Book Title: Tulsi Prajna 2001 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 52
________________ (2) 1. गोपिका कुभा दषलेथना देवा (नं) पि 2. येना आनंतस्तियं अभिषितेना आजी 3. विके (हि) (भद) तेहि वाष निसिदियाये 4. निसिठा आ चंदम सूलियं (II) (3) 1. वडथिका कुभा दषलथेना देवानं 2. पियेना आनंतलियं अ (भि) षितेना (आ) 3. (जी) विकेहि भदंतेहि वा (ष निषि) दियाये 4. निषिठा आ चंदम लियं ( II) उपर्युक्त दो अभिलेखों के अतिरिक्त सासाराम से भी एक अभिलेख प्राप्त हुआ है, जो ईसा-पूर्व 272-232 का है। इसकी भाषा प्राकृत पालि है और मूल लिपि ब्राह्मी है। इसकी चर्चा डॉ. हुल्त्स ने की है। यह अभिलेख डॉ. राजबलि पाण्डेय की उपर्युक्त पुस्तक (हिस्टोरिकल एण्ड लिटरेरी इन्सक्रिप्शन्स) के पृ. 22 से यहाँ उद्धृत है : सासाराम अभिलेख (शिलास्तम्भ लेख) 1. देवानां पिये हेवं आ....यानि सवछलानि । अंउपासके सुमि । नचु बाढं पलकंते (1) 2. सवछले साधिके । अं .....ते (1) एतेन च अंतलेन । जम्बुदीपसि । अमिसंदेवा । संत... मुनिसा मिसंदेव कटा । पल ........ इयं फले। (I) नो .......... मं महतता वचकिये पावतवे। खुदकेन पि पल..... | 4. कममीनेना विपले पि सुअग... किये आला.....वे | से एताये अनये इयं सावाने । खुदका च उडाका चा प। 5. लकमंतु अंतापिच जानंतु । चिलठितीके चपलाकमे होतु । इयं च अठे पढिसति। विपलंपि च वढिसति। 6. दियाढ़ियं अवलधियेना दियढियं वढिसति (इयंच सवने विवुथेन दुवे सपनां लाति। 7. सता विवुथाति 200 506 इम च अठं पवते सु लिखा.... पाया था य...वा अ। 8. थि हेता सिलाथमा ततपि लिखापयथ ति। तुलसी प्रज्ञा जनवरी-जून, 2001 AM Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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