Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
View full book text
________________
अथाह समुद्र हैं । संदेह की वल्लरी से मुक्त करने वाले और जैन धर्म की धुरा धारण करने वाले भी आप ही हैं।
विगत सौ वर्षों में अनेक विद्वान लेखकों और कवियों ने उनके जीवन और कार्यों पर अपनी कलम चलाकर उनका मूल्यांकन किया है। अनेक भक्त कवियों ने उनके गुणानुवाद में काव्य सुमन अर्पित किए हैं । स्वयं आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज ने उनका 'नवयुग निर्माता' नाम का विस्तृत जीवन ग्रन्थ लिखा है। उन्हीं की निश्रा में ई. सन् १९३६ में उनकी जन्म शताब्दी मनाई गई थी। उस प्रसंग पर श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई के कुशल संपादकत्व में श्री आत्मानंद जन्म शताब्दी स्मारक ग्रन्थ' भी प्रकाशित हुआ था।
आज उनके यशस्वी नाम से अनेक सभाएं, विद्यालय, पाठशालाएं, छात्रालय, स्कूल, हॉस्पिटल, युवक मंडल और महिला मंडल चल रहे हैं। 'विजयानंद' लुधियाना से और 'श्री आत्मानंद प्रकाश' भावनगर से प्रतिमास नियमित मासिक पत्र प्रकाशित हो रहे हैं।
उनके वर्तमान पट्टधर जैन दिवाकर, परमार क्षत्रियोद्धारक, चारित्र चूड़ामणि आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में प्रतिवर्ष उनकी जन्म जयन्ती और पुण्य तिथि मनाई जाती है और उनके महान जीवन और अद्वितीय कार्यों का स्मरण कर समाज को उनसे प्रेरणा लेने के लिए उद्बोधित - उत्प्रेरित किया जाता है। इस प्रकार अद्यावधि उनकी स्मृति अक्षुण्ण है और रहेगी।
___ इसी अक्षुण्ण स्मृति की कड़ी है उनकी स्वर्गारोहण शताब्दी और इस प्रसंग पर प्रकाशित प्रस्तुत ‘श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी स्मृति ग्रन्थ' ।
जैन दिवाकर आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज एवं कार्यदक्ष आचार्य श्रीमद् विजय जगच्चन्द्र सूरीश्वरजी महाराज आदि ठाणा का ई. सन् १९९२ का चातुर्मास राजस्थान के सादड़ी नगर में था।
इस चातुर्मास में उन्होंने ई. सन् १९९६ में आने वाली विश्व वंद्य विभूति महान ज्योतिर्धर न्यायाम्भोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज की स्वर्गारोहण शताब्दी भव्य
और ऐतिहासिक रूप से मनाने की रूपरेखा तैयार की । इसी रूपरेखा के अन्तर्गत अन्य कार्यों के साथ उन्होंने उनका एक स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रन्थ निकालने का निर्णय किया और हम तीनों को अपने पास बुलाकर श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज के जीवन, कार्यों और व्यक्तित्व के अनुरूप एक शताब्दी ग्रन्थ तैयार करने की प्रेरणा की । यह ग्रन्थ सभी के लिए समान रूप से उपयोगी हों
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org