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चंडीगढ़ में संक्रान्ति महोत्सव :
किसी भी जैनाचार्य द्वारा चंडीगढ़ में संक्रान्ति महोत्सव प्रथम बार गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरीश्वर जी म.सा. की निश्रा में मनाया गया। असंख्य श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आचार्य [ने 11 बजे संक्रान्ति नाम का प्रकाश किया। चंडीगढ़ के संसद भगवन्
रायकोट नगर में रथ का अभूतपूर्व स्वागत
13 फरवरी 2004, शाम 5:15 बजे रायकोट में पहुंचा जहां रायकोट श्री संघ ने रथ का अभूतपूर्व स्वागत किया। सर्वप्रथम मिल्ट्री बैंड था, रथयात्रा घोड़ा चौंक से शुरू हुई, स्कूटर, गाड़ियों के काफिले ने रथ की अगवानी की। श्री आत्मानन्द जैन सभा के प्रधान श्री पुरुषोत्तम जैन की अगुवाई में हज़ारों की संख्या में गुरुभक्त अपने प्यारे गुरु वल्लभ के रथ को एक भव्य शोभा यात्रा के रूप में ले जा रहे थे। शासन प्रभाविका साध्वी श्री जसवंत श्री जी महाराज की सुशिष्या साध्वी प्रगुणा श्री जी,
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दिनांक 14 फरवरी 2004, प्रातः 10:15 बजे रथयात्रा का मालेरकोटला में आगमन हुआ, कार-स्कूटर सवार के काफिले के साथ रथ का भव्य प्रवेश हुआ। मालेरकोटला वासियों ने अपने आराध्य गुरु वल्लभ के रथ
सदस्य श्री पवन कुमार बांसल ने एक पुस्तक का विमोचन किया। श्री आत्मानंद जैन सभा मुरादाबाद ने गुरुदेव को मुरादाबाद पधारने की विनती की। संक्रान्ति समारोह पश्चात् गगनभेदी नारों के मध्य गुरुदेव ने ठीक 1 बजे रथ को चलने का आदेश दिया।
प्रियधर्मा श्री जी आदि ठाणा-4 ने भी गुरुदेव के प्रति अहोभाव किया। तलवंडी गेट से होती हुई भव्य रथयात्रा का भगवान सुमतिनाथ जैन मन्दिर पर विश्राम हुआ।
रात्रि में भव्य भजन संध्या का आयोजन हुआ, जहां बच्चों ने डांडिए का कार्यक्रम प्रस्तुत किया, भक्तजनों ने भाव भरे भजनों से गुरु की महिमा का गुणगान किया।
मालेरकोटला वासियों ने भव्य रथ के आगे पलक पांवड़े बिछाए :
के स्वागत में अत्यंत उत्साह का परिचय दिया। स्थान-स्थान पर पुष्प - वृष्टि की गई। बैंड-बाजों के साथ रथयात्रा एस.ए. जैन स्कूल पहुंची, जहां पर गणमान्य व्यक्तियों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
विजय वल्लभ
संस्मरण-संकलन स्मारिका
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