Book Title: Vijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Author(s): Pushpadanta Jain, Others
Publisher: Akhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti

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Page 243
________________ रात्रि 8.30 बजे भजन संध्या का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। मुख्य संगीतकार श्री अशोक ए. गेमावत एण्ड पार्टी मुम्बई ने बहुत ही सुन्दर एवं रचनात्मक भजनों के द्वारा श्रोताओं को बांधे रखा। यह भजन संध्या रात्रि 2 बजे तक चलती रही। किसी का भी मन जाने को नहीं था। समय को देखते हुए इस सभा का विसर्जन करना पड़ा। महासमिति की तरफ से पार्टी का बहुमान किया गया। गेमावत जी ने कहा कि मैं पैसे के लिए नहीं गाता हूँ जहां गुरु वल्लभ का नाम आता है, पैसे मिलें या न मिलें वहां पहुंच जाता हूं। इस पर यहां तो गच्छाधिपति भगवन् स्वयं विराजमान हैं। उनका आदेश हुआ और मैं सभी कार्यक्रम छोड़ कर यहां आ गया क्योंकि मुझे भी स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी वर्ष में गुरुदेव के श्री चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करने हैं। गुरु वल्लभ अकेले ऐसे गुरु हैं, जिनकी प्रतिमा विदेश में भी प्रतिष्ठित है। इस कार्यक्रम मध्य रिदीमा जैन एवं सलौनी जैन का नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम की सी.डी. प्राप्त की जा सकती N નાપન 00 દામાદીઉં मुख्य संगीतकार-श्री अशोक ए. गेमावत एंड पार्टी मुम्बई आज के दिन के आकर्षण • श्री सुपार्श्वनाथ जैन मन्दिर जी में "श्री आत्म-वल्लभ जैन युवक मण्डल" द्वारा भव्य आंगी रचना। रंगोली चित्र:- गच्छाधिपति जी द्वारा जैन उपाश्रय में गुरु वल्लभ के जीवन से सम्बन्धित रंगोली के द्वारा चित्रण, जिसे देखने के लिये दिनांक 10,10.2004 से 18.10.2004 तक हजारों गुरुभक्त पधारें। • श्री विपिन जैन मै. जैन कलर लैब द्वारा गुरु वल्लभ के जीवन के दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी श्री आत्मानन्द जैन सीनियर मॉडल स्कूल के लाइब्रेरी हॉल में किया गया। यह प्रदर्शनी समापन समारोह के तीनों दिन लगाई गई। 'वल्लभ दर्शन' - प्रदर्शनी का उद्घाटन गुरुदेव द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन 151 विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका 241 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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