Book Title: Visheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Author(s): Pavankumar Jain
Publisher: Jaynarayan Vyas Vishvavidyalay
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धवला में अक्षरश्रुत के प्रकार द्रव्यश्रुत-भावश्रुत
प्रमाता को लब्ध्यक्षर की प्राप्ति इन्द्रिय ज्ञान अनुमान है
अक्षरश्रुत के अधिकारी एकेन्द्रिय में श्रुत
सभी जीव एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय आगमिक मत
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एक अकार आदि की पर्याय
अक्षर की स्व- पर पर्याय
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एक का ज्ञान सर्व का ज्ञान श्रुतज्ञान और केवलज्ञान की पर्याय
अक्षर का पर्यवपरिमाण
कौनसे ज्ञान का अनन्तवां भाग अनावृत्त रहता है ? ★ अक्षर ज्ञान में कौन सा अक्षर इष्ट है
श्रुत की अनादिता
लब्ध्यक्षर के भेद
अनक्षर श्रुत
• संत्री श्रुत असंत्री श्रुत
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अक्षर श्रुत के भेद
संज्ञा का स्वरूप
संज्ञा के प्रकार
संज्ञी का स्वरूप
संज्ञी असंज्ञी श्रुत का स्वरूप दीर्घकालिकोपदेशिकी संज्ञा
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दीर्घकालिकोपदेशिकी संज्ञा के कार्य
दीर्घकालिक संज्ञा की अपेक्षा संज्ञी असंज्ञी जीव * दीर्घकालिकोपदेशिकी संज्ञा की अपेक्षा संज्ञी असंज्ञी श्रुत
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हेतुवादोपदेशिकी संज्ञा
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हेतुवादोपदेशिक संज्ञा के सम्बन्ध
में नंदी के टीकाकारों का मत
दृष्टिवादोपदेशिकी संज्ञा
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हेतु की अपेक्षा संज्ञी असंज्ञी जीव हेतु की अपेक्षा संज्ञी असंज्ञी श्रुत
दीर्घकालकिकी और हेतुवाद संज्ञा में अन्तर
केवली संजी क्यों नहीं ? मिथ्यादृष्टि असंज्ञी क्यों ?
दृष्टिवाद की अपेक्षा संजीत असंज्ञीश्रुत
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