Book Title: Yog Ek Chintan Author(s): Fulchandra Shraman, Tilakdhar Shastri Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti View full book textPage 7
________________ प्रकाशकीय 'प्राचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशन समिति' अनेक वर्षों मे स्वर्गीय आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज की हार्दिक अभिलाषा की पूर्ति के लिये प्रागमो का, जैन सस्कृति के विविध पक्षो पर प्रकाश डालने वाले मौलिक साहित्य का एव विविध स्तोत्रो आदि का साहित्य-प्रेमी दानवीरो के सहयोग से प्रकाशन कर रही है। यह पकाशन अपना विशेष महत्त्व रखते है, क्योकि इनमे स्वर्गीय आचार्य श्री की सरल एव सरस भाषा मे जन-जीवन के उद्धार के लिये उपयोगी ज्ञान-निधि सुरक्षित है। लुधियाना का यह परम सौभाग्य है कि यहाँ पण्डित-रत्न श्री हेमचन्द्र जी महाराज, पजाव-प्रवर्तक उपाध्याय श्रमण श्री फूलचन्द्र जी महाराज, एव करुणा-मूर्ति विद्वद्रत्न श्री रतन मुनि जी महाराज विराजमान होकर स्वर्गीय आचार्य श्री की ज्ञाननिधि को प्रकाशित करने की सवल प्रेरणा तो देते ही रहते है, साथ ही अपने चिन्तन-पुष्पो से समाज को लाभान्वित भी कर रहे है। उपाध्याय श्री जी की लेखनी एक ऐसी स्रोत-स्थली है जहा से ज्ञान-गगा का पीयूप-प्रवाह निरन्तर प्रवाहित होकर जन-जन को अक्षय शान्ति प्रदान करता रहता है। वे अपनी जानमयी अभिव्यक्ति के द्वारा जैन साहित्य की श्रीवृद्धि कर रहे है । ___ "योग एक चिन्तन" यह एक सर्वथा अभिनव रचना है। इसमे उपाध्याय जी महाराज ने योग-साधना की पूर्णता के लिये जिन आवश्यक साधनो की अनिवार्यता है उनका विशद साङ्गोपाङ्ग योग एक चिन्तन ] [ सातPage Navigation
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