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भव्यातिभव्य गुरु वल्लभ रथयात्रा निकालने का प्रयोजन
1. गुरु वल्लभ की यशोगाथा सम्पूर्ण भारत वर्ष में फैले तथा यशोगाथा का सम्पूर्ण भारत वर्ष में गायन हो।
2. गुरु वल्लभ जिन्होंने देशवासियों के महावीरत्व को जगाया, विश्व मानस को अहिंसा
और अनेकान्त दर्शन का अमृत पिला कर विश्व शान्ति की चेतना प्रज्जवलित की, ऐसे महामानव के गुणों का गायन सभी करें।
3. गुरु वल्लभ आज 50 वर्ष पश्चात् हमारे बीच फिर से जीवन्त हों, उनकी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार तथा उनके द्वारा रचित स्तवन, सज्झाए, थुई आदि का गायन हो।
4. गुरु वल्लभ द्वारा प्रेरित संस्थापित संस्थाएं फिर से गुरु वल्लभ के उद्देश्यों को प्राप्त हों। 5. गुरु वल्लभ के अनुयायी अपनी यशस्वी पाट परम्परा के झण्डे तले एकत्रित हो। -6. जिन शासन की प्रभावना दशों दिशाओं में फैले। 7. गुरुदेव के उपदेशों, आदर्शों को अपनी आत्मा के उद्धार के लिए अपने जीवन में अपनाने का सुअवसर प्राप्त करें।
अपने प्रयोजन को सिद्ध करते हुए भव्यातिभव्य रथयात्रा ने अपना भ्रमण लुधियाना से शुरू करते हुए दिनांक 23 मार्च 2004 को पूज्य गुरुदेव पार्थिव शरीर के संस्कार स्थान, जोकि भायखला (मुम्बई) में स्थित है, वहां पर इसका समापन किया गया इस प्रकार यात्रा 1 महीना 17 दिन तक चली इस भव्य यात्रा ने उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत तक सम्पूर्ण भारत वर्ष में भ्रमण किया। जिस भी शहर, कस्बे और गांव में रथ पहुंचा वहां पर इस भव्य रथ का उत्साह पूर्वक स्वागत किया गया। जहां रात्रि विश्राम हुआ वहां पर गुरुदेवों के नाम का गुणगान हुआ। इस प्रकार पूरे भारत वर्ष में गुरु वल्लभ के यश का नारा फिर से गुंजायमान हो उठा।
आया समय सुहाना साथी, मंगलमय उद्घोष सगर है। जय जय जयति जयति गुरु वल्लभ, गुंजित स्वर हर गांव नगर है।। श्री गुरु चरणों के वन्दन में, साथी ! कोटि-कोटि सर रख दो। अर्द्धशताब्दी ललकार रही है, गुरु समर्पण का तुम व्रत लो।।
विजय वल्लभ रथयात्रा के शुभारम्भ की पूर्व संध्या पर 'पंचम की शाम गुरु वल्लभ के नाम
'भव्य भजन संध्या का आयोजन दिनांक 5 फरवरी 2004 गुरुदेव विजय वल्लभ स्वर्गारोहण मण्डली, श्री मेंहदीरत्ता, श्री ज्ञानचन्द चांदी, श्री सुशील कुमार अर्द्धशताब्दी वर्ष को एक महोत्सव रूप में मनाते हुए भव्य विजय मोही वाले, श्री सुशील कुमार रिन्द, मुम्बई से पधारे केवल भाई वल्लभ रथयात्रा के शुभारम्भ से पूर्व रात्रि में एक भव्य भजन एण्ड पार्टी ने विशेष रूप से भाग लिया। इस अवसर पर श्री संध्या का आयोजन जैन स्कूल दरेसी लुधियाना में किया गया कश्मीरी लाल जी, बाबू श्रीपाल जी, श्री देवेन्द्र कुमार जैन, श्री जिसकी अध्यक्षता श्री सतीश कुमार जैन (मै. जैन अमन हौजरी) सिकन्दर लाल जैन, श्री राजेन्द्र पाल जैन, श्री प्रवीण जैन ने की जिसमें बाहर से पधारे तथा स्थानीय गुरुभक्तों ने अपने पाटनी, श्री पुष्पदंत जैन पाटनी, श्री विनोद जैन अमृतसर, श्री भक्तिमय संगीत के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया संजीव जैन पाटनी, श्री अशोक जैन आदि गणमान्य व्यक्ति जिसमें मुख्य रूप से एस.ए.एन. जैन माडल स्कूल की संगीत उपस्थित थे।
विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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