Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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और एक सर्वांगीण सन्दर्भ ग्रन्थ की आवश्यकता की पूर्ति हों इस दृष्टिकोण को दृष्टिगत रखते हुए इसे त्रिभाषा-हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी में निकालने का विचार किया गया। तीनों भाषाओं के अलग-अलग विभागीय खंड का संपादन कार्य हमें सौंपा गया।
उनका जीवन हिमालय की तरह उत्तुंग है जिसे छू पाना सहज नहीं । उनके गुण अपार और अतल जलराशि की भांति है जिसकी न गहराई नापी जा सकती है न छोर ही पाया जा सकता है। उनके कार्य और योगदान की व्यापकता क्षितिज की तरह निस्सीम है जिसकी सीमा का पार पाना असंभव है। उनका व्यक्तित्व विराट है जिसे शब्द की सीमाएं लांघ नहीं सकती। ऐसे महापुरुष जिन के लिए सारे विशेषण और उपमाएं छोटी पड़ जाती है उनके विषय में लिखना किसी भी समर्थ से समर्थ लेखक-संपादक-कवि के लिए भी दुःसाध्य कार्य होता है।
श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज की कृपा से यह दुःसाध्य कार्य सुसाध्य करेंगे इस संकल्प से हमने उनका आशीर्वाद लेकर कार्य प्रारंभ किया। प्रस्तुत ग्रन्थ के जन्म की यही कथा है।
ग्रन्थ के लिए जिन जिन लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान लेखकों के हमने लेख आमंत्रित किए उन सभी ने अपने-अपने पांडित्यपूर्ण और खोजपरक लेख भेज कर हमारा उत्साह बढ़ाया है।
कुछ स्तरीय लेख हमने उद्धृत किए हैं; परंतु उनकी संख्या नगण्य है । अधिकतर लेख नये और अप्रकाशित हैं। कुछ लेखकों के लेख ग्रन्थ का कलेवर बढ़ जाने के कारण हम उन्हें स्थान नहीं दे पाए हैं। उनसे हार्दिक क्षमायाचना करते हैं।
सभी लेखों के विचार और संदर्भ जैन धर्म के अनुरूप लिए हैं फिर भी यदि ऐसा कुछ प्रमादवश छप गया हो तो तदर्थ भी क्षमायाचना करते हैं । लेख की जिम्मेवारी लेखक पर है।
__ प्रस्तुत ग्रन्थ पाँच खंडो में विभाजित किया गया है चारों खंडों के अलग-अलग नामाभिधान रखे गए हैं। प्रथम खंड का नाम 'ज्ञानाजंलि' रखा गया है ।ज्ञानांजलि खंड में हिन्दी के भिन्न-भिन्न विषयों के लेखों का संकलन है। द्वितीय खंड का नाम 'श्रद्धांजलि' रखा गया है। इसके अन्तर्गत श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज के प्रति व्यक्त श्रद्धांजलि लेखों का संकलन है। इन लेखों में पुनरावृत्ति न हो इस बात का ध्यान रखा गया है । हर लेख में गुरु विजयानंदजी के जीवन, कार्य और व्यक्तित्व का कोई न कोई पक्ष उजागर हुआ है । हर लेख की अपनी विशेषता है। इस प्रकार के कुछ लेखों का श्रद्धांजलि में संकलन किया गया हैं ।अन्त में उनके पावन नाम से वर्तमान में चल रही सभाओं और विद्यालयों का सचित्र परिचय दिया गया है। कुछ उत्कृष्ट
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