Book Title: Yog Granth Vyakhya Sangraha
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Suri Ramchandra Shatabdi Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ ईर्यासमितिः] [23 नाम व्याख्या गाथा ईर्यासमितिः = चिकीर्षोः श्रुतशास्त्रस्य ज्ञानिनोऽपि प्रमादिनः / / कालादिविकलो योग इच्छायोग उदाहृतः // 2 // द्वा. 19/2 = तज्जुत्तकहापीईइ संगयाविपरिणामि इच्छा / वि. 17/5 = तज्जुत्तकहापीईइ संगया विपरिणामिणी इच्छा / यो.विं. = तद्वकथाप्रीतियुता तथाऽविपरिणामिनी / यमेष्विच्छाऽवसेयेह प्रथमो यव एव तु // 215 // यो.दृ. = प्रमाद..... पि चः क्विचत् / - नमस्कारादिरूच्छास इच्छायोगोऽभिधीयते // ब्र.सि. = आवश्यकायैव संयमार्थं सर्वतो युगमात्रनिरीक्षणायुक्तस्य ___शनैय॑स्तपदा गतिरीर्यासमितिः / त.भा. = लोकातिवाहिते मार्गे चुम्बिते भास्वदंशुभिः / जन्तुरक्षार्थमालोक्य गतिरीर्या मता सताम् // 36 // यो.शा. 1/36 = प्रतिपक्षाभ्युच्चयजनितो मत्सरविशेषः / शा.वा. 12 = निश्चयविशेषजिज्ञासा चेष्टा ईहा, * ईहा ऊहा तर्कः परीक्षा विचारणा जिज्ञासेत्यनान्तरम् / त.भा.१/१५ [] = स्वकुलाधुचितशुद्धजीवनोपायाः / ल.वि. = प्रधानं कर्मक्षपणकारणम् / ध. 380 = अनुरूपप्रतिपत्तिम् / ध.प. = लोकपूज्यतानिदानस्य कर्मविशेषः / सा. = सुक्काए लेसाए, उक्कोसगमंसगं परिणमित्ता / नो मरइ सो हु णिअमा, उक्कोसाराहओ होइ // 1694 / / पं.व. 1694 = सन्तोषसुखप्रधानः / द्वा. 20/32 = पन्नवणिज्जस्स पुणो, उत्तमसद्धा हवे फलं जीसे / / विहिसेवा य अतत्ती, सुदेसणा खलिअपरिसुद्धी // 45 // यति. 45 = पिंडस्स जा विसोही, समिईओ भावणा तवो दुविहो / / पडिमा अभिग्गहा वि य, उत्तरगुण मो वियाणाहि / / गु. 1/94 = यदाह - पिंडस्स जा विसोही समिईओ भावणा तवो दुविहो / / पडिमा अभिग्गहो विअ उत्तरगुण मो विआणाहि // (निशीथ भा.६५३४) यो.शा. 1/26 उचितवृत्तयः उचितानुष्ठानम् उचितास्थितम् उच्चैर्गोत्र: उत्कृष्टाराधकः 17 उत्तमः उत्तमश्रद्धा उत्तरगुणाः

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150