Book Title: Yog Ek Chintan Author(s): Fulchandra Shraman, Tilakdhar Shastri Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti View full book textPage 8
________________ विवेचन किया है। जहा यह ग्रन्थ योग-साधना के पथिक जिज्ञासुग्रो के लिये उपयोगी है वहा जैन सस्कृति का विवाद परिचय प्राप्त करने वालो के लिये भी अत्यन्त सहायक है। उपाध्याय श्री जी तो स्वय महान् योगी हैं, अत उनकी लेखनी ने उन अनुभूतियो को विशेप रूप से व्यक्त किया है जो उन्होने स्वय इस मार्ग पर चलते हुए प्राप्त की हैं, चत. यह ग्रन्य योग-साधना के अनुभूत सत्यो की अभिव्यक्ति करने वाला एक ऐसा प्रकाग-दीप है जिम मे प्रत्येक व्यक्ति अभीप्ट प्रकाग प्राप्त कर सकता है। समिति को सौभाग्य से श्री तिलकधर शास्त्री साहित्य-रत्न साहित्यालकार जैसे विद्वान् मिल गए है, उनकी विद्वत्ता एव कलात्मक प्रतिभा समिति के प्रकाशनो को सुन्दर रस दे रही है, अंत ममिति उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती है। अन्त में हम लुधियाना निवासी श्री रतनचन्द ओसवाल के सुपुत्र श्रीयुत थोपाल जी ओसवाल की धर्मपत्नी श्रीमती गकुन (कन्ता देवी) का हार्दिक धन्यवाद करते है जिनके द्वारा दिये गए अर्थ-सहयोग से यह पुस्तक प्रकाशित हो सकी है। हम आना करते है कि श्री रतनचन्द जी अोमवाल के परिवार की ओर से भविष्य मे भी हमे ऐसी रचनात्रो के प्रकागन के लिये सहयोग प्राप्त होता रहेगा। हम इन्हो गब्दों के माथ यह ग्रन्य पाठको की सेवा मे प्रस्तुत करते है। निवेदक टी. आर. जैन, प्रधान राजकुमार जैन, मन्त्री आचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकागन समिति, जनस्थानक, लुधियाना।Page Navigation
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