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3. पाटण-गुजरात
18. होशियारपुर-पंजाब 4.बीजोवा-राजस्थान
19. अम्बाला-हरियाणा 5. नाडोल-राजस्थान
20. पालेज-गुजरात 6. वरकाणा-राजस्थान
21. पालीताणा-पंजाबी धर्मशाला सौराष्ट्र 7. ऊना-सौराष्ट्र
पालीताणा-वल्लभ विहार सौराष्ट्र 8. सादड़ी-राजस्थान
22. मालेरकोटला-पंजाब 9. हरजी-राजस्थान
23. जालंधर-पंजाब 10. सोजत-राजस्थान
24. ज़ीरा-पंजाब 11. कोइम्बटूर-साउथ दक्षिण भारत
25. शाहकोट-पंजाब 12. बड़ौत-उत्तर प्रदेश
26. नाभा-पंजाब 13. जण्डियाला गुरु-पंजाब
27. पटियाला-पंजाब 14. अमृतसर
28. सुनाम-पंजाब 15. सामाना-पंजाब बड़ौदा में
1. विजय वल्लभ हॉस्पिटल (अस्पताल) में मूर्ति 2. विजय वल्लभ धर्मशाला में मूर्ति 3. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर मांजलपुर 4. जैन मंदिर लेस्टर-लंडन
में इत्यादि मूर्ति सरस्वती मंदिरों की स्थापना प.पू. स्व. गुरुदेव आ. विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म.सा. की सप्रेरणा से स्थापित संस्थाएं : 1. श्री महावीर जैन विद्यालय-मुंबई
2. श्री महावीर विद्यालय-मुंबई अंधेरी 2. श्री आत्मानंद जैन सभा-मुंबई
3. श्री महावीर विद्यालय, पूना-महाराष्ट्र 3. श्री जैन कान्फ्रैंस-मुंबई
4. श्री महावीर विद्यालय, बड़ौदा-गुजरात 4. श्री वरकाणा जैन हाई स्कूल-राजस्थान 5. श्री महावीर विद्यालय, विद्यानगर-गुजरात 5. श्री फालना जैन हाई स्कूल-राजस्थान 6. श्री महावीर विद्यालय, अहमदाबाद-गुजरात 6. श्री विजयानंद जैन गुरुकुल झगड़िया-गुजरात 7. श्री महावीर विद्यालय, भावनगर (सौराष्ट्र) 8. श्री विजयानंद जैन कॉलेज-हाई स्कूल-विद्यालय, अम्बाला (हरियाणा) 9. श्री हाई स्कूल, लुधियाना-पंजाब 40 हजार विद्यार्थी विद्यालय में शिक्षण लेकर देश-विदेश में जैन धर्म का पालन, प्रचार एवं प्रसार कर रहे हैं।
प.पू. स्व. गुरुदेव विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म.सा. ने अपने संयम जीवनकाल में संयम यात्रा (जंगम तीर्थ) और स्थावर तीर्थ यात्रा के समय का पूरा सदूपयोग किया, उनके कार्य से ज्ञात होता है और आश्चर्य होता है कि उन्होंने कितने कार्य किये। गुरुदेव काव्य शास्त्र में बहुत आगे बढ़े। उन्होंने चैत्यवंदन-स्तुति-स्तवन-सज्झाय बनाईं और पंचतीर्थी आदि पूजा की रचना भी की। वह जिस गांव में गये, जहां भी मन्दिर में गये, उसमें जो मूलनायक भगवान थे, उसी का स्तवन बनाया और गाया। कर्मठ कार्य कर मनुष्य रूप में दिव्य शक्ति धारण करने वाले मानो कोई देवता ही थे। गुरुदेव की उपाधियां भी अनेक थीं । गुरुदेव अनेक पदवियों से विभूषित थे:
1. पंजाब केसरी, 2. अज्ञान तिमिर तरणि, 3. कलिकाल कल्पतरु, 4. दीर्घद्रष्टा, 5. युगवीर आचार्य, 6. जैन दिवाकर
प.पू. आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म.सा. के 50 वर्ष अर्द्धशताब्दी स्वर्ण जयन्ति स्वर्गारोहण दिवस पर भक्तजन श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं, अपने अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय कार्यों से गुरुदेव अमर हो गये हैं और युग-युग तक अमर रहेंगे।
"जब तक सूर्य चांद रहेगा, वल्लभ तेरा नाम रहेगा।"
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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