Book Title: Tulsi Prajna 2001 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 145
________________ विनम्र निवेदन किन्हीं अपरिहार्य कारणों से तुलसी प्रज्ञा का जनवरी से मार्च, 2001 अंक (पूर्णांक 111) यथासमय प्रकाशित नहीं हो सका । अतः इस अंक को संयुक्तांक के रूप में प्रबुद्ध पाठकों तक पहुंचाते हुए विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हैं । अगला अंक जुलाई से सिम्तबर, 2001 अनेकान्त विषय पर शीघ्र ही आप तक पहुंचाने का प्रयत्न करेंगे। साथ ही प्रबुद्ध पाठकों की विशेष मांग पर आचार्यश्री महाप्रज्ञ द्वारा लिखित आचारांग भाष्य (अंग्रेजी) को भी तुलसी प्रज्ञा के अगले अंक से क्रमशः प्रकाशित किया जायेगा। -सम्पादक 140AINTINITIN IIIIIIIIIIIII तुलसी प्रज्ञा अंक 111-112 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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