Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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[18] ooooooooooooo oooooooo क्रं. विषय
पृष्ठ | क्रं. विषय २०. प्रतिपृच्छना
१२. योग-सत्य २१. परिवर्तना
१८५ ५३. मनःगुप्तता २२. अनुप्रेक्षा
५४. वचनगुप्तता
२०६ २३. धर्मकथा १८७ ५५. कायगुप्तता
२१० २४. श्रुत की आराधना
५६. मन समाधारणता
२१० २५. एकाग्रमन सनिवेश
५७. वचन समाधारणता २६. संयम
५८. काय समाधारणता २७. तप
१९० ५९. ज्ञान सम्पन्नता २८. व्यवदान
१९० ६०. दर्शन सम्पन्नता ... २९. सुखशाता
६१. चारित्र सम्पन्नता
२१४ ३०. अप्रतिबद्धता
६२. श्रोत्रेन्द्रिय निग्रह
२१५ ३१. विविक्त शयनासन
६३. चक्षुरिन्द्रिय निग्रह
२१६ ३२. विनिवर्तना १९३ ६४. प्राणेन्द्रिय-निग्रह
.:२१६ ३३. संभोग प्रत्याख्यान १९४ ६५. जिह्वेन्द्रिय निग्रह
२१६ ३४. उपधि प्रत्याख्यान १९६ ६६. स्पर्शनेन्द्रिय निग्रह
२१७ ३५. आहार-प्रत्याख्यान
६७. क्रोध-विजय
२९ ३६. कषाय प्रत्याख्यान
६८. मान-विजय ३७. योग-प्रत्याख्यान
६. माया-विजय .
၃၃၀ ३८. शरीर-प्रत्याख्यान
७०. लोभ-विजय
२२० ३६. सहाय प्रत्याख्यान
१. प्रेय-देष मिट्यावनि विजय ခုခု ၅ ४०. भक्त प्रत्याख्यान
७२. योग निरोध ४१. सद्भाव प्रत्याख्यान
७३. अकर्मता
૨૨૬ ४२. प्रतिरूपता
१३७. उपसंहार ४३. यावृत्य ४४. सर्व गुण सम्पन्नता
तपोमार्ग नामक तीसवाँ ४५. वीतरागता ४६. क्षांति
अध्ययन २३०-२४८
२०५ ४७. मुक्ति २०५ | १३८. तप का प्रयोजन
२३० ४८. आर्जवता
२०६
| १३६, कर्मों को क्षय करने की विधि २३१ ४९. मूढता ५०. भावसत्य १४०. तप के भेद
२३३ ५१.करण सत्य २०८ | १४१. बाह्य तप के भेद
२३४
१९७ १९८
२१९
१९
१८८
२२३
२२६
२०३ २०३ २०४
२०७
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