Book Title: Tulsi Prajna 2001 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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21.
10. दशाश्रुतस्कंध दशा 6 सूत्र 3। 11. ठाणं8/22 12. आवश्यक 4 सूत्र 13. सू. कृ. नि.गा. 112 14. चूर्णि पृ. 206 15. तत्वार्थवार्तिक 8/9, भाग 2 पृष्ठ 562 16. सू.कृ.नि.गा. 111 17. सू.क. चूर्णि पृ. 207 18. वृत्तिपत्र 35 19. वृत्तिपत्र 217 20. सूत्रकृतांग 1/1/2-43
सू.कृ. शीलाङ्कवृत्ति, पत्रांक 32 से 34 के आधार पर 22. सुत्त पिटक दीघनिकाय सामञ्ज पृ. 49-53. 23. तत्वार्थवार्तिक 8/9 भाग पृ. 562 24. चूर्णि पृ. 206. 25. सू.कृ.नि.गा. 111 26. सू.कृ. नि.गा. 113, चूर्णि पृ. 206 27. सू.कृ. नि.गा. 113 चूर्णि पृ. 206 28. भगवई, 3/34 29. भगवई, 3/102 30. षड्दर्शन समुच्चय, श्री गुणरत्न सूरि दीपिका पृ. 29 31. दीघनिकाय 1-2 32. आ.श्रु.1. अ.1. सू 5 पृ. 1 33. स्थानांग 2 उ. 2. सू. 79 टीका से उद्धृत किरियावाई भव्वे णो अभव्वे । सुक्कपरिक्खए णो
किण्टपक्खिए।
सू. श्रु. 1 अ.6 गा.27 टीका। 35. भग.श. 41 उ. 1 प्र. 12, 17, 19 पृ. 935 36. भगवती श. 3 उ. 3 प्र. 15 का अंश पृ. 4571
सम्पर्क : जैन विश्वभारती संस्थान
लाडनूं (राजस्थान)
तुलसी प्रज्ञा जनवरी-जून, 2001 ANIY
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