________________
इसका उद्देश्य गुरु वल्लभ के आदर्शों का यशोगान सम्पूर्ण भारतवर्ष में किया जाए। रथ यात्रा को मेरे से जोड़ना गलत है। 'बुद्धि फलं तत्त्व विचारणा' बुद्धि का कार्य है तत्त्व की विचारणा करना। तत्त्व तीन प्रकार के कहे गए हैं-देव, गुरु और धर्म । देव अर्थात् परमात्मा की पूजा सेवा करना हमारा प्रथम कर्त्तव्य है। आज के समय के अन्दर परमात्मा की गैरमौजूदगी में 'गुरु' तीर्थंकर तुल्य कहे गए हैं। गुरु के प्रति समर्पण, गुरु के प्रति आज्ञापालन का हमारा भाव होना चाहिए। गुरु वल्लभ का यह भव्य रथ जहाँ-जहाँ जाए इसका भव्य स्वागत करें, गुरु वल्लभ की प्रतिमा को निहारें, उनके गुणों को याद करें, गुरु वल्लभ के आदर्शों को आत्मसात करें, उनके प्रति समर्पण का भाव ही हमारा परम लक्ष्य होना चाहिए। परम पूज्य गुरुदेव के आदेश के पश्चात् विजय मुहूर्त में भव्य रथ का प्रस्थान जैन स्कूल दरेसी से शोभायात्रा के रूप में शुभारम्भ हुआ। रथ के प्रारम्भ में गुरुदेव की 84 वर्ष की आयु के निमित्त 84 स्कूटरों पर जैन ध्वज लिए हुए गुरु भक्तों के पश्चात् हाथी-घोड़े, जैन स्कूलों के छात्र-छात्राएँ जैन पताकाओं को लेकर, पूज्य गुरुदेव के उद्देश्यों को बैनर रूप में उठाए हुए चल रहे थे। तत्पश्चात् ट्रालियों पर झांकियाँ, भजन-मण्डली, गिद्दा, भंगड़ा, गतका पार्टी गुरुदेव का गुणगाण करते हुए चल रहे थे। लुधियाना के समस्त महिला एवं श्राविका मंडलों की ओर से 84 बहनें अपने सिर पर मंगल कलश उठा कर शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रही थीं। रथमार्ग को जैन ध्वजों, तोरणद्वारों व रंग-बिरंगी झंडियों से सजाया गया था। रास्ते में गुरु वल्लभ रथ का शानदार स्वागत किया गया। चौक मिश्रा एसोसिएशन, प्रताप बाजार एसोसिएशन, गिरजाघर चौंक में मां भगवती क्लब के प्रधान अविनाश सिक्का, बुक्स मार्किट शापकीपर एसोसिएशन, चौड़ा बाजार शापकीपर एसोसिएशन ने गुरु वल्लभ रथ का शानदार स्वागत किया। इस्कान के श्री जगन्नाथ मंदिर की ओर से हरिनाम संकीर्तन मंडल द्वारा रथयात्रा का स्वागत किया गया। इस दौरान इस्कान मंदिर कमेटी के कोआर्डीनेटर राजेश गर्ग, योगेश गुप्ता, डॉ. एम.एस. चौहान, पवन शर्मा, संजीव सिंगला, सुरिन्दर गुप्ता, पीपांशु, संजीव राज व मंदिर के भक्तों के रथयात्रा पर पुष्प वर्षा की।
गुरु वल्लभ के भव्यातिभव्य रथ के आगे बैंड-बाजे, ढोल के साथ हजारों की संख्या में गुरु भक्त गुरुदेव का गुणगान करते हुए इस शोभायात्रा को चिरस्मरणीय बना रहे थे। शहर की विभिन्न संस्थाओं के गणमान्य व्यक्तियों ने स्थान-स्थान पर भव्य रथ का हार्दिक वंदन अभिनन्दन, पुष्प वर्षा की, मिठाईयाँ बांटी, छबीलें लगाईं। शहर वासियों के प्रत्येक के मुख पर था कि जैन समाज द्वारा ऐसी अभूतपूर्व शोभायात्रा पहली बार देखने को मिली है। जिस गुरु की शोभायात्रा इतनी सुन्दर है, वह सन्त कैसा होगा !
उत्सव
2003-2004
विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
79
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org,