्थिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेइ उत्तरपच्चस्थिमेणं राहू, जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणपच्चस्थिमेणं आवरित्ता उत्तरपुरस्थिमेणं वीईवयइ तयाणं दाहिणपञ्चस्थिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेइ उत्तरपुरस्थिमेणं राहूं, एएणं अमिलावणं उत्तरपथरिथमेणं आवरेत्ता दाहिणपुरस्थिमेणं वीईवयइ, उत्तरपुरस्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपञ्चस्थिमेणं वीईवयह, ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेमाणे चिट्ठा (आवरेत्ता वीईवयइ), तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वयंति-एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा गहिए०, ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता पासेणं वीईवयह तया णं मणुस्सलोयंमि मणुस्सा वयंति-एवं खलु चंदेण वा सूरेण वा राहुस्स कुच्छी भिण्णा०, . ता जया णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा"चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता पच्चोसक्कइ तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वयंति-एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा वंते. राहुणा०२, ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता मझमझेणं वीईवयइ तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वयंति० राहुणा चंदे वा सूरे वा वीइयरिए. राहुणा०२, ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे.. चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ताणं अहे सपक्खि सपडिदिसिं चिट्ठइ तया णं मणुस्सलोयंसि मणुस्सा वयंति० राहुणा चंदे वा पत्थे• राहुणा० २ । ता For Personal & Private Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 23 - चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र काविहे णं राहू प० १ ता दुविहे प०, तं०-धुवराहू य पन्चराहू य, तत्थ णं जे से धुवराह मे णं बहलपक्खस्स पाडिवए पण्णरसइभागेणं भागं चंदस्स लेसं आवरे. माणे० चिट्ठइ, तं०-पढमाए पढमं भागं जाव पण्णरसमं भागं, चरमे समए चंदे रत्ते भवइ, अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ, तमेव सुक्तपक्खे उक्दंसेमाण २ चिट्ठइ, तं०-पढमाए पदमं भागं जाव चंदे विरत्ते भवइ, अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ, तत्थ णं जे से पव्वराहू से जहण्णेणं छण्हं मासाणं, उवकोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स अडयालीसाए संवच्छराणं सूरस्स ॥ १०३ ॥ ता कहं ते चंदे ससी २ आहिएति वएजा ? ता. चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो मियंक विमाणे कंता देवा कंताओ देवीओ कंताई आसणसयणखंभभंडमत्तोक्गरणाई अप्पणावि य णं चंदे देवे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कंते सुभगे पियदंसणे सुरूवे ना एवं खलु चंदे ससी चंदे ससी आहिएति वएजा । ता कहं ते सूरिए आइच्चे सूरे२ आहिएति वएजा ? ता सूराइया णं समयाइ वा आवलियाइ वा आणापाणूइ वा थोवेइ वा जाव उस्सप्पिणिओसप्पिणीइ वा, एवं खलु सूरे आइच्चे २ आहिएति .... वएजा ॥ १०४ ॥ ता चंदस्स णं जोहसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? ता चंदस्स० चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं०-चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, जहा हेट्टा तं चेव जाव णो चेव णं मेहुणवत्तिय, एवं सूरस्सवि णेयव्वं, ता चंदिमसूरिया णं जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पञ्चणुभवमाणा विहरंति ? ता से जहाणामए-केइ पुरिसे पढमजोव्वणुट्ठाणबलसमत्थे पढमजोव्वणुढाणबलसमत्थाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्तविवाहे अत्थार्थी अस्थगवेसणयाए सोलसवासविप्पवसिए से णं तओ लढे कयकज्जे अणसमन्गे पुणरवि णियघरं हव्वमागए हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहन्याभरणालंकियसरीरे मणुण्णं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाउलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अंतो बाहिरओ दूमियघट्टमट्टे विचित्तउल्लोयचिल्लियतले बहुसमसुविभत्तभूमिभाए मणिरयणपणासियंधयारे कालागरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवमघमघंतगंधुवुयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि दुहओ उण्णए मझोणयगंभीरेसालिंगणवट्टिए पण्णत्तगंडविधोयणे सुरम्मे गंगापुलिणवालुयाउद्दालसालिसए सुविरइयरयत्ताणे ओयवियखोमियखोमदुगूलपट्टपडिच्छायणे रत्तंसुयसंवुडे सुरम्मे आईणगरूयबूरगवगीय चूलकासे सुगंधवरकुमुमचुण्णतयणोवयारकलिए ताए तारिसाए For Personal & Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र ८४ भारिया, सद्धिं सिंगारागार चारुवेसाए संगयगयहसिय भणियचिट्टियसंलाव विलासणिउ जुत्तोवयारकुसलाए अणुरत्ताविरत्ताए मणाणुकूलाए एगंतरइपसत्ते अण्णत्थ कच्छइ मगं अकुब्वमाणे इट्ठे सद्दफरि सरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सर कामभोगे पञ्चणुभवमाणे विहरिज्जा, ता से णं पुरि से विउसमणकालसमयंसि केरिसयं सायासोक्खं पञ्चणुभवमाणे विहरइ ? उरालं समणाउसो !, ता तस्स णं पुरिसम्स कामभोगेहिंतो एत्तो अणंतगुणविसिङ्कतरा चेव वाणमंतराणं देवाणं कामभोगा, वाणमंतराणं देवाणं कामभोगाहिंतो अनंतगुणवि सिद्वतरा चेव असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं कामभोगा असुरिंदवज्जियाणं० देवाणं कामभोगेहिंतो अनंतगुणविसिद्वतरा चेव असुरकुमाराणं इंदभूयणं देवाणं कामभोगा, असुरकुमाराणं० देवाणं कामभोगेहिंतो ० गहगणगक्खत्ततारारूवाणं कामभोगा, गहगणणक्खत्ततारारूवाणं कामभोगेहिंतो अनंतगुणविसितरा चेव चंदिमसूरियाणं देवाणं कामभोगा, ता एरिसए णं चंदिमसूरिया जोइर्मिंदा जोइसरायाणो कामभोगे पञ्चणुभवमाणा विहरंति ॥ १०५ ॥ तत्थ खलु ईमे अट्ठासीई महग्गहा पण्णत्ता, तं० - इंगालए वियालए लोहियंके सणिच्छरे आहुगिए पाहुणिए कणे कण कणकणए कणवियाणए १० कणगसंताणे सोमे सहिए आसासणे कज्जोवए कव्वरए अयकरए दुंदुभए संखे संखणाभे २० संखवण्णाभे कंसे कंसणा कंसवण्णा णीले णीलोभासे रुप्पे रुप्पोभासे भासे भासरासी ३० तिले तिलपुफवण्णे दगे दगवण्णे काए बंधे इंदग्गी धूमकेऊ हरी पिंगलए ४० बुहे मुक्के बहस्सई राहू अगत्थी माणवर कामफासे धुरे पमुहे वियडे ५० विसंधी कप्पेल्लए पइल्ले जडियालए अरुणे अग्गिल्लए काले महाकाले सोत्थिए सोवन्थिए ६० वद्धमाणगे पलंबे णिच्चालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे ओभार्से सेयंकरे खेमंकरे आभकरे पiकरे ७० अर विरए असोगे विसोगे विमले विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुव्वए ८० अणियट्टी अणाविए एगजडी दुजडी करकरिए रायग्गले पुष्पकेऊ भावकेऊ ८८ ॥१०६॥ वीसइमं पाहुडं समत्तं ॥ २० ॥ इइ एस पाहुडत्था अभव्वजणहिययदुल्लहा इणमो । उक्कित्तिया भगवया जोइसरायस्स पण्णत्ती ॥१॥ एस गहियावि संता थद्धे गारवियमाणिपडिणीए । अब हुस्सुए ण देया तव्विवरीए भवे देया ॥ २ ॥ सद्धाधिइउद्वाणुच्छाहकम्मबलवीरियपुरिसकारेहिं। जो सिक्खिओवि संतो अभायणे परिकहेजाहि ॥ ३ ॥ सो पवयणकुलगणसंघबाहिरों णाणविणयपरिहीणो । अरहंतथेरगणहरमेरं किर होइ बोलीणो ॥ ४ ॥ For Personal & Private Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र तम्हा घिइउठाणुच्छाहकम्मबलवीरियसिस्वियं णाणं । धारेयव्वं णियमा णय अविणीएसु दायव्यं ॥५॥ वीरवरस्स भगवओ जरमरणकिलेसदोसरहियस्स । वंदामि विणयपणओ सोक्खुप्पाए रया पाए ॥ ६ ॥ १०७ ।। ॥चंदपण्णत्ती समत्ता ॥ . RANS DESH For Personal & Private Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूरियपण्णत्ती णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं । तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला णामं णयरी होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धा पमुइयजणजाणवया जाव पासादीया ४ ॥ तीसे णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए माणिभद्दे णामं चेइए होत्था वण्णओ । तीसे णं मिहिलाए णयरीए जियसत्तु णामं राया होत्था वण्णओ । तस्स णं जियसत्तुस्स रण्णो धारिणी णामं देवी होत्था वण्णओ । तेणं कालेणं तेणं समएणं तम्मि माणिभद्दे चेइए सामी समोसढे, परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया जाव राया जामेव दिसिं पाउन्भू तामेव दिसिं पडिगए ||१|| तेण कालेनं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंसठाणसंठिए वजरिसहणारायसंघयणे जाव एवं वयासी - कह मंडलाइ वञ्चइ १, तिरिच्छा किं च गच्छइ २ । ओभासद केवइयं ३, सेयाई किं ते संठिई ४ ॥ १ ॥ कहिं पडिहया लेखा ५, कहिं ते ओयसंटिई ६ । के सूरियं वरयए ७, कहं ते 'उदयसंठिई ८ ||२|| कहं कट्ठा पोरिसिच्छाया ९, जोगे किं ते व आहिए १० । किं ते संवच्छराणाई ११, कह संबच्छराइ य १२ ॥ ३ ॥ कहं चंदमसो बुडी १३, कया ते दोसिणा बहू १४ । केइ सिग्घगई बुत्ते १५, कहं दो सिणलक्खणं १५ ॥४॥ चयणोवबाय १७ उच्चत्ते १८, सूरिया कह आहिया १९ । अणुभावे के व संवृत्ते २०, एवमेयाइं वीसई ||५||२|| ढोवट्टी मुहुत्ताणं १, अद्धमंडलसंटिई २ । के ते चिणं परियर ३, अंतरं किं चरंति य ४ || ६ || उम्गाहद्द क्वइयं ५, केवइयं च विकंपइ ६ । मंडलाण य संठाणे ७, विक्खंभो ८ अट्ठ पाहुडा ||७|| छप्पं च य सत्तेव य अट्ठ तिण्णि य हवंति पडिवत्ती । पढमस्स पाहुडस्स हवंति एयाउ पडिवत्ती ||८||३|| पडिवत्तीओ उदए, तहा अत्थमणेसु य । मियवाए कष्णकला, मुहुत्ताण गईइ ||९|| क्खिममाणे सिग्धगई, पविसंते मंदगईइ य । चुलसीइसयं पुरिसाणं, तेसिं च पंडिवन्तींओ || १० || उदयम्मि अट्ठ भणिया भेयग्धाए दुवे य पडिवत्ती । चत्तारि मुहुत्तगईए हुंति तयम्मि पडिवती || ११||४|| आबलिय १ मुहुत्तग्गे २, 1 For Personal & Private Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७ ... सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र एवं भागा य ३ जोगस्सा ४ । क्लाइं ५ पुण्णमासी ६ य, सण्णिवाए ७ य संटिई ८॥१२॥ तार(य)ग्गं च ९ णेया य १०, चंदमग्गत्ति ११ यावरे । देवयाण य अज्झयणे १२, मुद्दुत्ताणं णामया इय १३ ॥१३॥ दिवसा राइ वुत्ता य १४, तिहि १५ गोत्ता १६ भोयणाणि १७ य । आइच्चवार १८ मासा १९ य, पंच संवच्छरा २० इय ॥१४॥ जोइसस्स दाराई २१, णक्वत्तविजए विय २२ । दसमे पाहुडे एए बाबीसं पाहुडपामुडा ॥१५॥५॥ एसो कमविसेसो ताव सूरियपण्णत्तीए अवसेसो अपरिसेसो भावियव्वो जहा चंदपण्णत्तीए जाव अंतिमा गाहत्ति ॥ ॥सरियपण्णत्ती समत्ता॥ For Personal & Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यंपावयण आणिग्ग सच्च जजो उवा IAS यरं वंदे . . Taalo पामज्जा सययं तंत्र संघ गुणा सुधर्म जैन सर 'न संस्कृति रक्षाक कि संघ जोधापुर भारत खिलभारत अखिल भारत संघ अखिलभारत अखिल रक्षक संघ अखिलभारत अखिलभारत स्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुध जन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन सस्कृषक भारतीयसुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारत अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिलभारत अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिलभारत अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारत अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिलभारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारती अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ. अखिल भारत अखिलभारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ आखल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ आखलभारत HTRomaantrwaighaline रामानन्नातकतिरक्षकसमा