________________
व्याज स्तुति (निन्दा के बहाने स्तुति) चोर अपूर्व तू जगनामी, काला विरुद धराया जी। चोर हरे बिन देखे, मुझ मन देखत तुमने चुराया जी।।।
-श्री केसरिया नाथ स्तवन उदयपुर (राजस्थान) के समीप धुलेवा ग्राम में श्री केसरियानाथ जी का प्राचीन सुविख्यात तीर्थ है। मूर्ति श्यामवर्णी है, उन्हें भील एवं अन्य लोग कालिया बाबा कहते हैं। केसर चढ़ाकर उनकी मनौती की जाती है, इसलिए उन्हें केसरियानाथ कहते हैं। यह मूर्ति भगवान ऋषभदेव की है। भक्त केसरियानाथ के दर्शन से मुग्ध हो गया है। वह कहते हैं। "हे रवामी ! तुम अपूर्व चोर हो, तुम्हारा काला या कलिया बाबा विरुद सुप्रसिद्ध है। तुम जगत् के नामी चोर हो क्योंकि सामान्य चोर तो बिना देखे चुपके माल चुराता है और तुमने मेरे मन को देखते-देखते चुरा लिया है। दर्शन से प्रभु ने मेरे मन को चुरा लिया।
'विजय वल्लभ सूरि'
श्री आत्मानन्द जैन ऐजुकेशन बोर्ड
दरेसी रोड लुधियाना ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org