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6. केवल देव मन्दिरों का समर्थक, पुजारी ही नहीं :- शिक्षा प्रचारक और प्रसारक, सरस्वती मन्दिरों का पुजारी, स्कूल-कालिज, गुरुकुलों के .
निर्माता। 7. केवल विद्वान ही नहीं :- ग्रन्थों का रचयिता, भक्ति रस के भजनों-पूजाओं का लेखक भी। 8. केवल एक देशभक्त ही नहीं :- स्वदेशी की भावना का अटल कट्टर पुजारी, अहिंसा का अग्रदूत, पंच महाव्रतधारी।
हमारा परम सौभाग्य है कि आज हमें स्मरणीय पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ जी म.सा. के स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी को मनाने का सुअवसर प्राप्त हुआ है और इस वल्लभ अर्द्धशताब्दी वर्ष को मनाने का उद्देश्य तभी सफल होगा जब हम आने वाली पीढ़ियों को बता सकें कि गुरु वल्लभ क्या थे, उनमें क्या गुण थे और उन्होंने देश-समाज (खासकर पंजाब श्रीसंघ) के लिए क्या किया था ? इस अर्द्धशताब्दी वर्ष में प्रत्येक नर-नारी, युवक युवतियां खासकर समाज के अग्रणी नेता आपसी मतभेदों को भूलकर, संघ की एकता कायम रखने के लिए, अहं पद-प्रतिष्ठा त्याग कर गुरु वल्लभ के मिशन को सफल बना कर जैन समाज में फैले असामंजस्य की स्थिति से गुरु वल्लभ के गुण बताकर हमें उन्हें सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करनी होगी।
श्री वल्लभ गुरु गायन
हस्तीमल कोठारी, सादड़ी (राज.)
वंदन हो वल्लभ सूरि महाराज गुरुवर जी म्हारा वंदन हो कोटि कोटि आपने गुरुवर जी महारा।। टे0।।
दीप चंद जी का लाला इच्छा देवी का बाला जन्म बड़ौदा नगरी माय हो, गुरुवर जी म्हारा।। 1।।
सूरि आत्म का प्यारा, दर्शक आनंदकारा। शासन के सरदार हो, गुरुवर जी म्हारा।। 2 ।।
शान्त गंभीर मुद्रा, भक्तों को लागे प्यारी, युग में तू कल्पतरु कहलाय, हो गुरुवर जी म्हारा ।। 3 ।।
तेरी गजब शक्ति, कीनी है, पूरण भक्ति, भक्तों का बेड़ा करे पार, हो गुरुवर जी म्हारा।। 4।।।
वैद्यों का वैद्य जानो, मंत्रों का वादी मानो। कवियों का तू है, सिरमोर हो गुरुवर जी म्हारा।। 5 ।।
पंजाब का प्राणधारा, मरुधर आँखों का तारा, शासन में तरणी समान हो, गुरुवर जी म्हारा।। 6।।
तेरे पट्ट तरणी सोहे, समुद्र सूरि मन मोहे। तस पट्ट इन्द्रसूरि महाराज, हो गुरुवर जी म्हारा।। 7।।
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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