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वल्लभ गुरुवर का समुद्र को संदेश
समुद्र - “ऐ गुरु ! मुझको बतला कि छोड़ा मुझको किसके सहारे" वल्लभ - “ऐ समुद्र मेरे मत रो, कि तुझको छोड़ा प्रभु के सहारे
मेरे ज्ञान-बगीचों की तुम नित संभाल ही करना।
जैन मिशन अधूरा पड़ा जो पूरा उसको करना,
छोड़ जा रहा भक्तों को अपने, समुद्र तेरे सहारे।" समुद्र - "जाओ गुरुवर परमशांति से तुमको मेरा नमन है.
कार्य तुम्हारा पूरा करूंगा जब तक दम में दम है। जैन संघ की उन्नति करना, होगा जीवन प्राण है।
गाज़ियाबाद में विजय वल्लभ रथ का अभिनन्दन
दिनांक 19.02.2004 रात्रि 8 बजे विजय वल्लभ रथ का अभिनंदन बैंड बाजों के साथ किया गया। प्रधान श्री मोहन लाल जी आदि पदाधिकारियों की अगुवाई में रथयात्रा नेहरु नगर से प्रारम्भ होकर नगर के विभिन्न क्षेत्रों से होती हुई नेहरु नगर में ही समाप्त हुई। रात्रि भजन संध्या में गुरुभक्तों ने अपने भाव-संगीत के माध्यम से अर्पित किए
"वल्लभ था संत निराला, आया करने उजियाला, वल्लभ का सारे जग में नाम, गुरु को हमारा है प्रणाम।
सारा जग गुण है गाता, चरणों में शीश झुकाता, सचमुच वल्लभ था महान, गुरु को हमारा है प्रणाम।"
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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