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विमय बल्ला
उल्लम यूरि
श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यालय वरकाणा, उमेदपुर-फालना-झगड़ीया तीर्थ आदि प्रमुख हैं। हजारों विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करके स्व-जीवन सफल कर रहे।
हैं और शासन प्रभावना के कार्य भी संलग्न हैं। आज वर्तमान गच्छ परम्परा के अनेक आचार्य एवं मुनिराज भी आपके मार्ग का ही अनुसरण कर आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान गच्छनायक की सत्प्रेरणा से अम्बाला में गुरुकुल की स्थापना एक ज्वलन्त उदाहरण अर्द्धशताब्दी वर्ष की स्मृति है। गुरु वल्लभ ने। शासन उन्नति के अनेक कार्य किये हैं, उनके मार्ग में बड़ी विघ्न-बाधायें आयीं लेकिन उस समता के सागर ने कोई प्रतिकार न करके प्रभ महावीर के मार्ग पर अविरल आगे बढ़ते रहे। सभी बाधायें अपने आप शांत हो गयीं और आज उन्हीं के पद चिन्हों पर लोग चल रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे।।
आज 50 वर्ष के बाद भी लोगों के दिलों में गुरु वल्लभ का वही स्थान है, जो उनकी हयाती में था और आगे भी सदैव के लिये रहेगा, इसका एक ही कारण है, 'विश्व में गुरु वल्लभ' अपने लिये नहीं जीये, दुनिया के दुःख-दर्द को उन्होंने अपना दुःख-दर्द समझा और उसको दूर करने का अंतिम क्षण तक प्रयत्न करते रहे, जैसा उनका नाम था, वैसे ही वे लोक-वल्लभ, विश्व-वल्लभ थे।।
भगवान के पास इस प्रकार के सुख की मांग करते थे कि Oh My God ! तुम मुझे इस प्रकार का सुख प्रदान करो कि मैं दूसरों के दीन-हीन के। दुःख के आंसू पौंछ सकूँ । मध्यम वर्गीय समाज के उत्थान में संपूर्ण जीवन की कुर्बानी की, स्व-जीवन का बलिदान दिया।
गुरु वल्लभ मध्यम वर्गीय समाज-उत्थान के मसीहा थे। भारत में स्थान-स्थान पर जन जागरण साधर्मिक भक्ति हेतु फंड एकत्रित करवाए।। बम्बई की विशाल मेदनी में, आपने अपने प्रवचन में मध्यम वर्ग के उत्थान के लिये 4 लाख रुपये एकत्रित करने की उद्घोषणा कर, समस्त संघ के समक्ष। प्रतिज्ञा की कि जब तक इस कार्य के लिये पांच लाख की धनराशि एकत्रित नहीं होगी, तब तक मैं दूध और दूध से बनी मिठाई का वस्तुओं का त्याग करूँगा। आपके प्रवचन से प्रभावित होकर, उपस्थित जनसमुदाय में बैठी महिलाओं ने अपने आभूषण प्रदान किये और श्रावकों ने धन की वर्षा की। सर्वोत्तम दान भावना का परिचय दिया। बम्बई में महावीर नगर कांदीवली आवासीय कालौनी इस बात का ज्वलन्त उदाहरण है। साधर्मिक भक्ति गुरु वल्लभ के जीवन का प्राण था, स्थान-स्थान पर धर्मशालाएं और उद्योगशालाएं का नवनिर्माण कराया।।
गुरु वल्लभ के अनुसार साध्वी-समाज तीर्थंकर प्रभू द्वारा स्थापित संघ का एक अंग है। नारी शिक्षा प्रचार पर बल दिया। उसे भी ज्ञानार्जन कर। प्रवचन की आज्ञा प्रदान की। ताकि वह भी वीर प्रभु के शासन प्रभावना के कार्य में सहयोगी बन सके। उन्होंने साध्वी उत्थान के लिये भी भगीरथ प्रयत्न किये। आज साध्वी समुदाय का उत्थान हमें अधिक नज़र आ रहा है यह गुरु वल्लभ के ही आशीर्वाद का परिणाम है।।
अपने महान गुरुदेव श्रीमद् आत्माराम जी महाराज के स्वर्गवास के पश्चात् आपने उनके मिशन को आगे बढ़ाया। वह मिशन था-प्राणिमैत्री. मानव-कल्याण, समाजोद्धार, राष्ट्रीय एकता और विश्वबंधुता का। आत्माराम जी महाराज ने पंजाब में मंदिरों का निर्माण तो करवा दिया है, परन्तु अब। तुमने सरस्वती मंदिरों की स्थापना करके, पूजारी तैयार करना तथा मैंने जो बगीचा लगाया है उसको सिंचित करके पुष्पित एवं पल्लवित करते रहना।। पंजाब की सुरक्षा का भार तुम्हारे कन्धों पर डालता हूँ। गुजरात की धरा पर जन्म धारण करने पर भी, उद्धार किया पंजाब का एवं सदैव पंजाबी । गुरुभक्तों की रक्षा की।
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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