Book Title: Visheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Author(s): Pavankumar Jain
Publisher: Jaynarayan Vyas Vishvavidyalay

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Page 18
________________ .श्वेताम्बर एवं दिगम्बर परम्परा में मान्य द्वादशांगों के स्वरूप का संक्षिप्त परिचय आचारांग सूत्रकृतांग स्थानांग समवायांग व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती) ज्ञाताधर्मकथा उपासकदशा अन्तकृद्दशा अनुत्तरौपपातिक प्रश्नव्याकरण विपाक श्रुत . श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा में मान्य पदों की संख्या का चार्ट दृष्टिवाद दृष्टिवाद के भेद परिकर्म 265 266 267 267 268 269 270 271 271 273 273 274 276 276 277 277 सूत्र 278 278 279 281 281 281 पूर्वगत * पूर्वगत के प्रकार * चौदह पूर्वो की विषयवस्तु * चौदह पूर्वो की पद संख्या एवं वस्तुएँ अनुयोग * मूल प्रथम अनुयोग * गण्डिकानुयोग चूलिक द्वादशांगी की पौरुषेयता द्वादशांग के विषय द्वादशांगी ही श्रुतज्ञान द्वादशांग की शाश्वतता द्वादशांग की विराधना का कुफल-सुफल श्रतज्ञान के दो विशिष्ट प्रकार षदखण्डागम में श्रुतज्ञान के भेद श्रुतज्ञान का विषय विशेषावश्यकभाष्य का मत . आगम का मत सत्पदपरुपणादि नौ अनुयोग द्वारा श्रुतज्ञान की प्ररुपणा श्रुत का प्रामाण्य श्रतज्ञान में अनुमानादि प्रमाणों का समावेश समीक्षण 282 282 283 283 283 283 284 284 284 289 . 290 290 292 293 292 293

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