Book Title: Vijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Author(s): Pushpadanta Jain, Others
Publisher: Akhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti

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Page 180
________________ KAYAMAVA मान-पत्र OnOCTE बपेश खिदमत जनाब जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ स्वामी जी ! पेशवाये कौम व रहनमाये मिल्लत ! हम मेम्बरान म्युनिसीपल कमेटी शहर गुजरांवाला जो वाशिंदगान शहर गुजरांवाला की नमायिंदगी करते हैं, अपने तवारीख़ी शहर जो कि शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह साहब की जन्मभूमि है और जिस भूमि ने सरदार हरिसिंह नलवा जैसे बहादुर जर्नेल को जन्म दिया, उस भूमि में आपकी आमद पर आपको खुशआमदेद करते हैं। जनाब के तशरीफ लाने से जो खुशी हम लोग अपने दिलों में महसूस कर रहे हैं। जबान में उसके ब्यान की ताकत नहीं, बल्कि दिल ने भी यह समां इससे पहले कम ही मालूम किया होगा। हम नमायिंदगाने शहर बल्कि हर समझदार इन्सान यकीन करता है कि दुनिया के सारे निज़ाम और ज़िन्दगी के इस चक्र में सबसे बड़ी चीज सिर्फ एक बुलन्द कैरेक्टर है, जिसे दूसरे लफ्ज़ों में बुलन्दे इखलाक और मजहबी नुक्ता निगाह से दयानतदारी कहना चाहिए। यही एक चीज़ है कि जब किसी रहनमाये कौम को मिल जाये और कुदरत के वेबहा खजाने इस नेमत से मालामाल कर दें, तो कौम की नाव, जिन्दगी के मंझधार से पार हो जाती है। महोतरिम बुजुर्ग! आज दुनिया का हर सही उलदमाग शख़स इस हकीकत का कायल है कि इन्सानी जिन्दगी की कामयाबी के लिए अद्मतशदद का सस्ता ही सही व दुरुस्त है। आप अमतशदद के फलसफ़ा के अत्मवरदार हैं और मुल्क के कोने-कोने में इसकी सदा लगाते फिरते हैं। सिर्फ इसी आत्मिक खूबी की वजह से हमारे सर आपके सामने श्रद्धा से झुक जाते हैं। हम मिम्बरान इस निश्चय और यकीन के साथ पूरे अदब और गहरी अकीदत से यह मान-पत्र पेश करने की इज्जत हांसल कर रहे हैं। हम जानते हैं कि आप में वोह खूबियाँ मौजूद हैं जो एक सच्चे रहनमा के लिए जरूरी हैं। रहनमा कौम ! आपने छोटी उमर ही से गृहस्थ और अचालदारी के जंजालों को त्याग दिया। गोया आपने वक्त की आवाज को उस वक्त कबूल किया, जबकि हम जैसे लोग इस आवाज को सुनने के लिए तैयार न थे। जिन्दगी के मजे और गृहस्थ की ऐशपरस्तियाँ कितनी भी सुल्ज कर वर्ती जाएं, वोह कौमी कुर्बानियों की राह में कभी न कभी एक ऐसे पत्थर का काम देती हैं, जिससे रास्ते में रोक और अटक पैदा हो ज। ती... है। यह जानने के बावजूद कि आपकी जेबें मालो दौलत से खाली हैं, हमें यकीन है कि आपको गनी और बेपरवाह दिल KOY बखशा गया है। सच है- “तवंगरी बदिलस्त ना वमाल" इस लिए आप उन ऊँचे लोगों में से हैं, जिन पर दुनिया और दुनियादार कभी काबू नहीं पा सकते। आपकी सादा ज़िन्दगी और सारे हिन्दुस्तान का पैदल सफर करना बता देता है कि आपको 178 विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका 1501 Jan Education International Fat Private Personal use only www.jainelibrary.org

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